दिशा / फ़्रांज काफ़्का

Gadya Kosh से
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"बड़े दुख की बात है कि दुनिया दिन प्रतिदिन छोटी होती जा रही है" --चूहे ने कहा-- "पहले यह इतनी बड़ी थी कि मुझे बहुत डर लगता था। मैं दौड़ता ही जा रहा था और जब आख़िर में मुझे अपने दाएँ-बाएँ दीवारें दिखाई देने लगीं थीं तो मुझे ख़ुशी हुई थी। परन्तु अब ये लम्बी-लम्बी दीवारें इतनी तेज़ी से एक दूसरे की तरफ बढ़ रही हैं कि मैं पलक झपकते ही उस अंतिम छोर पर आ पहुँचा हूँ, जहाँ कोने में एक चूहेदानी रखी है और मैं उसकी ओर बढ़ता जा रहा हूँ।”

“और यहाँ बस, दिशा-भर बदलने की ज़रूरत है ।” बिल्ली ने कहा, और उसे खा गई ।