दिसंबर दावतों, प्रेम और गुलाब का महीना / जयप्रकाश चौकसे

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दिसंबर दावतों, प्रेम और गुलाब का महीना
प्रकाशन तिथि :21 दिसंबर 2017


दिसंबर केआखिरी दो सप्ताह में फिल्म सितारे एक-दूसरे से मिलते हैं और दावतें आयोजित करते हैं। मौज मस्ती के इन दिनों में वे आपसी प्रतिस्पर्धा भूल जाते हैं। प्रतिस्पर्धा प्राय: कड़वी हो जाती है। यह आग आपको तो जलाती है परंतु किसी अन्य को उष्मा नहीं देती। इस तरह की एक मुलाकात ऋतिक रोशन और अनिल कपूर की हुई। दोनों ही फिल्म परिवारों से आए हैं। ऋतिक के दादा रोशन साहब महान संगीतकार थे। अनिल कपूर के पिता फिल्म निर्माता थे। संगीतकार रोशन साहब निहायत ही संजीदा व्यक्ति थे परंतु अपने मित्र निर्माता हरि वालिया द्वारा दी गई एक दावत में उन्होंने बहुत से लतीफे सुनाए और सबको हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। उनके मित्रों ने उनका यह रूप पहले कभी नहीं देखा था। उसी दावत में उन्होंने एक लतीफा सुनाया और हंसते-हंसते वे फर्श पर गिर गए तथा उनकी मृत्यु हो गई। हृदयाघात से मृत्यु हुई थी क्या? उस रात उन्हें अपने देहावसान का पूर्व अनुमान हो गया था और वे हंसते-हंसते अलविदा कहना चाहते थे। यह भी इत्तेफाक है कि हरि वालिया ने अपनी जिस फिल्म के प्रदर्शन की दावत दी थी, उसका नाम था 'सवेरे वाली गाड़ी से चले जाएंगे'।

ऊपर वाले की पटकथा में मिलना-बिछड़ना सब कुछ अजीब ढंग से होता है। कई बार आभास होता है कि उसे अति नाटकीयता पसंद है और मनुष्य के हास्य के माद्‌दे से वह थोड़ा-थोड़ा खफा भी रहता है कि यह कमबख्त इतने कष्टों और अन्याय के बावजूद ठहाका लगाता रहता है। पराजय और पराभाव में भी हास्य का माद्‌दा बना रहता है। अपने विपक्ष वाले को अपनी जीत का आनंद भी नहीं उठाने देता। विपरीत परिस्थितियों में ठहाके तोप से दागे गए गोलों की तरह लगते हैं। स्मरण आता है कि किसी अनाम शायर ने फरमाया था, 'तोप के दहाने पर एक नन्ही चिड़िया ने घोंसला बनाया है'। जहालत की तमाम कोशिशों के बाद भी अवाम के दिल में एक नन्ही चिड़िया हमेशा मौजूद होती है।

अनिल कपूर के पिता सुरेन्दर कपूर पृथ्वीराज के दूरदराज के रिश्तेदार थे और पृथ्वी थियेटर्स में प्रबंधन का काम देखते थे। वे कुछ समय तक के. आसिफ के सहायक निर्देशक भी रहे और मुगल-ए-आजम की नामावली में उनका नाम भी दर्ज है। बाद में वे गीता बाली का कामकाज देखने लगे। यह वही दौर था जब शम्मी कपूर को गीता बाली से प्रेम हो गया था। सुरेन्दर कपूर के ज्येष्ठ पुत्र बोनी कपूर की सारी फिल्मों के प्रारंभ में गीता बाली की तस्वीर होती है और उन्हें आदरांजलि दी जाती है। वजेदारियां पीढ़ी दर पीढ़ी चलती हैं और बेवफाई की उम्र छोटी होती है। गीता बाली ने शम्मी कपूर से विवाह के बाद राजिन्दर सिंह बेदी के महान उपन्यास 'एक चादर मैली सी' पर आधारित फिल्म बनाई थी। उसमें थोड़ा-सा काम बाकी था कि चेचक की बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई। बचपन में उन्हें टीका नहीं लगाया गया था। अवसाद में घिरे शम्मी कपूर ने उस फिल्म का निगेटिव ही नष्ट कर दिया, क्योंकि उन्हें लगता था कि फिल्म की शूटिंग के समय ही यह बीमारी उनकी पत्नी को लगी।

अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास 'द मिरर क्रेक्ड फ्रॉम साइड टू साइड' में एक फिल्म की शूटिंग का दृश्य है। वहां नायिका की एक पुरानी प्रशंसिका अपने प्रिय सितारे से मिलने आती है। शूटिंग के अंतिम दिन पूरी यूनिट दावत के मजे ले रही होती है। नायिका को एक ड्रिंक दिया गया जो उसने अपनी प्रशंसिका को दे दिया। वह उसे पीकर मर गई। उस ड्रिंक में जहर मिला था। निर्माता और यूनिट ने चैन की सांस ली कि उनकी नायिका बच गई। अगाथा क्रिस्टी के अनेक उपन्यासों में मिस मारपल नामक उम्रदराज स्त्री जासूस है और वह अपने ढंग से रहस्य से परदा उठाती है। कुछ रचनाओं में बेल्जियम में जन्मा पायरो जासूस है। जब 'दो जासूस' की घोषणा हुई तो मेरा अनुमान था कि यह मिस मारपल और पायरो की प्रेम-कथा हो सकती है परंतु ऐसा नहीं हुआ।

इस कथा का रहस्य यह था कि नायिका एक भव्य बजट की फिल्म में अभिनय नहीं कर पाई, क्योंकि वही प्रशंसिका उससे गले लगी थी और अपना स्मालपॉक्स का रोग नायिका को अनजाने में दे दिया। उसी बात का बदला लेने के लिए नायिका ने ही जहर मिला पेय अपनी उस प्रशंसिका को दिया। मनुष्य मन विचित्र है कि कौन-सी चिंगारी कहां जाकर आग लगाती है कह नहीं सकतें। गौरतलब है कि शेक्सपीयर के बाद सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली लेखिका अगाथा क्रिस्टी हुई है। निर्मल आनंद देनेवाले पीजी वुडहाऊस का नंबर इनके बाद आता है। यह भी गौरतलब है कि शेक्सपीयर से भी अधिक पाठक बाइबिल के रहे हैं। बाइबिल, कुरान, महाभारत इत्यादि में अर्थ की अनेक परतें हैं, जिनका रहस्य आज तक नहीं खुला है। पाठक महान किताबों के नए अर्थ खोजते हुए स्वयं भी सृजनकर्ता हो जाता है।

जस्टिस छागला की आत्मकथा का नाम 'रोजेस इन दिसंबर' है। दिसंबर दावतें, मोहब्बतें और गुलाबों का महीना है। उम्र का दिसंबर आपको वह दृष्टि देता है कि आप सतह के नीचे भी देख पाएं।