दंगा / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

Gadya Kosh से
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सम्राट महेन्द्र गोप के फांसी के एकेस महिना बाद आजादी रो घोषणा होय गेलै। देश भी दू भागोॅ में बँटलै आरो सोनमनी मड़रोॅ के सौसे परिवार भी तार-तार होय केॅ बँटी गेलै। आपसी विद्वेष यहाँ तक बढ़लै कि लाठी, फरसा, तलवार तलक चललै। लालजी आरो अधिकलाल मड़रोॅ में तेॅ संपत्ति के बँटवारा होवेॅ करलै, लालजी मड़रोॅ के चारोॅ बेटा भी फरक होय गेलै। माल-मवेशी सब रनभन होय गेलै। गोमाता लक्ष्मी के बँटवारा होतै जे भजहा रोग गाय में फैललै से आधोॅ सें अधिक मवेशी मरी गेलै, जे बचलै सेवा आरो रखरखाव के अभाव में रायछित होय गेलै। शिक्षा नै होयके कारण अहंकारें घेरै छै। चार सौ बीघा जमीन देखी केॅ सब बौराय गेलोॅ छेलै। जैवां छोटका भाय अधिकोॅ तरफें रहना स्वीकार करलकै।

ई उ$ समय छेलै जबेॅ सौसे देशोॅ में हिन्दू-मुसलमान के बीच दंगा फैली गेलोॅ छेलै। पाकिस्तान सें हिन्दू आरो हिन्दुस्तान सें मुसलमान भागी रैल्होॅ छेलै। धर्म आरो सीमा के नाम पर अत्तेॅ बड़ोॅ भीषण मारकाट, लूट, हिंसा, बलात्कार संसार में कहियो नै होलोॅ होतै। कल तांय जे साथें रहेॅ छेलै, अपना नांकी मिलीजुली केॅ हाँसै बोलै छेलै, वहेॅ एक दोसरा के जान रो दुश्मन होय गेलोॅ छेलै। यै दंगा में अत्याचार के सबसें बड़ोॅ हिस्सा बेचारी औरत के ही तकदीर में एैलोॅ छेलै।

मिर्जापुरोॅ में भी बीस-पच्चीस घोॅर मुसलमान छेलै। ताहिर, धन्नी, हारून, झब्बू मिंया सौसे मिंया टोली में अच्छा-खासा औकात वाला छेलै। समझदार आरो मिलनसार भी। एक दिन अनायास सैकड़ोॅ के संख्या में दंगाई गाँव में आबी केॅ सब मिंया के मारी केॅ लूटै के योजना बनाय लेनें छेलै, मतुर धन्य, मड़रोॅ के सौसे परिवारोॅ रोॅ मुसलमान केॅ बचाय में खुली केॅ समनां में ऐलेॅ। जब तांय पूरे दंगा शांत नै होलै, सौसे गाँव नें बचाव करलकै। सप्ताह-पन्द्रह दिन तांय सब मुसलमान जनानी मरदाना सहित मड़रें छातोॅ पर नुकाय-छिपाय केॅ राखलकै।

देशोॅ में सब जगह दंगा महात्मा गाँधी के प्रयास सें शांत होय गेलोॅ रहै। यही बीचोॅ में गाँधीजी के हत्या होय गेलै। समाचारोॅ में सुनलियै के नाथूराम नाम के कोय आदमी ने उ$ महान आत्मा केॅ भगवान रो प्रार्थना करतें समय लगातार सीना में तीन गोली मारलकै।

थोड़ोॅ देर चूप रहिकेॅ जैवा दी निर्णय के स्वर में बोललै, " सही लोग जे सच में ईमानदारी सें देशोॅ लेली लड़लोॅ, जीलोॅ, मरलोॅ छेलै ओकरा में सें अधिकांश केॅ शासन, सत्ता में भागीदारी सें वंचित करी देलोॅ गेलै। जमींदारें, पैसा से भरलोॅ अमीर लोगें बुधियारी करलकै आरो धन, बल, छल, प्रपंच सें सत्ता हथिया लेलकै। गोरी चमड़ी वाला अंग्रेज गेलै आरो ओकरा जघ्घा पर आपनेॅ देशोॅ रो लोग वही नीयत सें बैठी गेलै। बदललै तेॅ कुछ्छू नै, सत्ता सुख, पद-प्रतिष्ठा पर वहेॅ बेहिसाब खर्च। रोब, रुतवा सब पहिलकै नांकी। चार-पाँच साल बीती गेलै। देशोॅ लेली जे मरलै वै शहीदोॅ लेली, दंगा में मरै वाला लोगोॅ लेली, ओकरोॅ प्रभावित पीड़ित परिवारोॅ लेली अब तांय कुछ नै करलोॅ गेलोॅ छेलै। हम्में ऐकरा सीनी के कार्यप्रणाली सें संतुष्ट नै छेलियै। सपूत पाँव रो लक्षण पलनैं में देखाय जाय छै।

हमरोॅ दुख परिवारोॅ के बँटवारा आरो देशोॅ के राजनीतिक उथल-पुथल दोनों दिस फैललोॅ छेलै। मेलमिलाप सें रहै वाला सोनमनी मड़रोॅ के परिवार रो ई हालत छेलै कि केकरोह सें कोय नै बोलै। सब मुँह फुलाय केॅ अपना-अपना चौखट, देहरी पर बैठलोॅ रहै। आपनोॅ घरोॅ सें सौसे देशोॅ केॅ मिलाय केॅ देखियै तेॅ लागै दिल्ली रो दिल मिर्जापुरोॅ के हमरा घरोॅ में ही तेॅ धड़की रैल्होॅ छै।