त्रिकोण / शमशाद इलाही अंसारी
Gadya Kosh से
उसने एक दिन आज से पूछा कि तू इतना विकृत, विखण्डित, दुखी,रुग्ण,निर्वीय,दयनीय और आशाहीन क्यों हैं? आज ने उत्तर दिया, तुम कल आना मैं कल से पूछकर जवाब दूँगा. अगले दिन वह फ़िर आज के पास पहुँचा
आज ने कहा कि तुम कल आना क्योंकि कल ने कल से ये प्रश्न पूछा है, उसे जवाब मिलने में समय लगेगा, तुम कल आना, शायद मैं तुम्हे कोई उत्तर दे सकूँ.
उत्तर पाने के लिये वह तब तक चक्कर काटता रहा जब तक वह आज का रहस्य न जान गया