तीजी जूण / श्याम जांगिड़ / कथेसर
मुखपृष्ठ » | पत्रिकाओं की सूची » | पत्रिका: कथेसर » | अंक: जनवरी-मार्च 2012 |
सूबेदार रामरिखजी अर वां री जोड़ायत रै आवणै सूं उण घर में अेक सरणाटौ-सो पसर गियौ। ईयां लाग्यौ जाणै इण घर में कोई सोग रौ समचार आयग्यौ हुवै। जदकै सोग आळी कीं बात नीं ही। सोग कदी हुयौ हौ- कोई दोय बरसां पैली, जद सतनारायण मास्टर री बीनणी चालती रैयी ही। पण आज तौ कोई नईं गुजर्यौ। कीं री मौत नईं हुयी। फेरूं भी जियां-जियां घर रा मिनखां नै वां रै आवणै री खबर लागी स्सै रा स्सै अेक उदासी री धुंध में डूबता चल्या गिया। लाग्यौ जाणै ईं घर में कीं नाजोगौ हुवण जा रैयौ है।
स्सै सूं पैली बिमला री जेठाणी वां नै आवता देख्या। वा दिन छिपणै सूं पैली हेली रै बारलै बरांडै में बुहारी देवण पोळ सूं निसरी ही। हाथ में बुहारी ही। वां दोनुआं नै देख'र वा ठिठकगी। थोड़ौ-सो ओलौ कर्यौ। हाथ में बुहारी लियां ई वा बैठक रा बारला किंवाड़ खोल दिया। सूबेदारजी बैठक में दाखल हुयग्या। वां री जोड़ायत उण कनै ढब'र ऊबी होयगी। बोली- राम-राम जी!
सूबेदारनी बरस साठेक री रैयी हूली। उण रै हाथ में अेक थेलौ हौ। ठारी सूं बचवा नै सूबेदारनी लुंकार ओढ राख्यौ हौ। रामरमी रौ ऊथळौ देणै रै बाद वा यूं ही बेरूखी सूं पूछ लियौ- 'स्यात गाडी सूं आया हौ?'
'हां।'
'भीतर पधारौ.....।' अर वा उण नै साथै लेय'र हेली रै आंगणै में आयगी। सासूजी कूणै आळै कोठै में हा। वा सूबेदारनी नै आपरी सासू कनै पुगाय दी। ईं रै बाद वा बिमला कनै गयी, जिकी रसोई में खाणौ बणावै ही। आज जेठाणी रा हाथ चोखा कोनी हा, ईं वास्तै बा बुहारी अेक कानी मेल'र रसोई री चोखट पकड़'र ऊबी हुयगी। बिमला नै बोली- 'सूबेदारजी अर वां री जोड़ायत आया है।'
जेठाणी रै मूं सूं आ सुणतां ही बिमला रै काळजै धक्कौ-सो लाग्यौ। वीं रै हाथ सूं चमचौ छूटग्यौ। चमचौ फर्श माथै बाज्यौ...छन्नन...। वा पथरायोड़ी आंख्यां सूं आप री जेठाणी कानी देखती रैयगी। मांयली पीड़ नै अेक-अेक दिन परै धकेलती बिमला तांई ओ संदेस उण बजराक वगत रै हड़देणी सांमी आ जावणै जिसौ हौ। बेबसी अर हियै रौ संताप अेकै साथै बिमला रै चेरै माथै आय'र चिपग्यौ।
गैस माथै सब्जी खदबदावै ही। चमचौ रोड़णै री सुधबुध वा खो बैठी। उण री आ हालत देखÓर जेठाणी बोली- 'सब्जी संभाळ....।'
बिमला फर्श माथै पडिय़ौ चमचौ उठायौ। सिंक री टूंटी खोल'र धोयौ। अेकर सब्जी में रोड़'र पूठौ पासै ही राख दियौ। जेठाणी अब भी चोखट रौ सायरौ लियां ऊबी ही। बिमला उण रै कनै आयी। स्यात आं कनै कोई उपाव हुवै। उण री आंख्यां सूं आंसू टपकै लाग्या। दोनूं अबोली खड़ी रैयी। बिमला री लाचारी रा आंसू देखनै जेठाणी री आंख्यां भी डबडबाईजगी। जेठाणी पल्लै सूं आंसू पौंछती बोली- 'चा बणा ले...' अर बुहारी लेय'र बारै चली गयी।
बिमला चा रौ पाणी चढा दियौ। सब्जी सीजै ही खदबद....। दूजै कानी उण रै हिड़दै में मचरी ही अेक न्यारी खदबद। .....अब तौ सोनू सूं बिछोह हुयां ही सरसी। दोय बरस वा जियां-तियां करनै निसार दिया। ...सोनू रौ दादो सूबेदार रामरिखजी कैई बर आया। पण हर बार उण रौ धणी सतनारायण अर जेठजी हरिराम वां नै ठंडा छांटा देयनै पूठा खिनावता रैया। छेवट पिछली बार जद सुबेदारजी आया तद वै करड़ी बात कैय नाखी- 'थे लोग बात सूं मतना फुरौ। जद सारी लिखा-पढी हुयोड़ी है तो थे उजर क्यूं कर रैया हौ? म्हैं बिमला रै बाप सूं कैई बार मिळ लियौ हूं। अबकाळै जे थे सोनू नै नईं दियौ तौ म्हैं बिमला रै बाप नै बुलाय'र पंचायत करूंला। मिनखां नै भेळा करूंला।' उण वगत बैठक रै कूणै कनै ऊबी सासूजी बोल पड़्या हा- '...अैड़ी कोई बात कोनी सूबेदारजी, सोनू थारौ ई है। म्हे तौ आ देखै हा कै टाबर सावळसिर पळ जावै। अबी सोनू री उमर ई कांईं है.... अर बिमला रौ ई जी तूटै...काळजौ बळै। खैर, कीं भी हो म्हे बिमला नै समझासां। ...थानै समचार दिराय देसां...., थे आज्याइज्यौ। ...बळी पंचायत री कांईं दरकार है....।' ईं रै बाद बिमला रै बापू रौ भी फोन आयौ। वै भी कैयौ कै थे ओर टेम मतना निसारौ। आपां नै औ काम करणौ पड़सी, जिको कीं करकरा'र नचीत हुवौ।'
इण घर में सोनू नै टाळ'र च्यार टाबर और है। दोय हरिराम रा अर दोय सतनारायण रा। हरिराम रै दोय छोरा है अर सतनारायण रै अेक छोरी अेक छोरौ। आज सगळा टाबर इण दोनूं ओपरै मिनख नै भाळै। वै कीं समझ को सकै नीं कै ओ डैण अठै आय'र कांईं बात करनै जावै। आज फेरूं आयौ है अेक लुगाई रै साथै!
बिमला चा बणा ली। अेक कप वा जेठूतै संजू रै हाथ बैठक में भिजवा दियौ अर दोय कप वा खुद लेय'र सासूजी रै कोठै में गयी। वठै वा हाथ में ट्रे झाल्यां, पैलपोत सूबेदारनी रै पगां में धोक लगाई। सुबेदारनी कांई आसीस देवती। ....बड़सुहागण तो कियां कैवै। ...छेवट बोली- 'रामजी सुख पावौ....राजी रैवौ।' सूबेदारनी री आंख्यां गीली हुय आयी। बिमला नै देख'र उणनै आपरौ बेटौ याद हौ आयौ। बिमला चा री ट्रे सासूजी साम्ही मेल'र चली गयी। अेकबर कोठै में अबोलोपण भरग्यौ। सासूजी ट्रे सूं कप उठा'र सुबेदारनी नै दियौ। सुबेदारनी डबडबाया नैणां नै पोंछ्या अर चा पीवै लागी। चा पीवता वेळा ई वा पूछ्यौ- 'सोनू कठै है?'
'अठै ई हुवैला.....'
'बुलावौ देखाण....'
सासूजी आपरै बडोड़ै पोतै नै हेलौ मार्यौ- 'संजिया....औ संजिया!' बरस तेरा-चवदा रौ संजय तावळौ-सो आयौ- 'हां दादी!' 'जा, सोनू नै लेय'र आ। ...ऊपर हुवैला।' संजय रै जाणै रै बाद सासूजी बोल्या- 'कांईं बतावां सगीजी थांनै.... औ सोनू सगळां रै हाडहील रैयौ है। म्हारै तौ स्सै टाबरां रौ खेलणियौ है।'
'साची कैवौ थे। पण म्हारै कानी भी देखौ। म्हां दोनूं बूढा-बूढी रै तो ईं बिण जाबक अंधारौ है।'
'.....तीन बरस रो जिलफ है। ....छोरै नै आवड़ैलौ कोनी औ!' सासूजी निसकारौ नाख्यौ। 'म्हारौ स्सै रौ जीव बळैलौ।'
डैणती कीं कोनी बोली। चुपचाप चा पीवती रैयी। फेरूं बात रौ मुहाणौ फोरती बोली- 'आजकाळै सरदी देखौ, कतरी पड़ै। ....थे तो हीटर लगा राख्यौ है। म्हानै तो सिगड़ी रौ ही सायरौ है।'
उणी ताळ संजय सोनू नै गोदी चक'र ले आयौ। सोनू रै आवता ही सूबेदारनी लफ'र वी नै आपरी खोळी में लेय लीन्यो। 'आव रे बेटा सोनू....'
सोनू उण ओपरी डैणती कानी भाळ्यौ। वो कसमसायौ अर फेरूं छटपटाय'र खुद नै छुडा'र तावळौ-सो साम्ही बैठी दादी री गोद में जाय बड़्यौ। दादी वीं नै केवट'र आपरै शॉल में लपेट लियौ। दादी री गीली आंख्यां कठै दूर देखै...थिर अर सूनी-सूनी।
सूबेदारनी थेलै सूं सोनू तांई लायोड़ा बिस्कुट अर गोळी निकाळ्या। 'लै बेटा, लै। म्है तेरै ई खातर लाई हूं, लै-लै, खा ले।' पण सोनू उण कानी देख्यौ ई कोनी। 'ले ले बेटा, म्है तेरी दादी हूं।'
सोनू रौ बाळमन इण झमेलै नै कियां समझै? ....उण री दादी तो आ ईज है, जिकी री गोद्यां में वौ बैठ्यौ है। वौ जिलफ इण जगत री वंस परम्परा नै कांईं समझै!
सिंझ्या नै पैली सतनारायण आयौ फेरूं हरिराम। दोनूं रामरिरखजी सूं मिल्या। उपरचंटी री दोयेक बातां करनै आयगा। रात नै स्सै जीम-जूठ'र आप-आप रै कोठा में बड़ग्या। सतनारायण ऊपरलै कमरां में रैवै। बडोड़ै भाई हरिराम रा टाबर नीचै रैवै। आ अेक जूनी चौकबंद हेली है, जिण में ऊपर-नीचै कई कोठा है। पुराणै जमानै रा ढोला डाट'र बणायोड़ा कोठा। उण वगत आम घरां में जंगळा-मोरी राखणै री चल कोनी ही। बस हेली डब्बी री जात बणवा लेवता। हरिराम अर सतनारायण रा जी सा आसाम में कपड़ै री दुकान करता। सस्तौ जमानौ हौ। कनै दो पीसा हुयग्या, सो हेली बणवा मेली।
नीचै हरिराम रै कोठै में आज टेलीविजन बंद हो। संजय अर छोटकौ अनिल आपरै मम्मी-पापा रा चैरां कानी देखै। सुस्त अर सूंतियोड़ा-सा। निजरां बचावता हुया। हरिराम रिजाई ओढ्यां सूत्यौ हौ। उणरी घरवाळी अर दोनूं टाबर अेक ई रिजाई में पग दियां बैठ्या हा। 'मम्मी, सोनू नै अै डैण-डैणती ले जासी?' संजय रो सुर कोठै में कांप्यौ।
'हां बेटा।'
'पण क्यूं? आपां कोनी लेजावण द्यां।'
'बेटा, आपणौ कांई जोर चालै। .....सोनू आं रौ ई है। आपणौ कोनी।'
'सोनू तौ आपणौ ई है। ....आं रौ कियां हुयौ?' संजय रौ बाळमन विरोध करै। काचै दिमाग में मम्मी री बात समझ सूं बारै ही।
मम्मी उथळौ कोनी दियौ। उण रा सबद कोठै री अमूंजती चुप्पी में तिरता रैया। कोठै में अेक अबोलोपण भरीजग्यौ।
छेवट हरिराम दोनूं टाबरां नै बोल्यौ- '...जाऔ सोवौ थारै कमरै में जाय'र।' दोनूं टाबरां आपरै पापा कानी देख्यौ। पापा रौ सगत चैरौ देखनै वै अणमणा-सा उठ'र आपरै कमरै में चल्या गया।
इणी तरै रौ सरणाटौ ऊपर सतनारायण रै कमरै में भी फैल्योड़ौ हौ। सतनारायण रा दोनूं टाबर भी औ ईज सवाल आपरी मम्मी सूं करै हा। सतनारायण रै पैलड़ी सूं सात बरस री छोटी अर पांच बरस रौ छोरौ है। छोरी पिंकी तौ सोनू रा घणा कोड करती रैयी है। कीं तौ छोरी री जात नै नानौ टाबर आछौ भी लागै, कीं सोनू है भी घणौ फूटरौ, बबुऔ-सो। पिंकी थोड़ी ताळ पैली ई बिमला रै कनै आय'र बोली ही- 'मम्मी म्हैं सोनू नै को लेजावण दूं ला। बड़ी मम्मी कैवै हा कै अै डैण-डैणती सोनू नै लेवण आया है।' तद बिमला कीं नी बोल'र पिंकी रै सिर माथै हाथ फेर्यौ। उण री आंख्यां भरीजगी। आंसू पूंछ'र बोली- 'कोनी देवां बेटा सोनू नै। जा अपणै माचै पर सोज्या।' छोरी चली गई।
सतनारायण अबी नीचै ही हौ। टाबर सोयग्या हा, पण बिमला री आंख्यां में कठै नींद। सिंझ्या नै वा रोटी भी नीं जीमी। काळजै में अेक ढीमड़ौ-सो बंधोड़ौ हौ उणरै। वा सोनू नै आपरै पासै सुवाण्यां ऊपर छात कानी पथरायोड़ी आंख्यां सूं ताकै ही। इत्तै में सतनारायण आयौ। आवता ई बोल्यौ- '...सूबेदारजी कोनी मानै। म्हैं घणौ ई समझायौ...कै अठै छोरौ सावळसिर पढ लेयसी। थे कीं बडौ हुजावै तद ले जाइज्यौ....सोनू थांरौ ई है....। पण वै टस सूं मस ई नीं हुया।'
बिमला फगत सूनी-सूनी आंख्यां सूं वीं कानी देखती रैयी। सतनारायण कपड़ा बदळ्या अर चुपचाप पिलंग रै अेक पासै रिजाई लेय'र लेटग्यौ। ....वौ बिमला नै कांईं हिमळास देवै, उणरै माथै कोनी ढुक रैयी। वो हिड़दै सूं चावै कै बिमला रौ जीव किणी बात नै लेय'र नीं दुखै। पण उणरौ परवार सूबेदारजी सूं हुयोड़ा कोल-बचन कियां तोड़ै? वौ अबी कैवणौ चावै हौ कै वै सुंवारै ई सोनू नै पक्कायत लेय जासी। पण वौ कीं नीं बोल्यौ। वौ जाणतौ हौ कै आ कैवण सूं बिमला नै तकलीफ हुसी। रात री टेम क्यूं कैवूं। सुंवारै आप ई ठाह लाग जासी। ....फेरूं आ भी तौ जाणै ई है।
दोनूं चुपचाप आप-आपरी रिजाइयां में लेट्या रैया। बिमला सोनू रै सिर माथै हाथ फिरावै। वा आपरौ आखौ हिड़दै उलीच'र उणनै पोखणौ चावै। उणरै काळजै में अेक उकळती डीक उठै। ...अरे रामजी...म्हारी कूख सूं तौ औ ई जलम्यौ....अर ओ ई अब बिराणौ हुय जासी...म्हनै दोय जलम दिखा दिया। ....जद-कद भी वा सोनू नै लडावै वीं रै रोहताश चेतै आ खड़्यौ हुवै! रोहताश! उणरौ पैलड़ो धणी! ...कितरौ लाड-कोड सूं ब्याव करियौ हौ उणरा मां-बापू। कैवता कै छोरौ घणौ फूटरौ अर गबरू जुवान है। सीआरपीएफ में रंगरूट है। सगाजी रामरिखजी रै घर कीं बात री कमी कोनी। ...अर साच्यांई जद बिमला सासरै पूगी उणरौ हियौ घणौ हरखीज्यौ। रोहताश अर उणरौ घर उणनै सुरग-सो लाग्यौ। रोहताश जैड़ौ भरतार अर लाडां-कोडां वा अेकली बीनणी। रोहताश तीन बैनां पाछै जाम्योड़ौ लाडकौ बेटौ हौ सूबेदारजी रौ। गाय-भैंस्यां रै धीणै में पळ्यौ सुपुठौ मोटियार। कितरो प्रेम करतौ वौ उणनै! जद भी छुट्टियां माथै घरै आवतौ, उणरै तांई भांत-भांत री चीजां लावतौ। ...फेरूं जद वो नौकरी तांई बावड़तौ तद उण रात वै दोनूं सोवता नईं। वा कैवती, आप आ नौकरी क्यूं करौ? छोडद्यौ! अठै आपणै जमीं है, धीणौ है, बापजी री पैंसन आवै....क्यां री कमी है? अठै रैयनै भी तो आप कमाय सकौ। आपां दोनूं खेती कर लेयस्यां। पण रोहताश हँस'र कैवतौ, जद तांई पैंसन रौ हकदार नीं हुय जाऊं, तद ताळ तौ नौकरी करणी ई पड़सी। बिचाळै छोडियां कांई फायदौ। फेरूं अठै थनै किण बात री कमी है!
......दोय बरस कितरा सुरंगा गुजर्या! जद सोनू गोद में आयौ तद सूबेदारजी अर सूबेदारनीजी आंगणै में नाचै लाग्या। उणरै हियै दाई-माई री दिरीजी बधाई मावै कोनी ही। ......रोहताश नै फोन करवा'र छुट्टियां माथै बुलायौ। इण रै बाद दसोटण रौ ठाडौ-सो जीमण हुयौ गांव में। उण री तीनूं नणदां नै अेक-अेक सोनै रौ हारियौ दिरायौ सूबेदारजी। घर में जाणै गणपत-गौरजा आयोड़ा हुवै। आखौ घर इण उच्छव में हळाडोब हुयोड़ौ रैयौ। सोनू रा कितरा कोड करिया कुणबै री भुवा-भतीज्यां-नणदां। पीरै रौ आखौ कुणबौ छुछक लेयनै आयौ.....बाजा बाजिया। स्सै नेगचार संपूरण हुवणै रै बाद रोहताश ड्यूटी माथै जावण री तियारी करै लाग्यौ। ....इबकाळै वा रोहताश नै आ नीं कैई कै आप नौकरी छोडदौ। वा जाणै अपणै आप में पूरण हुयगी हुवै। वा रोहताश रै अंस नै गोद में लेय'र मोद में बिलम्योड़ी रैयी। बस इत्तौ ई कैयौ- 'तावळा ई आवज्यौ...।' तद रोहताश उणनै छाती सूं लगा ली ही। फेरूं वो सोनू रै सिर माथै हाथ फेरियौ, चूमियौ। बोल्यौ- 'म्हैं चालूं.....नानकियै री ख्यांत राखजै....।'
रोहताश चल्यौ गयौ। वा दिन-रात सोनू उपरां मोरनी-सी मंडी रैवती। जद वा उण नै आपरौ दूध चुंघावती तद वा आणंद रै अेक सागर में जाणै डुबकी लगा रैयी हुवै। पोखण रौ औ सुख कोई मां ई जाण सकै। स्यात किणी मां रै तांई ओ ईज बरमानंद हुवै।
.....पण नीं जाणै किण री निजर लागी या रामजी नै उण रै परवार रौ सुख नीं सुहायौ। सोनू छव म्हींना रौ ई हुयौ हौ कै उण रौ सारौ सुख-चैन अेक ई तोफाणी फटकार सागै फूस-पानड़ां री दांई बिखरग्यौ। रोहताश री ड्यूटी झारखंड मांय नक्सल प्रभावित खेतर में लाग्योड़ी ही। रोहताश री ट्रुप कठै ई जावै ही। नक्सलियां री लगायोड़ी बारूदी सुरंग री फेट में वां रौ ट्रक आयग्यौ। उण विस्फोट में रोहताश री मौत हुयगी। साथै और भी कैई जुवान शहीद हुया।
बिजळी पड़ै जद कैई-कैई दूर तांई धमीड़ सुणीजै। पण जठै वा पड़ै वठै ई उण रौ कोप जाणीजै। रोहताश री मौत रौ समचार सूबेदारजी रै घरै अेक गाढी दमघोटू बजराक री तरियां आयौ। औ समचार भाईबंध अर गांव रै मिनखां रौ सैकारौ निसारतौ हुयौ सूबेदारजी रै घरां बड़्यौ। आखी गुवाड़ी मिनखां सूं भरीजगी। अेक गाढै मून में चिणियोड़ा लोग....औ कांई हुयौ...अेक ई छोरौ हौ सूबेदार रै....ओऽऽह....
सूबेदारजी अर वां री जोड़ायत पाथर बणग्या अेक हबकै साथै। ......अर बिमला? उण री दुनिया में तो जाबक अंधारौ हुयग्यौ। रोहताश री ल्हास तीन दिनां सूं गांव पूगी। इण बिचाळै सूरज तीन बार उगियौ अर आथम्यौ। पण उण रै तांई तौ वौ अेक साबत अतूट वगत हौ, जिण में अेक गाढौ सरद कर देवण आळौ धुंधळकौ भरियोड़ौ हौ- अकास सूं वां रै हियै तांई पसरतौ हुयौ।
रोहताश री ल्हास अेक ताबूत में बंद आयी। स्यात ल्हास बिडरूप हुवणै सूं खोलीजी कोनी। बिमला उण बक्सै उपरां गिर'र ढां-ढां रोई। लुगाइयां उणनै मुस्कल सूं संभाळी....म्हैनै अेकबर मूंडौ दिखाद्यौ....। पण उण री चिरळाटी अकास बिलो'र रैयगी। जिकौ तय हौ वौ ई हुयो। साथै आया रंगरूट-सारजेंट ताबूत माथै तिरंगौ बिछायौ। बिमला री चूडिय़ां साथै उण रै हाथ सूं ताबूत माथै फूल चढवाया गया। उण वगत वठै अेक हाहाकार मचग्यो जद छव म्हींना रै सोनू रै माथै सफेद चंदण रौ टीकौ पिंडत कर्यौ। स्यात तद वठै मौजूद लोग-लुगाई ई नीं आभौ भी रौ पड़्यौ हुवैला। भोळै सुसियै-सो सोनू इण दुनिया नै नीं जाणै किण ढब देखी हुवैला। फेरूं अेक जणौ सोनू नै गोदी लियां रोहताश रै दाग वास्तै साथै लेयग्यौ....
इण रै बाद गीली-सूकी आंख्यां सूं वगत बेतीत हुवै लागौ। बिमला रै तांई अब रोहताश रो अंस सोनू ई फगत स्हारौ हौ। सोनू ई उण री दुनिया ही। उण री ई क्यूं सूबेदारजी अर सूबेदारनी रै खातर भी जीवणै रौ बहानौ फगत सोनू ई हौ। वगत तौ वगत हुवै। वो कांई-कांई दिखावै मिनख नै देखणौ पड़ै। बिमला वौ दिन भी देख्यौ जद वा पन्द्रह दिनां बाद आपरै पीरै गयी। जिण घर सूं सुहाग रौ चूड़ौ पैर'र गयी, वठै बिमला रै डंडा हाथां में चांदी रा बिलिया हा। किणी डीकरी रौ विधवा हुय'र आपरै पीरै बावड़णौ स्सै सूं बडौ दुख हुवै उण घर खातर। विधवा बेटी नै देख'र मिनख ई नईं घर री भींतां भी रौ पड़ै। मोटियार तो चुपचाप रोवै पण लुगायां आपौ खो देवै। बिमला सारू फेरूं रोहताश री ल्हास आवण रौ चितराम आंख्यां सांमी घूमै लागौ। संगी-साथण्यां जकी ब्याव री टेम उण सूं गळै मिळी उण साथण्यां रै कांधां माथै वा बाड्योड़ै बिरछ-सी पडग़ी।
बिमला दोय बर म्हींनै-बीस दिनां रै फेर सूं पीरै-सासरै आयी-गयी। अब उणरै पीरै में दबी-दबी ठस्स जबान सूं उणरै भविस री चिंताभरी चरचा हुवै लागी। सुबेदारजी रै कड़ूंबै में कोई कुंवारौ छोरो कोनी हौ, नीतर वै उणनै खोळै लेय लेवता। वां री रिस्तैदारी में भी कोई गोद लेवण जैड़ौ छोरौ निजर नीं आयौ।
इण चिंतावां सूं दूर बिमला आपरौ जीवण सासू-सुसरा री सेवा में बेतीत करणै रौ पक्कौ इरादौ कर लियौ। ....ले जीवड़ा, जिकी हुई सो हुई, अब आं बुढै-बुढिया नै कळपता क्यूं छोडूं... सोनू कदी तौ मोटियार हुवै ई लौ। औ ई इण घर रौ चिराग है। म्है ईं नाजोगै वगत नै छाती माथै सिल धर'र गुजार देसूं....
पण तीजीबर वा जद पीरै गयी तौ उणरौ बापू उणनै काठी करली। सूबेदारजी कीं दिनां पाछै लेवण आया। बापू उणनै साव नटग्या। बोल्या- 'म्हैं म्हारी बेटी नै आखौ जीवण यूं बैठी नै नीं काटणै द्यूं। अबी इणरी उमर ई कित्ती है? थारै कनै मोटियार कोनी, .......पण म्हैं ढूंढसूं।' आ सुण'र सूबेदारजी री आंख्यां भरीजगी। बिमला भी आपरै सुसरै री हालत देख'र गळगळी हुयगी। वा कोठै सूं निसर'र बापू नै कैवणौ चावै ही कै बापू थे आं री आत्मा मती दुखावौ। म्हैं इज्जत सूं टेम गुजार देसूं। पण वा बापू रै सांमी बोल नईं सकी। वा कोठै रै अेक कूणै में जाय'र रोवै लागी। अेक कानी उणरौ घर हौ अर अेक कानी उणरै मां-बाप रो निरणय।
वा गतागम में उळझी दोनुंवां रै बिचाळै मून मूरत बण'र रैयगी।
वगत बीत्यौ। वगत स्सै घाव भर देवै। छेवट दोनूं पखां रै बिचाळै राजीनांवौ लिख्यौ गयौ। रोहताश रै नांव मिळी मोटी रकम अर पैंसन रा हकदार सूबेदारजी बण्या। बिमला रौ गैणौ-गांठी भी वां रै सुपरद कर दीन्यौ। इण फैसलै री भी लिखत हुई कै सोनू रोहताश री संतान है, ईं वास्तै उण माथै सूबेदारजी रौ हक है। उण वगत बिमला सूबेदारजी रा पग पकड़'र आ भीख मांगी कै सोनू नान्हौ जिलफ है, आप कीं वगत बाद इणनै ले जाइज्यौ। वठै हाजर पंचां भी सूबेदारजी सूं मिनखीचारै रै पेटै आ ई अरज करी। सूबेदारजी मानग्या।
वगत रौ पईयौ घूम्यौ। घर में कीं सुगबुगाट हुवै लागी। बापू मां नै कीं बतावता। बापू री भागादौड़ी बधगी ही। वै कईबर गायंतरौ करता। आवता-जावता, कदी अेकला, कदी कीं रै साथै। छेवट अेक दिन मां उणनै पासै बिठा'र कैयौ, 'देख बिमला, थांरौ बापू सीकर में अेक मोट्यार देख्यौ है। दूजबर है, पण उमर में तीसेक बरस रौ ई है। मास्टर है। सरकारी नौकरी है। अबी लारलै दिनां उणरी लुगाई चालती रैयी। आछौ कमावतौ-खावतौ घर है। चोखी हेली है। मास्टर रौ बडौ भाई बजार में दुकान करै। ...बस अेक कमी है। मास्टर रौ ओपरेसन करवायोड़ौ है। अब थूं सोच ले....। म्हे तौ चावां थूं सुखी-सोरी रैवै।'
बिमला कीं नीं बोली। सोच्यौ, म्हैं कांई कैवूं? जो करणौ है थांनै करणौ है। वा टुकर-टुकर आपरी मां कानी भाळती रैयी। बापू कोई बात कर'र आया हुवैला। उणी हिसाब सूं दूजै दिन अेक सलीकै आळौ मोट्यार आयौ। औ वौ मास्टर ई हौ जिणरौ जिकर मां कर रैयी ही। वा चाय लेय'र उण कनै बैठक में गयी। दोनूंवां अेक-दूजै नै देख लिया। चाय पीवती बरियां वो कैयौ, 'म्हारै अठै थांनै कीं तरै री तकलीफ नीं हुवैला।' वो आपरै साथै कीं फळ-मिठाई भी लायौ हौ।
....अर अेक दिन आछा दिनबाड़ी देख'र अेक सांझ उणरौ गांठ रौ नेग हुयौ अर वा कार में बैठ'र सोनू रै साथै मास्टर सतनारायण रै घरै आयगी। अेक अणजाण घर! सासू, जेठ, जिठाणी अर वां रा टाबर....। उण वगत टाबर उणनै अचूंभै सूं ओळखै हा। परींडै में धोक लगाव'र वीं नै आंगणै बिचाळै पीढै बिठाई गयी। नवी सासू अर जेठाणी उणनै मूं दिखाई दीवी। उणरा घणा कोड कर्या। सोनू उणरै काळजै सूं चिप्यौ कबूतर री दांई टुकर-टुकर देखै- नवी लुगाइयां.....नवा टाबर....नवा आदमी....।
देर रात नै जेठाणी उणनै ऊपर लेयगी। सोनू सोयग्यौ हौ। वा सोनू नै आपरै कांधै चिपायां पेडकाळै चढी। वा जाणती ही कै उणनै अपणै नवै मोट्यार कनै जावणौ है। ऊपर कमरै री चौखट तांई पूगा'र जेठाणी नीचै गयी परी। भीतर कमरै में सतनारायण पिलंग माथै लेट रैयौ हौ। उणरै भीतर आवता ई वौ उठ बैठियौ। वा सोनू नै पिलंग रै अेक पासै सुवाण दीन्यौ।
अै गरमी रा दिन हा। छात ऊपरां पंखौ चालै हौ। वै दोनूं पिलंग माथै लेट्योड़ा जाबक मून हा। फगत पंखै री फर्र-फर्र कमरै में सुणीजै ही। ...अेक लाम्बौ अबोलौपण....।
सतनारायण रै दिमाग में कांई चाल रैयौ हौ, इण रौ तौ बिमला नै मालम नीं, ......पण उणरौ हियौ तर-तर भीजै हौ। ....आ क्यां री सुहागरात है रे रामजी....? लुगाई री सुहागरात तौ अेक ई हुवै। वा हुई ही रोहताश रै साथै। ....रोहताश! ....अर यादां रा भंवर! उण री छाती में अेक धीमड़ौ-सो बंधग्यौ अर वो छाती सूं उठ'र उण रै कंठां में आय अटक्यौ। वा पूठ फोर ली। साड़ी रौ पल्लौ मूं रै आगै लगा'र रोवै लागी..... रोहताश थूं क्यूं चल्यौ गयौ रे....आज म्हारौ अदब दूजौ मरद उघाड़सी। ....लोक व्यौहार में रोहताश थांरौ घर छूटियौ....म्हैं मां-बाप रौ दुख मेटण तांई औड़ी में आयगी। ....अरे रामजी! थूं म्हनै दूजौ जलम दिखा दियौ......। वा टूट-टूट'र रोवै लागी।
सतनारायण तावळौ-सो उणरै कनै सरक्यौ अर बिमला रौ मूंडौ आपरै कानी करनै बोल्यौ- 'ओ कांई बिमला! ...थूं रोवै क्यूं है! ....बिमला, समझ सूं काम ले...ईयां नीं कर्या करै बावळी।' वौ उणरा आंसू पूंछ्या। '...थूं मेरै घरै आयी, औ थांरौ अैहसान है। ...म्हैं थांनै फूलां सूं तोली राखूंला। थनै किणी तरै री खिंख्या कोनी झेलणी पड़ैली अठै। थांरौ औ सोनू भी म्हारौ है। जदि थूं आ समझै कै म्हारा दोनूं टाबर थांरै गळै घलग्या, तौ थूं बेफिकर रैव....। म्हारी मां वां नै राख लेयसी। ....थूं रो मत।' अतरी कैय'र सतनारायण उणनै आपरी छाती सूं लगा लीनी। बिमला उणरी छाती में मूंडौ दियां कैयी ताळ सुबकती रैयी। सतनारायण आपरी समझ सूं वीं नै धीजौ दिरायौ, पण बिमला रै अंतस री पीड़ वौ कियां जाणतौ।
दूजै दिन सूं ई वगत रा पांवडा आगै बधै लागा। इण घर में उणरौ घणौ मान राख्यौ जावण लाग्यौ। सासू अर जेठाणी रौ सुभाव सळियौ हौ। हळवां-हळवां स्सै टाबर उण कनै हीलग्या। जेठ रा टाबर उणनै चाची अर सतनारायण रा टाबर उणनै मम्मी कैवै लागा। .....अर उणरौ सोनू! सोनू तो स्सै रौ लाडलौ बणग्यौ। सोनू उण स्सै टाबरां सूं फूटरौ हौ। स्सै बाळकिया उणनै गोदी चक्यां डोलता। बिमला इण नवै जीवण में बिलमगी। सतनारायण रौ सुभाव सधीरौ हौ। बस बिमला री छाती में फगत सूबेदारजी रौ वौ करार सेल री दांई चुभतौ रैवतौ। ....वै म्हारै सोनू नै लेय जासी। इण भौ सूं वा कदी-कदी रात नै चिमक'र उठ जावती। फेरूं उणनै नींद नीं आवती। सूती-सूती टाबर री चिंता रै अळुझाड़ में फंसी रैवती। लारली बार जद सूबेदारजी रिसाणां हुय'र गया हा, उण रै पाछै अेक रात उणनै सुपनौ आयौ। ...जाणै सोनू अेक ऊंडी खदान में जाय पडिय़ौ, अर वौ हेलौ मारै...मम्मी-मम्मी, म्हनै निसार मम्मी। वा खदान रै ढावै ऊबी बेबस कुरळावै.....। सतनारायण उणनै गथौळ'र जगावै- बिमला...चेतौ कर। वा जागी। सतनारायण बोल्यौ- 'ईयां कियां बरड़ावै ही...।' वा कीं नईं बोली। फगत सोनू नै आपरै कनै सिरका'र छाती सूं चेप लियौ।
सूबेदारजी दिनूगै तावळा ई उठ गिया हा। नितकर्म सूं फारिग होय'र वै आपरी जोड़ायत नै भी जल्दी तियार हुवण रौ कैयौ। वै रवानै हुवण री जल्दी करै लागा।
आज इण हवेली रौ सूरज उदास-सो उग्यौ। सवेरै री ठंड में स्सै गरम शॉल-सुटर पैर्यां हा। पण स्सै चुपचाप। जाणै स्सै नै सांप सूंघ गियौ हुवै। उठतां ई टाबर आप-आपरी मावां नै पूछै- 'मम्मी, सोनू अठै ई रैयसी नीं?' मावां रौ छोटौ-सो जवाब- 'हां बेटा।' बिमला मांय ई मांय कळपै। .....ले रामजी, थूं दोय जलम तौ दिखा दिया। आज औ तीजौ जलम बाकी है। म्हारी कूख रौ जायोड़ौ मेरौ लाल अब बिछड़सी।
हरिराम अर सतनारायण दोनूं भाई आ तय करी कै टाबरां नै स्कूल चल्या जावण द्यौ। नीतर टाबरां माथै माड़ौ असर हूसी। सूबेदारजी नै हरिराम समझाया। बठीनै सोनू नै आपरै जीवण में आवण वाळै इण मोड़ रौ अंगैई ठाह कोनी हौ। वौ रोजदिन री तरियां दूध पीय'र फुदकतौ फिरै हौ। कदी दादी कनै, कदी बड़ी मम्मी कनै। .....बडोड़ै टाबरां साथै नास्तौ कर्यौ। स्कूल जावता नै टाटा, बाय-बाय करी। टाबरां रै स्कूल जावण रै बाद बिमला सोनू नै नुहाबा नै बाथरूम में लेयगी। ....तातौ पाणी...साबण...। सोच्यौ, आज औ आखरी सिनान.....। आंसू चाल पड़्या। सोनू बोल्यौ- 'मम्मी, तूं लोवै क्यूं है...?' सोनू रै इण सबदां साथै वा और घणी फाटी। वा सिनानघर रा किंवाड़ जड़ लिया।
स्सै तियार हुयग्या। सतनारायण बजार जायÓर सोनू वास्तै नवा गाबा, सूट-सुटर, बिस्कुट, टॉफी, रामतिया ल्यायौ। सोनू नै बधका कपड़ा पैनाया। उणरै नवा-पुराणा कपड़ा अर दूजी चीजां सूं अेक बडौ-सो बेग भरीजग्यौ। सोनू घणौ राजी। पण बिमला, जेठाणी अर उणरी सासू आंसू पूंछै। सोनू भोळी-भाळी निजरां सूं स्सै नै देखै। उणरै कीं समझ नीं ढूकै। पण जद सूबेदारजी उणनै गोदी लेयÓर चालण लाग्या तौ वौ अरड़ावै लागौ। उणरी गोदी सूं जोरामरदी छिटक'र आपरी मम्मी कन्नै आयग्यौ।
सोनू नै भुळाणै री चेष्टा हुयी, पण वौ नईं मान्यौ। वौ दूणौ चौसार हुवै। आखिर हरिराम कैयौ- 'बिमला, थूं अर सतनारायण सागै चल्या जावौ। टाबर है, कोनी मानैलौ। सतनारायण स्कूल में फोन करनै छुट्टी लीनीं। फेरूं सोनू नै गोदी लेय'र बिमला साथै ठेसण कानी बहीर हुयग्या। जावती टेम बडी मम्मी सोनू नै सौ रिपिया दिया। दादीजी भी उणनै पचास रौ नोट दियौ। दोनूं जणी झरती आंख्यां सोनू रौ सिर पळूंस्यौ।
टेसण पूगणै रै बाद बिमला सतनारायण नै बोली, 'आपां जद सोनू नै गाडी चाढ देवांला तो हूय सकै औ पूठौ कूद पड़ै। सूबेदारजी नै भी संका हुयी। वै बोल्या, थे नूंवां तांई साथै चालौ। छेवट उणनै नूंवां तांणी छोडणौ तय हुयौ।
सीकर सूं नूंवां री टिगट कटा'र वै च्यारूं जणां गाडी में बैठग्या। बिमला ओलौ काढ राख्यौ हौ। ईं सूं उण री झरती चुरड़ आंख्यां दूजां नै निगै कोनी आवै ही। सोनू घणौ राजी हौ। वौ समझै हौ कै आज मम्मी-पापा उणनै घुमावै है।
डोडै'क घंटा मांय नूंवा टेसण आयगी। सगळा गाडी सूं उतरग्या। घंटाभर पछै अठै सूं सीकर खातर वापसी री गाडी आवणी ही। इण वास्तै सतनारायण सूबेदारजी नै कैयौ कै म्हे अठै बैठ्या हां, आप पधारौ। सूबेदारजी सोनू रौ बैग कांधै चक'र वीं नै गोदी लियौ। 'जा बेटा' कैय'र सतनारायण उणरै सिर उपरां हाथ धर्यौ। इत्तै में सोनू सूबेदारजी री बूढी गोद सूं उछळ'र आपरी मम्मी कनै भाज्यौ। बिमला वां सूं कीं परै आपरौ जीव लियां ऊभी ही। सोनू आपरी मम्मी री टांगां सूं जाय'र चिपग्यौ। वौ उणनै काठी पकड़ली। मजबूरी में सूबेदारजी अर सूबेदारनी टेसण माथै बैठा रैया। अब लुहारू कानी सूं आवणवाळी पैसेंजर री उडीक ही। सोनू रौ बाळमन अणजाण खतरै री गंध मैसूस करै लागौ। औ टेसण रौ ओपरौ वातावरण, ओपरा लोग, मम्मी-पापा रौ अबोलौपण अर वै दोनूं बिराणा डैण-डैणती....। वौ डरियोड़ौ कबूतर दांईं इन्नै-बिन्नै देखै। फेरूं वौ सैंगबैंग हुयोड़ौ आपरी मम्मी रै पल्लै नै खींचै...मम्मी, घलै चालां...मम्मी घलै चालां.....ऊं.....ऊं...। बिमला कांईं बोलै!
छेवट बिछोह री घड़ी आयगी। अगूण कानी सूं गाडी धड़धड़ावती टेसण माथै आयी। वै खड़्या हुयग्या। गाडी रुकी। अठीनै सोनू आपरी मम्मी नै नीं छोडै। वा वीं सूं बच'र गाडी चढणी चावै, पण वौ उणनै नीं छोडै। स्यात आगत रै संकट नै वौ समझग्यौ हौ। गाडी कीं ताळ ढबी रैयी। इंजण सीटी मारी। सतनारायण गेट माथै चढ'र बिमला नै आवणै रौ कैयौ। बिमला सोनू नै गोदी लियां डब्बै रै नजीक गयी। गाडी सरकी। अतरै में सूबेदारजी झपटौ मार'र सोनू नै आपरी कोळी में ठाडौ भींच लियौ। सतनारायण बिमला नै हाथ पकड़'र चढाई। गाडी बहीर हुयगी। सोनू बेतरां हाथ-पग मारै.... 'मम्मी...म्हैं कोनी जाऊं...मम्मी....मम्मी!' मां री ममता गाडी रै बारै उलाळी खावै। उणरौ काळजौ उबळै। सतनारायण उणनै थाम'र भीतर लेवै। गाडी री स्पीड बधगी। वा सतनारायण री छाती में मूंडौ गडा'र गाय री तरियां डिडावै...। घणी ताळ तांई उणनै लागै जाणै सोनू 'मम्मी-मम्मी' करतौ गाडी रै लारै भाज्यौ आवै है।