तेरी बेटी मेरी बेटी / शोभना 'श्याम'

Gadya Kosh से
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अरे लक्ष्मी! ज़रा जल्दी हाथ चला न, बच्चे स्कूल से आते ही होंगे। अभी तक खाना नहीं तैयार हुआ और तेरी बेटी खाली ही तो बैठी है, इसे भी कुछ काम दे-दे तो जल्दी निबट जायेगा। "

"अरे भाभी, अभी तो छोटी है ये, आज इसके स्कूल की छुट्टी थी सो ले आयी अपने साथ। अभी ऐसे काम करने की उम्र कहाँ है इसकी।"

"इतनी भी छोटी नहीं लगती।"

"क्या बात कर रही हो भाभी, मुश्किल से नौ-दस साल की हुई होगी।"

" तो तुम लोगों में तो इतनी बड़ी लड़कियाँ सारा काम करने लग जाती हैं। सामने वालों ने जो लड़की रखी हुई है, उसे देखा है न तूने? इतनी ही बड़ी है, घर का सारा काम करती है और तूने इसे निठल्ली बना रखा है। ... और कुछ नहीं तो सब्जी ही कटवा ले। कम से कम चाय बनाना तो सिखा, तुझे भी सहारा हो जायेगा।

"मम्मा ।"

"अरे! आ गए मेरे बच्चे! मेरे सोना। थक गए न मेरे बच्चे। लक्ष्मी ज़रा इससे कह, बच्चों को पानी ला दे।"

"मम्मा! आपको मालूम हैं? आज हमने एस.यू.पी डब्लयू में सेंडविच बनाने सीखे।"

"अच्छा वैरी गुड! कैसे बनाये?"

"पहले हमने वेजिटेबल्स काटीं, फिर ब्रेड को ।"

"क्या ...? तुमने सब्जियाँ खुद काटीं? ओह माई गॉड! अगर हाथ कट जाता तो ...! दिमाग खराब हुआ है तुहारी टीचर का? सिक्स क्लास के बच्चे से सब्ज़ियाँ कटवा दी।"

"लक्ष्मी माँ-बेटी का वार्तालाप सुन कर, कभी अपनी बेटी, तो कभी मालकिन की बेटी की तरफ देख रही थी।"