तबादला / सरस्वती माथुर
Gadya Kosh से
"बोलो बहादुर कैसे आना हुआ?" हाथ जोड़े खड़े विभाग के चपडासी बहादुर से जलदाय विभाग के राजनारायण जी ने पूछा
"मालिक, मेरा तबादला रोक दीजिये, कहाँ जाऊँगा, बच्चे पढ़ रहे हैं, पत्नी बिमार पड़ी है।" गिड़गिड़ाते हुअे बहादुर ने कहा
"कोशिश करता हूँ पर एक शर्त मेरी भी है।" राजनारायण जी बोले
"हुक्म फ़रमायें।"
"सुबह -शाम मेरे घर का भी काम निपटाना पड़ेगा-झाड़ू-पोचा, खाना -,मंज़ूर हो तो काम हो जायेगा।" राजनारायण जी ने मुस्कुराते हुअे फ़रमान छोड़ा।
मरता क्या ना करता हामी भर कर तबादला तो करवा लिया बहादुर ने लेकिन तब से अब तक कोल्हू के बैल की तरह घूम रहा हैं।