तापसी पन्नू : मजबूत स्त्री की छवि / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 19 नवम्बर 2018
तापसी पन्नू अपनी प्रतिभा और मेहनत से सफल फिल्में अभिनीत कर चुकी हैं। उनके द्वारा अभिनीत पात्र तथाकथित पारम्परिक मूल्यों के खिलाफ संघर्ष करते हैं। उन्होंने बयान दिया है कि उन्हें समाज की दुखती रग पर पैर रखने वाली भूमिकाएं पसंद हैं और उनकी छवि एक मजबूत स्त्री की है। विज्ञापन बनाने वालों ने भी इसी छवि के अनुरूप काम किया है। मसलन वे एक पेय का विज्ञापन करती हैं, जो महिलाओं के लिए मजबूत हड्डियों के निर्माण में सहायक होता है। आजकल पुरुषों द्वारा महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार का मामला गर्म है और इसे 'मीटू' आंदोलन कहा जा रहा है। इस विषय में तापसी ने बयान दिया है कि हर क्षेत्र में स्त्रियों की संख्या बढ़नी चाहिए। उनका तात्पर्य था कि प्रतिनिधित्व बढ़ना चाहिए।
जाने कितने वर्षों से संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को कम से कम 33% का कोटा देने का मसला जेरे बहस है। मौसम की तरह सरकारें बदलती रहीं परंतु यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। महिलाओं से भयभीत पुरुष केंद्रित समाज की रचना भी भारतीय विरोधाभास और विसंगतियों की परम्परा के अनुरूप हुआ है। इस संदर्भ में तापसी पन्नू के बयान को देखा जाना चाहिए। यह भी इत्तेफाक है कि कुछ इसी तरह की बात राहुल गांधी ने भी की है, जो अभी तक खरीदे हुए मीडिया द्वारा दी गई पप्पू छवि से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और शायद ताउम्र करते रहेंगे।
हमारे समय में हिंदू बनाम मुस्लिम नामक एक नकली संग्राम चुनाव में मतों के ध्रुवीकरण के लिए रचा गया है। इस विषय पर 'मुल्क' नामक अत्यंत साहसी फिल्म बनाई गई, जिसमें ऋषि कपूर और तापसी पन्नू को लिया गया। मुद्दा बहुत गहरा और गंभीर था। कथासार कुछ इस तरह था कि एक मुस्लिम परिवार का युवक आतंकी बन जाता है और हिंसा के मार्ग पर चल पड़ता है। यह भी पूरा सच नहीं है उसे जबरन आतंकवादी बनाए जाने की कोशिश की जाती है। उसे फेक एनकाउंटर में मार दिया जाता है। इस घटना के तुरंत बाद मुस्लिम परिवार के बुजुर्ग को गिरफ्तार कर लिया जाता है। तापसी पन्नू अभिनीत पात्र इसी परिवार की बहू है और कानून विधा की स्नातक भी है। वह अपने ससुर का मुकदमा लड़ती है। ज्ञातव्य है कि वह कन्या जन्म से हिंदू है और उसने मुस्लिम युवक से प्रेम विवाह किया है। क्या आरोपित आतंकवादी का रिश्तेदार होना भी किसी व्यक्ति को गुनाहगार बना देता है? दाऊद की बहन के जीवन से प्रेरित फिल्म भी बन चुकी है। बहरहाल, मुल्क में तापसी पन्नू ने भूमिका को स्वीकार किया। वे स्वयं भी डरी हुई थीं और उनके तमाम नजदीकी लोग भी नहीं चाहते थे कि वे यह भूमिका स्वीकार करें। तमाम जद्दोजहद के बाद उन्होंने यह भूमिका स्वीकार की। फिल्म सफल रही और ऋषि कपूर तथा तापसी पन्नू के अभिनय को सराहा गया।
तापसी पन्नू ने 'पिंक' नामक फिल्म अभिनीत की है। अमिताभ बच्चन इसमें वकील की भूमिका में थे। फिल्म के एक निर्णायक दृश्य में तापसी के बयान का दृश्य है। वह खुली अदालत में कहती है कि वह दो बार अपनी पसंद के युवा के साथ हमबिस्तर हुई परंतु यह स्वेच्छा से हुआ है परंतु जिस घटना का यह मुकदमा है, उसमें उसने स्पष्ट 'नहीं' कहा था। अमिताभ बच्चन के श्रेष्ठ प्रदर्शन में सुजीत सरकार की यह फिल्म शामिल है। इस तरह तापसी पन्नू ने अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर के साथ अभिनय किया है। ये दोनों ही विलक्षण अभिनेता हैं और इनकी संगत में तापसी पन्नू ने भी अपनी जमीन नहीं छोड़ी है। इस तरह वह 'मिट्टी पकड़' कलाकार हैं। तापसी पन्नू ने 'नाम शबाना' फिल्म में भी साहसी भूमिका अभिनीत की है और फिल्म के क्लाईमैक्स दृश्य में वे अपने से मजबूत आतंकवादी सरगना से लड़ती हैं तथा उसे मारने में सफल होती हैं। इस फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि तापसी अभिनीत पात्र ने अपने पिता की हत्या की थी, जो प्राय: अपनी पत्नी को पीटा करता था। इस फिल्म के एक दृश्य में सह-कलाकार मनोज बाजपेयी से तापसी पूछती है कि क्या उसके मुस्लिम होने के कारण उसे आतंकवाद के खिलाफ जंग करने के लिए चुना गया है। मनोज का उत्तर है कि उसके मुस्लिम होने से उसके लिए उन सारे स्थानों पर जाना सुविधाजनक बन जाता है, जहां सामान्य व्यक्ति नहीं जा सकता। दूसरी बात यह है कि उसके मुस्लिम होने का नज़रिया सामान्य मुस्लिम से अलग है। ज्ञातव्य है कि महान विवेकानंद ने अपने पत्र-व्यवहार में लिखा था कि वे उस स्वर्ण काल की आशा करते हैं जब हिंदू व मुस्लिम मिलकर एक मजबूत देश का निर्माण करेंगे। विवेकानंद का पत्र-व्यवहार प्रकाशित किताब में है और लेखक सरोज कुमार के पास इसकी एक प्रति है।