तितली / मनोज शर्मा
अरे हिल रही है?
नहीं नहीं अभी भी बेहोश है!
अबे देख! सही कह रहा हूँ!
धीरे-धीरे फुसफुसाहट चलती रही
कानों में शोर पड़ा! लगा कोई आसपास है। पलके उठाकर देखा आसपास कोई नहीं था। माथे पर हाथ फिराया खून से सना था और दर्द के मारे सिर पीड़ा से घूम रहा था। नज़रे इधर उधर घूमती रही पर हर तरफ़ बस आवाज़े ही आ रही थी कभी हंसने की तो कभी चिल्लाकर एकदम से शांत होने की। घंटो यौंही सब चलता रहा बस कुछ याद था जब कल आई थी।
यार किसी को पता तो नहीं चलेगा ना?
एक ने पूछा
अरे नहीं! दूसरे को आश्वस्त करते हुए बोला।
बंद ट्रक में हलचल हुई!
पर सब एकदम शांत हो गया!
दोनों ट्रक से उतरकर लड़की की ओर फिर लपके!
वो अभी भी अंदर आंखे मूंदे सिसक रही थी।
बेमेतारा कि पुलिस को पता चल गया ना साले मारकर खा जाएगें? एक ने कहा!
फिर क्या करे रात से बंधक है वह भूखी प्यासी
लड़की!
इसको गाँव के तालाब के किनारे छोड़ दें? तडकलाऊ ही निकल लेंगे?
कल जब बेमेतारा गाँव से गुज़र रहे थे तब ये आंगन में खेलते हुए मस्त लग रही थी?
क्यों?
हाँ मेरा तो दिल ही आ गया था इस लड़की पर
और दारू पीते ही जैसे ज़िस्म में जुंबिश दौड़ गयी थी! तभी तो नशे में रात भर...हंसते हुए
इसके चंचल मुखड़े ने मुझे तो बाबला ही कर दिया था!
सिगरेट जलाई और फिर ट्रक के पास की झाड़ियों को हिलते देखा!
अरे यार अब निकल लो!
किसी ने देख लिया ना तो यहीं मार गिराएगें!
अभी रात के तीन बजे हैं! चार बजे चलें?
सिगरेट का कश खींचते हुए दूसरे ने कहा!
हाँ हाँ अब चलो!
आह! आह करते लड़की उठी!
अरे देखो ये तो उठ रही है कहीं चिल्ला न पड़े!
जल्दी ट्रक में डालो इसे!
अरे जल्दी करो यार!
लड़की को ट्रक में डालकर ट्रक स्टार्ट किया!
हाँ हाँ जल्दी करो अब!
हार्न देता हुआ सड़क तेज दौड़ पड़ा!
पंद्रह-बीस किलोमीटर दूर है गाँव के पास ही जल्दी ले चलो!
वहाँ से कोई भी ले जाएगा इसको!
ओय साली चुप कर?
सिसकती हुई लड़की को धमकाते हुए देखा!
लड़की सहम कर हाथ जोड़ने लगी! मुझे छोड़ दो
ट्रक की मंद रोशनी में सहमा चेहरा भीगता जा रहा था।
ट्रक दौड़ता रहा! हार्न बजाते हुए पहले ट्रक एक से आगे बढ़ा फिर दूसरे से और यौंही क्रम चलता रहा!
तुम कहाँ रहती हो? ट्रक ड्राइवर ने उत्सुक्ता से पूछा?
लड़की रोती रही! जैसे सूनसान सड़क पर वह सब भूल चुकी हो!
अरे यार नौ दस साल की लड़की क्या बताएगी। फेंक देते हैं गाँव के किनारे!
कोई तो ले ही जाएगा इसको!
कहीं बक तो नहीं देगी!
अरे यहाँ तो ये सब आम है!
चलते ट्रक की रफ़्तार कम हुई! स्पीड़ ब्रेकर पर चूंअअ करता पहिया रूका! कुछ दूर बढ़ते ही ट्रक सड़क के दायीं ओर रूका। लड़की ट्रक से बाहर फेंक दी गयी!
पांच छह मिनट दोनों लोग सड़क के किनारे देखते रहे पर किसी हलचल हो जाने के अंदेशे से पहले ही भाग खड़े हुए!
लड़की कराहती रही! उसका ज़िस्म जगह-जगह से नोचा गया था जिसके कारण उसकी हालत पल-पल बिगड़ती जा रही थी। तालाब के किनारे गहरे अंधेरे में उजास आता गया सुबह की पहली किरण ज़मीं पर पड़ते ही हर और रोशनी हो गयी।
गांव की औरतों का तालाब पर पानी भरने के लिए आना जाना आरंभ होने लगा था।
अरी ये कौन है? गांव की एक युवती ने दूसरी से कहा!
अरे ये तो अपने गाँव की लगती है! दूसरी ने पास आकर लड़की को देखते हुए कहा!
पलभर में भीड़ जुड़ गयी और ख़बर पूरे बेमेतारा में आग की तरह फैल गयी!
लड़की चीखती रही!
हम तो आंगन में खेल रहे थे! दो लोग मुझे उठाकर ले गये और देर तक गंदा काम करते रहे!
पहले एक ने किया फिर दूसरे ने भी!
मैं रोती चिल्लाती रही पर वह दारू के नशे में!
तुम चिल्लाई क्यों नहीं! सरपंच ने आंखों में तैरते आंसुओं को देखते हुए पूछा!
वो जंगल में थे हर तरफ़ जंगल ही जंगल बस!
मैं रोती रही चिल्लाती रही पर उन्होंने मुझे ख़ूब मारा!
अरे हटो भी अब! गांव के मुखिया कि बीबी ने डांटते हुए उसे ऊठाया! चादर उढ़ाते हुए उसने लड़की को गाड़ी में बिठाया और डाॅक्टर के क्लीनिक की तरफ़ गाड़ी दौड़ा दी!
पल भर में अलग-अलग टोलियाँ घटना को सिलसिलेवार बताने लगी। पुलिस को देखते ही सब दंग रह गये!
कौन थी ये लड़की? दरोगा ने भीड़ की ओर देखते हुए पूछा?
भीड़ में से आवाज़ आई! रमूआ की बेटी है ये तो!
कौन बोला? पुलिस फिर भीड़ को देखने लगा!
जुबान पर होठ फेरते हुए उसने फिर बोला!
क्या नाम था इसका?
ये रमूआ की बेटी तितली है! सरपंच के लड़के ने दरोगा कि ओर देखते हुए कहा!
ये गाँव के बीचों बीच छोटी-सी कोठरी में रहने वाले रमूआ और उसकी महतारू की बेटी है नौ साल की है! चौथी कक्षा में प्राथमिक विद्यालय में पढ़ती है! रमूआ और उसकी बीबी दोनों मजदूरी करते हैं। तितली को अकेली आंगन में कई दफ़ा खेलते देखा है।
कौन थे ये ट्रक वाले? कोई जानता है उनको?
नहीं साहब! हमने कभी नहीं देखा!
भीड़ में एक हिस्से ने दोहराते हुए कहा!
इन सालो की तो! छोडूंगां नहीं सालों को।
पुलिस एक-एक चेहरे को देखते हुई गाड़ी में बैठ गयी!
अब क्या होगा? इस तितली का!
रमूआ तो रातभर घूमता रहा था! गांव के लोग आपस में बात कर रहे थे!
हाँ हाँ देर रात तक बेचारा तितली को ढूँढता फिर रहा था! बेचारा रमूआ!
कहीं तितली को इस हालत में देखकर मर ही न जाए!
पिछले साल भी बुधिया कि बेटी ऐसे ही۔۔
हाँ वह तो छह साल की ही थी!
हरामजादों ने बुधिया कि बेटी को तो मार ही दिया था!
इसी तालाब के किनारे लाश पड़ी थी उस दिन!
छोटी कन्या यहाँ सुरक्षित नहीं भाई!
हवस के पुजारियों के लिए लड़की छह की हो या साठ की उन्हें क्या?
अब कुछ दिन बात हवा में घूमेगी और फिर कोई नया रमूआ और उसकी बेटी ऐसे ही दरिंदों की शिकार बनेगी!
मुझे तो न्याय, पुलिस पर कोई भरोसा ही नही!
पहले आठ बजे फिर नौ फिर दस दोपहर बीत गयी। गांव में कई जगह इस बलात्कार की बात होती रही पर शाम तक सब ओर शांति थी!
पुलिस ने शाम तक दो तीन जगह पूछताछ की!
रमूआ और उसकी बीबी का रो रोकर बुरा हाल हो चुका है!
टूटी खाट पर आंखे बंद किये तितली लेटी है सहमे हुए चेहरे में अभी भी ख़ोफ की सलवटे हैं जो कभी भी तुफान की तरह आकर उसे उठा देती है!
नहीं नहीं! मुझे छोड़ दो! कहती हुई वह फिर सिहर जाती है! रमूआ की आंखे गीली हैं।
दो तीन गरीब मज़दूर परिवार कोठरी के बाहर बारी-बारी आवाजाही कर लेते हैं पर तितली का क्या होगा?
कोई इंसाफ होगा!
पता नहीं! पीली धूप शाम के अंधेरे में खो गयी!
शाम अंधेरे में सिमटती गयी!
न्याय का कोई नामोनिशान नहीं।
रोते रोते सारा परिवार सिसकता रहा और देर रात तक राह देखता रहा पर कहीं कोई उत्तर नहीं था।