तीन क्रिकेट-कथा फिल्में / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :17 जुलाई 2015
इस समय तीन क्रिकेट-कथाओं पर फिल्में बन रही हैं - एम.एस धोनी बायोपिक, अजहरूद्दीन बायोपिक और काल्पनिक उपन्यास 'जोया फैक्टर' से प्रेरित फिल्म। धोनी बायोपिक की शूटिंग जून से अगस्त कर दी गई है क्योंकि शूटिंग पूर्व तैयारी पूरी नहीं हुई थी। धोनी की भूमिका सुशांत कर रहे हैं जो पहले 'काय पो छे' और "पीके' में नाम कमा चुके है। अजहरूद्दीन की भूमिका में इमरान हाशमी हैं और एकता कपूर निर्माण कर रही हैं। अफवाह यह है कि पहले धोनी को जिस इंवेंट कंपनी का मालिक बताया गया था, वह कंपनी बायोपिक के निर्माण में सहायता कर रही है। यह अफवाहें शायद इसलिए फैलीं कि धोनी के प्रिय जडेजा और रैना का काम वही कंपनी करती है। धोनी का अपरोक्ष रूप से उस कंपनी का मालिक होना सिद्ध नहीं हो पाया। सामान्य जीवन में भी झूठ जंगल की घास की तरह फैलता है और सत्य का पौधा जंगल घास से घिरा होने के कारण पनप नहीं पाता परंतु धरती की भीतरी सतह में मौजूद होता है और कभी-कभी ज्वालामुखी बनकर लावा उगलता है।
बहरहाल धोनी छोटे शहर के मध्यम वर्ग परिवार का युवा है जो फुटबॉल खेलते हुए क्रिकेट में जा पहुंचा। अजहरूद्दीन हैदराबाद के इतने गरीब घर में पैदा हुआ कि क्रिकेटिंग किट उसे टेस्ट में चुने जाने के बाद नसीब हुआ और शृंखला में लगातार तीन शतक जड़ कर वह सितारा बना। फिल्म की कहानी के लिए गरीब घर में जन्मा नायक दर्शक की सहानुभूति पा जाता है और आम जनता के टिकिट आधारित उद्योग में प्राय: गरीब नायक लिया जाता है परंतु पूरी फिल्म छद्म समाजवादी स्वरूप लेती है और 'लेफ्ट' की ओर झुकाव के बावजूद सारी फिल्में अपरोक्ष रूप से पूंजीवाद की ही पोषक सिद्ध होती हैं। यहां तक कि 'हंसिया हथौड़ी' के चिन्ह को अपनी कंपनी का प्रतीक चिन्ह बनाने वाले मेहबूब खान की कोई भी फिल्म सच्चे अर्थ में समाजवादी नहीं है। छद्म समाजवाद पूंजीवाद का मुखौटा है। बाजार की सबसे बड़ी सफलता यह है कि उसने मध्यम व गरीब वर्ग को अपनी आय में अय्याश बना दिया है, अत: क्रांति की संभावना ही समाप्त कर दी परंतु सत्य के जंगल घास की अधिकता के कारण नहीं पनप पाने वाले सत्य पौधे की तरह क्रांति भी धरती की निचली सतह पर भटकते हुए कहीं न कहीं ज्वालामुखी के रूप में लावा उगलेगी।
तीसरी क्रिकेट कथा 'जोया फैक्टर' की नायिका विज्ञापन कंपनी में क्रिकेट खिलाड़ियों की फिल्में शूट करती हुई टीम की लकी मेस्कोट मानी जाने लगती हैं और मजेदार घटनाक्रम में उसकी व कप्तान की प्रेम-कथा बनती है। प्राय: क्रिकेटर अनचाहे ही अंधविश्वास पालते हैं कि फलां बल्ले व फलां अन्डरवियर पहनकर शतक जमाया था तो उसे फटने तक दोहराना है। क्रिकेट को 'बाय चांस' स्थापित करते ही आपने सट्टे के लिए जमीन तैयार कर दी। भारत में क्रिकेट व सिनेमा की लोकप्रियता के पीछे भी उसका भाग्यवादी होना और सट्टे का अवसर देना हो सकता है।
अब भारत में क्रिकेट बड़ा व्यवसाय है और आईपीएल तमाशे के आते ही इसमें व्याधियां उभर आई हैं। जिस देश में बिजली व पानी हजारों गांवों में उपलब्ध नहीं, उस देश में क्रिकेट तमाशे में कितने वॉट बिजली और ग्राउंड के लिए कितने करोड़ लीटर पानी जाया होता है इसका कहीं कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। बहरहाल धोनी की फिल्म का क्लाईमैक्स क्या होगा? अजहर के साथ प्रेम-कहानी जुड़ी है और एक त्रासदी भी जुड़ी है कि उसका बेटा उसके द्वारा भेंट मोबाइक की दुर्घटना में मर गया। अजहर तो राजनीति से भी जुड़े हैं।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने चेन्नई व जयपुर टीमें प्रतिबंधित की हैं तो क्या मय्यपन सट्टे के खेल में कप्तान से बात नहीं करते थे? मुद्गल समिति की पूरी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं हुई है और उस गोपनीय लिफाफे में किन तीन खिलाड़ियों के नाम हैं? कोहरा छाया है। यह बात आज तक समझ नहीं आई कि बिशनसिंह बेदी, सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और वी.लक्ष्मण जैसे लोग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के निर्णायक सदस्य क्यों नहीं हैं? यह भी समझ के बाहर है कि शरद पवार, अरूण जेटली, अमित शाह जैसे राजनेता 'सीधे बल्ले' के लिए प्रसिद्ध क्रिकेट में कौन सा 'बांया' फेंक रहे हैं?