थैंक्यू / मधु संधु
एक मलाई कोफ़्ता, एक कढ़ाई पनीर, एक दाल मक्खनी, एक बिरयानी और दो बटर नॉन।
आर्डर करने के बाद बीस मिनट प्रतीक्षा करते रहे। पानी आया, प्लेटें लगी, नेपकिन बिछे, बैरा खाना लाया, सभी व्यस्त हो गए। बीच में एक बार चम्मच बजाना पड़ा। लाल कोट वाला बैरा तेजी से आया-
"जी सर।"
"एक दाल और तीन नॉन प्लीज।"
जब तक वह यह सब लाया, बाकी की चीजें ठंडी हो चुकी थी।
"थैंक्यू" उन्होंने कहा।
जब यह मालरोडीय सभ्य परिवार उठा, तो प्लेटों में जूठन का नाम-निशान नहीं था।
आइस क्रीम बार से आइस क्रीम ली, थैंक्यू बोला और कार में बैठ खाने लगे।
विभा ने खाना बनाया। डायनिंग टेबल पर लगाया और पति- बच्चों की प्रतीक्षा करने लगी। पालक पनीर, कढ़ाई गोभी, दही बड़े, गाजर का हलवा, पूरियाँ वगैरह। अमित ने ढेर सारी गोभी प्लेट में डाली और आलू जूठन की तरह फेंक दिये। निधि ने दही –बड़े से नाक मुंह सिकोड़ा। कृति ने एक कम फूली पूड़ी को ऐसे पकड़ा, जैसे दोष बनाने वाले का हो। खाने के बाद गाजर का हलवा प्लेटों में ऐसे डाला जा रहा था मानों उनके साथ ओवर इटिंग का कोई षड्यंत्र किया जा रहा हो। विभा पर खाना खाने का अहसान लादते हुए सभी धीरे-धीरे उठ गए. किसी के पास उसके लिए थैंक्यू नहीं था।...