दरार / रश्मि
Gadya Kosh से
काफी समय पहले की बात है, मेरे घर चाय के बहाने एक मेहमान आया। पर वह ऐसा टिका कि जाने का नाम ही न लेता था। बड़ी मुश्किल से हम सब भाई-बहनों ने मिलकर उसे अपने घर से जाने पर मजबूर कर दिया। अफ़सोस वह मुआ जाते-जाते हम भाईयों के बीच दीवार खड़ी कर गया। उसने मेरे ही घर का बाँटवारा करा दिया। भाईयों के दिलों में दरार डाल गया। मेरा भाई आज भी मुझ से इसी बात पर झगड़ता है की तेरी ज़मीन मेरी ज़मीन से ज्यादा कैसे? यह हिस्सा तो मेरा है तेरे पास कैसे...