दसों दिशाओं में प्रियंका चोपड़ा / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :19 जुलाई 2016
मनोरंजन जगत में यह पहली बार हो रहा है कि भारत कुछ खो रहा है तथा हॉलीवुड उसे पा रहा है। भारतीय फिल्म उद्योग ने हॉलीवुड की फिल्मों से 'प्रेरित' होकर अनेक फिल्में बनाई हैं परंतु अब हमारे लेखक व फिल्मकार कोरिया में बनी फिल्मों से प्रेरित हो रहे हैं। सलीम खान का कहना है कि जिस कृति की गंगोत्री ज्ञात नहीं हो, उसे ही हम मौलिक मानते हैं। हम प्रियंका चोपड़ा को खो रहे हैं, इस मायने में कि उनका अभिनीत सीरियल 'क्वांटिको' सफल रहा है और फिल्म 'बेवॉच' की प्रदर्शन पूर्व ही प्रशंसा हो रही है। हाल ही में वे टोरंटो (कनाडा) में होने वाले अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव की जूरी के रूप में निमंत्रित की गई हैं। उनकी अभिनीत भारतीय फिल्म 'मेरी कॉम' अमेरिका के टेलीविजन पर दिखाई जा रही है। वह पांच अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के मुखपृष्ठ पर प्रकाशित हुई हैं। ज्ञातव्य है कि कुछ समय पूर्व जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे तब उनके बिलबोर्ड से अधिक प्रियंका चोपड़ा के विज्ञापन पोस्टर लगे थे। यह भारत का ही अजूबा देखिए कि हमारे प्रधानमंत्री भिक्षा पात्र लिए विदेशों का दौरा कर रहे हैं और उतने ही देशों में प्रियंका चोपड़ा सबसे अधिक लोकप्रिय चेहरा है गोयाकि एक ही देश का प्रधानमंत्री और फिल्म सितारा अलग-अलग कारणों से लोकप्रिय हंै। एक भारत में विदेशी कंपनियों से निवेश की प्रार्थना कर रहा है, दूसरी प्रियंका चोपड़ा डॉलर कमा रही हैं। विदेशी फिल्मकारों को प्रियंका चोपड़ा की आवश्यकता है। भिक्षा स्वरूप डॉलर से अधिक मेहनताने के रूप में प्रियंका भारत के लिए डॉलर कमा रही हैं। दोनों ही अपनी लोकप्रियता की 'हवा' बनाने में प्रवीण हैं। प्रियंका चोपड़ा अभिनीत सीरियल 56 भाषाओं में डब होकर अनेक देशों में दिखाया जा रहा है। इस समय विदेशों में सबसे अधिक लोकप्रिय और पहचाना चेहरा प्रियंका चोपड़ा का है। अब प्रियंका चोपड़ा 'पहचाने चेहरे' की दौड़ में केवल महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू से पीछे हैं। विदेशों में प्रियंका चोपड़ा की लोकप्रियता के कारण भारत में उनके द्वारा की गई विज्ञापन फिल्में भी अधिक बार टेलीविजन पर दिखाई जा रही हैं। उनकी अभिनीत फिल्म 'बर्फी' की मांग बढ़ी है। रणबीर कपूर अभिनीत 'बर्फी' में उन्होंने 'ईश्वरी कमतरी' की शिकार कन्या का पात्र निभाया था। इस फिल्म के लिए उन्होंने अपने व्यक्तित्व में इतना परिवर्तन किया था कि सामान्य दर्शक चंद रीलों के बाद ही उन्हें चीन्ह पाया था।
प्रियंका चोपड़ा की शुरुआती फिल्म 'ऐतराज' में वह खलनायिका थीं और करीना कपूर नायिका थीं। 'अंदाज' के बाद प्रियंका की अभिनीत 'हीरो' में सनी देवल उसके नायक थे और सलमान खान तथा अक्षय कुमार के साथ उसकी डेविड धवन निर्देशित 'मुझसे शादी करोगी' अत्यंत सफल फिल्म रही। गैर फिल्मी परिवार से वे सौंदर्य प्रतियोगिता के माध्यम से फिल्मों में आई थीं और प्रारंभिक दौर में अपने लिए ही काम करने वाले लोगों द्वारा वे ठगी भी गईं परंतु कुछ कड़वे अनुभवों से उन्होंने सबक सीख लिए। यह उनका आत्मविश्वास ही था कि उन्होंने संजय लीला भंसाली की दीपिका पादुकोण, रनवीर सिंह अभिनीत 'बाजीराव मस्तानी' में सहनायिका की भूमिका अभिनीत की और दर्शकों की प्रशंसा प्राप्त की। वे मराठा राजवंश के राजा की पत्नी की भूमिका में थीं, जबकि बाजीराव को 'मस्तानी' से प्रेम हो जाता है। इस फिल्म में बाजीराव की पत्नी व प्रेमिका के बीच आमना-सामना होने के दृश्य प्रभावोत्पादक बन पड़े थे। फिल्मकार के विचार का केंद्र 'मस्तानी' थी परंतु बिना किसी सहायता के ही पुणे की महारानी की भूमिका में प्रियंका चोपड़ा ने अपनी जमीन नहीं छोड़ी। अपनी जमीन नहीं छोड़ने की इसी जिद ने ही उन्हंे मनोरंजन जगत में महारानी का रुतबा दिलाया है।
ज्ञातव्य है कि दीपिका पादुकोण ने भी हॉलीवुड की एक फिल्म के लिए अनुबंध किया है। हमारे पुरुष सितारों की विदेश बाजार में कोई मांग नहीं है। ज्ञातव्य है कि एक करोड़ बयालीस लाख भारतीय विदेशों में बस गए हैं। भारतीय परिश्रम और मस्तिष्क ने अभी तक विदेशों में अपना स्थान बनाया हुआ था परंु प्रियंका चोपड़ा ने भारतीय सौंदर्य को भी एक्सपोर्ट मटेरियल बना दिया है।