दिल के मंदिर में हैं कुछ भूली बिसरी यादें / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
दिल के मंदिर में हैं कुछ भूली बिसरी यादें
प्रकाशन तिथि : 04 जनवरी 2021


पेशावर से खबर आई है कि वहां की सदर ने हुक्म जारी किया है कि दिलीप कुमार और राज कपूर के घर मौजूदा मालिकों से खरीदे जाएं और उन्हें म्यूजियम में बदला जाए। ऐसा करने पर पर्यटक आकर्षित होंगे। दिलीप कुमार और राज कपूर पड़ोसी रहे और उनके पिता भी एक-दूसरे के मित्र रहे। उस समय किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि दिलीप कुमार, राज कपूर भविष्य में सेल्यूलाइट पर किस्सागोई करेंगे और सारी दुनिया बड़े शौक से सुनेगी। यह बात अलग है कि सुनने वाले हमेशा बेक़रार रहे परंतु सुनाने वाले सो गए। राज कपूर की मृत्यु 1988 में हुई और दिलीप कुमार की याददाश्त इस घटना के कुछ समय बाद चली गई। अब दिलीप 98 के हुए और उनकी बेगम 76 की हुई हंै। उनके पारिवारिक मित्र रहे सलीम खान उनसे मिलते रहे हैं। बहरहाल दिलीप सांस तो ले रहे हैं परंतु सारी मांसपेशियां समाप्त हो गई हैं। उनकी तीमारदारी करते-करते सायरा बानो बीमार पड़ गई हैं। राज कपूर का ग्राम लोनी जिला पूना स्थित लगभग 100 एकड़ का फॉर्म बेचा जा चुका है। आर.के. स्टूडियो आग हादसे के बाद बेच दिया गया है। उसे दोबारा बनाने में 10 करोड़ का खर्चा था। दरअसल बांद्रा से चेम्बूर जाने में भारी यातायात के कारण लगभग 2 घंटे लगते थे जबकि बांद्रा के कलाकार हाईवे से 40 मिनट में गोरे गांव, फिल्म सिटी पहुंच जाते हैं। राज कपूर का बंगला उनके स्टूडियो के बहुत निकट है। उसे बेचकर रणधीर कपूर बांद्रा हिल रोड जाना चाहते थे। जहां उन्होंने एक घर ख़रीदा है। इसी क्षेत्र में करिश्मा और करीना तथा रणबीर कपूर के घर हैं। रणबीर कपूर अपने पिता के बंगले के स्थान पर बहुमंजिला बना रहे हैं। जिसके बेसमेंट में एक स्टूडियो बनाया जाएगा। आर.के स्टूडियो चेम्बूर की जगह पाली हिल, बांद्रा में बन जाएगा।

ज्ञातव्य है कि कुछ वर्ष पूर्व ही एक केंद्रीय मंत्री के आग्रह पर राज कपूर की सारी फिल्मों के नेगेटिव-पॉजिटिव प्रिंट तथा साजो-सामान पूना के फिल्म संस्थान में भेजा गया। यह मुमकिन है कि अन्य तमाम संस्थाओं की तरह पूना फिल्म और टेलीविजन संस्थान भी गोदाम व कबाड़खाना हो जाएगा। शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने राज कपूर का मिचेल कैमरा और भगवान शिव की संगमरमर की मूर्ति अपने तारदेव मुंबई स्थित म्यूजियम में रख ली है। ज्ञातव्य है कि ‘गंगा-जमुना’, ‘संगम’ और ‘मेरा नाम जोकर’ लंदन के टेक्निकलर लैब में प्रोसेस की गई थीं। कुछ वर्ष पूर्व लंदन स्थित लैब चीन ने खरीद ली अत: आज इन तीनों फिल्मों के नेगेटिव-पॉजिटिव व ध्वनि पट्‌ट चीन में हैं। ज्ञातव्य है कि कुछ वर्ष पूर्व चीन के फिल्म विभाग ने रणबीर कपूर और ऋषि कपूर को यह संदेश दिया था कि ‘आवारा’ को पुनः बनाया जाए इस संस्करण में ऋषि कपूर ‘आवारा’ में पृथ्वी राज कपूर वाला पात्र करें तथा रणबीर, राज कपूर वाला पात्र अभिनीत करें। कपूर परिवार ने चीन का प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिया।

पृथ्वी राज कपूर 1926 में ही पेशावर से मुंबई आकर बस गए थे। वे नाटक कंपनी में अभिनय करते थे। दिलीप कुमार के पिता भी भारत आ गए परंतु वे मुंबई के बदले देवलाली में बसे जो मुंबई से कुछ दूरी पर है। एक बार अपनी मुंबई यात्रा में उन्होंने फिल्म पोस्टर में अपने पुत्र दिलीप को पहचाना और बहुत खफा हुए कि पठान पुत्र भांड हो गया है। उन्हीं दिनों तत्कालीन केंद्रीय शिक्षा मंत्री अब्दुल कलाम आजाद कुछ समय मुंबई में यात्रा पर थे। दिलीप के पिता अपने पुत्र के साथ आजाद से मिलने गए। सारी बात बताई और गुज़ारिश की कि पठान-पुत्र को भांडगिरी करने से मना करें। विद्वान आजाद साहब ने दिलीप से कहा, ‘बेटा जो भी करो इबादत प्रार्थना की तरह करो’ और दिलीप ने ताउम्र अभिनय इबादत की तरह ही किया। दिलीप कुमार और राज कपूर गहरे मित्र थे। मीडिया ने प्रतिद्वंद्विता का हव्वा खड़ा किया था। दिल एक मंदिर का गीत है, ‘याद ना जाए बीते दिनों की, जाके न आए जो दिन, उन्हें दिल क्यों बुलाए।’