दलाई लामा: पुनर्जन्म की फिल्में / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 16 जुलाई 2019
बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का कहना है कि पुनर्जन्म का अर्थ मनुष्य की आत्मा का अपने सारे विकारों के साथ दोबारा जन्म लेना नहीं होता, वरन् जीवन के आदर्श मूल्य जैसे मानवीय करुणा का बार-बार लौटना होता है। पुनर्जन्म की अवधारणा वैदिक अवतारवाद का एक रूप है, जिसमें ईश्वर अवतार ग्रहण करते हैं। इस विषय पर शोध करने वाले लोग विष्णु के अगले अवतार को कल्कि के नाम से संबोधित करते हैं। वर्तमान समय वह सरहद है जिस पर कल्कि का उदय हो चुका है या होने के अनकरीब है। दलाई लामा के मत का अर्थ है कि मानवीय करुणा हर व्यक्ति के साथ जुड़ी रही और अगर अवतार कहना आवश्यक है तो इसी करुणा की निरंतरता को अवतार कहें, गोयाकि बार-बार लौटना कहें। शैलेन्द्र इस दार्शनिकता का सरल निदान प्रस्तुत करते हैं। 'मरकर भी याद आएंगे किसी के आंसुओं में मुस्कुराएंगे, जीना इसी का नाम है कि ले सके तो किसी का दर्द लें उधार...'
पुनर्जन्म अवधारणा से प्रेरित पहली फिल्म बिमल रॉय की 'मधुमति' है। कमाल अमरोही की 'महल' में पुनर्जन्म का भरम जायदाद हड़पने के लिए रचा है और पुरानी हवेली के माली की पुत्री ही उस पात्र को अभिनीत कर रही है। पुराने महलों में गुप्त द्वार और सुरंगें होती हैं, जिनकी जानकारी का लाभ उठाकर वह कभी दिखती है तो कभी ओझल हो जाती है। फिल्म में गीत है-' आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला, आएगा... भटकी हुई जवानी, मंज़िल को ढूंढती है/ माझी बगैर नय्या, साहिल को ढूंढती है/क्या जाने दिल की कश्ती, कब तक लगे किनारे/ लेकिन ये कह रहे हैं, दिल के मेरे इशारे/ आएगा, आएगा, आएगा, आएगा आनेवाला'। लोकप्रिय मान्यता यह है कि जीवन नदी का एक किनारा है और दूसरा किनारा मृत्यु है। आनंद तो बस तैरते रहना है और विचार शैली में किनारों को दरकिनार कर दिया जाए।
पुनर्जन्म फिल्मों की शृंखला में एक चरबा सुनील दत्त और नूतन अभिनीत 'मिलन' भी है। राजकुमार अभिनीत 'नीलकमल' भी चरबा ही है। सुभाष घई ने हॉलीवुड की 'रीइनकारनेशन ऑफ पीटर प्राउड' से प्रेरित ऋषि कपूर और टीना अंबानी अभिनीत 'कर्ज' बनाई थी परंतु उन्होंने पीटर प्राउड के क्लाइमैक्स को पूरी तरह बदल दिया। मूल फिल्म की नायिका तो नए जन्म में पति को दोबारा मारते हुए कहती है कि जितनी भी बार जन्म लोगे उतनी बार कत्ल कर दूंगी। पुनर्जन्म से प्रेरित चेतन आनंद की 'कुदरत' एक बेमिसाल फिल्म थी। राजकुमार, विनोद खन्ना, हेमा मालिनी और राजेश खन्ना अभिनीत इस फिल्म में राहुल देव बर्मन का संगीत था और एक गीत पाकिस्तान के क़तील शिफ़ाई ने लिखा था। प्रिया राजवंश के प्रभावहीन अभिनय ने इस बहुसितारा फिल्म को असफल बना दिया।
यह कितनी अजीब बात है कि विज्ञान द्वारा संचालित पश्चिम में पुनर्जन्म पर भारत से अधिक संख्या में फिल्में बनी हैं। उनकी फिल्म 'बीइंग बोर्न अगेन' में अपने नए जन्म में पति मात्र चार वर्ष का है, जिसे पूरा विगत जन्म याद है और उसके जन्म की पत्नी अब 28 वर्ष की है। उसे दुविधा है कि इस बच्चे को गोद ले या अपना पति स्वीकार करे। कन्नड़ भाषा के महान लेखक भैरप्पा का उपन्यास है- 'दायरे आस्थाओं के' उपन्यास में दोबारा जन्म लेने वाले की आयु 18 वर्ष है और पूर्व जन्म में उसकी पत्नी रही महिला की आयु 36 वर्ष है। पुनर्जन्म सिद्ध होने पर उन्हें पति पत्नी की तरह रहने का अधिकार दिया जाता है। जिस पर ग्राम पंचायत की रजामंदी भी ली गई है। भैरप्पा एक महत्वपूर्ण बात को रेखांकित करते हैं कि विचार शैली जिसे महिमामंडित करने के लिए 'आत्मा' के नाम से पुकारा जाता है, वह बार-बार जन्म लेती है परंतु जिस शरीर और देह को वह धारण करती है, उसकी वय की मर्यादा और सीमा में कार्य किया जाता है। विचार शैली को आत्मा कहते ही हमने धुंध रच दी है। अब पुनर्जन्म के आधार पर 28 की वय की स्त्री दोबारा जन्म लिए अपने चार वर्षीय 'पति' से विवाह तो नहीं कर सकती। सभी पुनर्जन्म भारतीय फिल्मों में गीत-संगीत अत्यंत मधुर रहे हैं। संभवत: इसलिए, क्योंकि ध्वनि अजर-अमर है और उसका पुनर्जन्म नहीं होता। जो मरते ही नहीं, उसका पुनर्जन्म कैसे हो?
ज्ञातव्य है कि 'परख' इत्यादि फिल्म के असफल होने के कारण बिमल रॉय बंगाल लौटने का विचार कर रहे थे। यह जानकर ऋत्विक घटक ने चंद घंटों में ही 'मधुमति' की पटकथा लिख दी। इस तरह से 'मधुमति' की अपार सफलता ने ही बिमल राय को भी 'नया जन्म' दिया। वर्तमान समय में संकीर्ण विचारों वाले कई लोग देशों पर राज कर रहे हैं। सभी ट्रंप के सहोदर हैं और इनका पुनर्जन्म एक ही कालखंड में हुआ है। वर्तमान में दुनिया चार्ली चैपलिन की एक फिल्म के दृश्य की तरह है। दृश्य में चैपलिन एक कमरे में खड़े हैं, जिसकी चारों दीवारें आईने से ढंकी हैं और बेचारे चैपलिन बाहर निकलने के लिए द्वार खोलते हुए आईने से ही टकराते रहते हैं। आम आदमी भी इस समय निर्माताओं द्वारा रचे ऐसे ही आईने वाले कमरे से बाहर आने का द्वार खोज रहा है।