दिल की धड़कन, घड़ी की टिक-टिक / जयप्रकाश चौकसे

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दिल की धड़कन, घड़ी की टिक-टिक
प्रकाशन तिथि : 20 मार्च 2021


परंपरागत रामशलाका प्रश्नावली में व्यक्ति आंखें बंद करके अपनी उंगली चौपाई के एक अक्षर पर रखता है, जिसकी मदद से उसका भविष्य बताया जाता है। संकेत की व्याख्या करना मनुष्य के अपने ज्ञान और नीयत पर निर्भर करता है। कुछ लोग कहते हैं कि गिलास में आधा पानी शेष रहा है, तो सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति कहता है आधा पानी है, अर्थात आशा है। मान्यता है कि पंजाब-हरियाणा क्षेत्र में कहीं भृगु संहिता है, जिसमें हर व्यक्ति का भूत, वर्तमान और भविष्य लिखा हुआ है। चेतन आनंद की फिल्म ‘कुदरत’ में इसका नाटकीय उपयोग किया गया है। महाभारत में यक्ष द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में युधिष्ठिर कहता है कि जीवन की अनिश्चितता ही उसे आनंदमय और रोचक बनाती है। जीवन यात्रा का ज्ञान हो जाने पर जीवन देखी हुई पुरानी उबाऊ फिल्म की तरह लगने लगता है। पंजाब-हरियाणा में उपलब्ध भृगु संहिता में किसान संघर्ष के लंबा चलने की बात भी लिखी होगी, परंतु इन लोगों का विश्वास है कि अपना भविष्य वे स्वयं बनाएंगे। कॉरपोरेट अष्टपद उन्हें दबोच नहीं पाएगा।

आजकल ऐसी हाथ घड़ियां उपलब्ध हैं, जो व्यक्ति को बता देती हैं कि दिनभर में वह कितने किलोमीटर चला है। बैठे, ठाले व्यक्ति के हाथ में घड़ी बंद पड़ जाती है, समय की पदचाप उन्हें सुनाई नहीं पड़ती। सत्ता, शिखर पर विराजमान व्यक्ति को कुछ सुनाई नहीं पड़ता और वह अपनी नाक के परे देख भी नहीं पाता। एक फिल्म का गीत है ‘सुनो ग़ज़र क्या गाए, समय गुजरता जाए।’ बिमल रॉय की फिल्मों के प्रारंभ में उनकी निर्माण कंपनी का प्रतीक चिन्ह शहर के बीच स्थित एक टावर में लगी हुई घड़ी हुआ करता था। समय के प्रति वे सदैव जागरूक रहे। उनकी पत्नी स्वादिष्ट भोजन बनाती थीं। दिलीप कुमार ने एक दिन किचन में जाकर श्रीमती बिमल रॉय से पूछा कि उनकी बनाई सारी पूरियां सदैव एक जैसी कैसे फूला करती हैं? मधुर मुस्कान ही उनका उत्तर रहा।

गुरुदत्त और बिमल मित्र की फिल्म ‘साहब बीवी और गुलाम’ में एक पात्र घड़ी बाबू का है, जो सामंतवादी महल की सारी घड़ियों में चाबी भरता है। वह सामंतवाद के ढहने की बात करता था कि इतनी घड़ियों के होने के बाद भी वे समय की चाल को समझ नहीं पा रहे हैं कि गणतंत्र उनके द्वार पर आ खड़ा हुआ है। फिल्म ‘वंस अपॉन ए टाइम इन मुंबई’ हाजी मस्तान का अघोषित बायोपिक था, जिसमें दाऊद के शक्तिशाली होने की दास्तां बयां हुई है। हाजी की प्रेमिका उन्हें एक हाथ घड़ी भेंट करती है कि इस ऑटोमेटिक घड़ी की तरह उनके दिल की धड़कन चलती रहेगी। दाऊद द्वारा गोली मारे जाते समय घड़ी बंद हो जाती है। धमाके, समय को भी डिगा देते हैं। महात्मा गांधी की घड़ी उनकी कमर में बंधी धोती में लटकी रहती थी वे अवाम की नब्ज समझते थे। महिलाओं के लिए छोटे आकार की हाथ घड़ी बनाई गई परंतु महिलाएं मर्दानी घड़ी पहनती रहीं। टेक्नोलॉजी के युग में समय, मोबाइल द्वारा ज्ञात किया जाता है। मोबाइल एक सिमटा हुआ विराट संसार है। मनुष्य अपने जीवन में घटी घटनाओं की तर्क सम्मत व्याख्या करके ही समय के रहस्य को समझ पाता है। समय और फासले एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मनुष्य के बस में केवल इतना ही है कि वह अच्छे कार्य करे और अपनी विचार प्रक्रिया में अंधविश्वास और कुरीतियों को आने से रोके। इस राह में भटकना है मुमकिन, बहकने का डर है। बड़े धोखे हैं इस राह में। समय के जंगल को पगडंडी पर चलते हुए उसके संपूर्ण सौंदर्य को निहारते हुए उसके रहस्य को समझा जा सकता है।

आंखें बंद करके रामशलाका पर उंगली रखना और मतदान के समय उंगली पर अमिट स्याही लगते समय तर्क सम्मत सावधानी बरतना आवश्यक है और दोनों के बीच प्रचंड प्रचार की लहरों में स्वयं को अडिग रखना आवश्यक है।