दीपलाणै रो दातार / रामस्वरूप किसान
सियाळै में रात रा आठ मोडै़ ई बजै। अर गाडी सई आठ बजे आसी। अजे गाडी आगै खासा टेम पड़्यो हो। म्हैं टेसण पर घूमतो-घूमतो बारै निकळग्यो। अर साम्हीं ढाबै पर जाय'र अेक टूट्योड़ी-सी बैंच पर बैठग्यो। म्हैं चा सारू हेलो करै ई हो कै अेक जणो बरोबर बैठतै थकां म्हारै कान में फुसफुसायो, 'भाईजी, कपड़ो है कीं ल्यो हो के?' म्हैं झिझक्यो। भळै संभळ'र बीं कानी देख्यो। चाळीस-पैंताळीस रै लगै-टगै। कैय सकां कै अधखड़ आदमी। लाम्बो डील। काळो रंग। मैला-कुचैला गाबा। अर इंच-इंच बध्योड़ी दाढ़ी। ब्याऊ फाट्योड़ै पगां में हवाई चप्पल। बोलै जद मूं में दारू री बास आवै।
म्हैं अचंभै में पड़ग्यो। कपड़ो! इण बगत अर अठै ढाबै पर? अर ना ई ईं कन्नै कोई गंठड़ी, पोटळी'क झोळो। सीधो सपड़तंग। काखां में हाथ घाल'र बरोबर बैठ्यो है। कठै है इण कन्नै कपड़ो? अर फेर, कान में फुसफुसा'र पूछणो। अड़ंगो के है ओ? है तो कोई राज आळी ई बात। कुण है ओ? कोई चोर उच्चको हो सकै। म्हारै घरळ-मरळ-सी हुगी।
बो भळै बोल्यो-
'भाईजी, के सोचण लागग्या? च्यार मीटर जे.सी.टी. है। पजामै-कुड़तै खातर ल्यायो हो। जैपर जावूं। किरायो कोनी। आधै पीसां में दे देस्यूं। ढाई सै रो है, सवा सो दे द्यो।'
म्हैं उण रै पैर्योड़ै पजामै-कुड़तै कानी ख्यांत्यो। फाटण रै नजीक। अैन कडख़ै लाग्योड़ा। म्हैं भळै उळझग्यो- जैपर जावै? किरायो कोनी? पजामै-कुड़तै सारू खरीद्योड़ो गाबो अधमोलो बेच'र किरायो बणाणो चावै? कन्नै किरायो ई कोनी तो गाबो क्यूं खरीद्यो? ढाई सौ में तो जैपर जाय'र पाछो आ ज्यांतो। रोळो के है? स्यात कपड़ो किणी दुकान सूं उचकायो हुवै। म्हनैं उण पर भांत-भांत रो सक होवण लाग्यो। बो बीड़ी लगा'र म्हारै मूं कानी देखण लाग्यो। म्हैं बोल्यो-
'जद तेरै कन्नै किरायो ई कोनी हो तो थूं गाबो क्यूं खरीद्यो।'
'खरीद्यो कण है? कन्नै तो पावली ई कोनी ही। फगत तीस रिपिया हा। बां री दिन खड़्यै ई पावटी पी ली।'
'तो चोर्यो है?'
'चोर सो लागूं के थानै? चोर कोनी भाई जी। जगां सिर जाम्योड़ो हूं। दीपलाणै रो बिणवाळ। दारू जरूर पीयूं। चोरी कोनी करूं।'
अेक ई झटकै में म्हारो आधो सक उडग्यो। अर म्हारै मूं सूं निकळगी-
'म्हैं परलीकै रो बिणवाळ हूं।'
दीपलाणो-परलीको पड़ौसी गांव। अर दोनूं गांव बिणवाळां रा। इण सारू उण नै टंटोळण री म्हारी जिज्ञासा बधी। म्हैं बोल्यो-
'ईंयां किंयां होई भाईड़ा?'
'बस ईंयां ई होवै, पूठी आवै जद। चाल, ठेकै पर चालां सगळी पूछणी है तो।'
'म्हैं तो दारू पीयूं कोनी।'
'बिणवाळ अर दारू कोनी पीवै। जची कोनी यार।'
'ना, म्हैं तो हाथ ई कोनी लगावूं।'
म्हैं सफा नटग्यो।
'तो म्हनै तो देदे अेक पावटी रा पीसा। हां, अेक रा नीं। सवा सौ दे दे। लै पकड़ ओ चीरड़ो।'
उण पजामै री अंट मांय सूं गाबो काढ'र म्हारी झोळियां में गेर दियो। म्हैं गाबै नै चिमठी सूं मसलण लागग्यो।
'ओ ल्यायो कठै सूं है थूं ?' म्हैं भळै पूछ्यो।
'उधार ल्यायो हूं। श्यामलै किराड़ कन्नै सूं। छोरां रो खातो है उण री दुकान पर। भोत ओखो दियो...। बड़ा न्योरा कढाया किराडिय़ै। बींयां'स उण रो ई के दोस है बिच्यारै रो। टींगरां अर लुगावड़ी रो कैयोड़ो है कै इण नै कीं कोनी देवणो। के पूछैगो! भूंडी भोत होय री है म्हारै में । इसी तो दुसमण में ई नीं हुवै। कुत्ताखाणी कर राखी है घर वाळां। भोत कळियारी है टींगरां री मां। मादर...रांड टींगरां नै हथेळी पर लेय'र मेरी दुसमण बणगी।'
'ईं रो कीं कारण ई तो होलो?'
'बस, दारू पीयूं। ओ ई कारण है।'
'छोड़ देऽ।' म्हैं जोर देय'र बोल्यो।
'छूटै कोनी यार। पिराण छुट सकै। दारू कोनी छूटै।'
'किती'क पीयै थूं।'
'बस दो पावटी।'
दो आंगळी साम्हीं करतो बोल्यो।
'अर दिन में ई पी ल्यै?'
'ना। दिन में कोनी पीयूं। अर फेर पड़ी ई कठै इत्ती दारू। इसा बाधा कठै कै बहू कलेवो करल्यै। आथण आळी दो पावटियां में ई लाठी खड़ी हुज्यै। म्हैं कैवूं नीं, रंडारू भोत ऊतर्योड़ी है।'
'थूं कूटतो हुसी?'
'ना भाईजी। तेरी सोगन। कदे पांच आंगळी लगा'र ई कोनी देखी। अरै, मार खाई ई है। मारी कोनी किणी रै। अर फेर गधै जित्ती कार करूं। पचास बीघा जमीन है झोटै गै सिर बरगी। आछो पाणी लागै। दो टींगर है। दोनूं ई चोखी जगां ब्यायोड़ा। धापतो घर है मेरो। पण के काम लागै। म्हनै तो रोटी कोनी। आज अंत आयोड़ो घर स्यूं निकळ्यो हूं। जैपर जावूं। कार-मजूरी करण नै।'
'के कार करसी बठै?'
'टैर काटूंगा। म्हारै गांव रा मुसळमानां रा छोरा बठै टैर-कबाड़ रो धंधो करै। बोदा टैर कबाड़ रै भाव खरीद'र बां रा गुटका बणाय'र चिमनी भट्टïां में बळीतै रै रूप में बेचै। बठै पान्नै दार गंडासै सूं टैरां रा गुटका कर स्यूं। दो पावटी अर दो रोटी जोगो तो कमा ई ले स्यूं। बस इत्तो ई चइयै आपां नै तो।'
म्हैं उण रै मूं कानी देख्यो। विश्वास झलकै हो।
म्हैं पूछ्यो-
'थूं कदे इण नागण नै छोडण री कोसीस करी?'
बो जोर देय'र बोल्यो-
'हां, करीऽऽ। सात साल तांईं साम्हीं कोनी देख्यो। पण के सा'रो पड़ै। जुंवाईड़ै नै मौत खायगी। म्हैं उण रै हाड़ी बीजण गयो। तीस बीघा हाड़ी पंदरा दिन में ऊंट स्यूं बीज दी। म्हंै कार भोत करूं। धार्मियां बात है।' बीच में बीड़ी लगा'र भळै बोल्यो, 'हाड़ी बीज'र जद घरां आवण लाग्यो तो म्हारै जंवाई हथकढ़ री अेक बोतल म्हारै सागै घाल दी। म्हैं भोत नट्यो। पण बो मान्यो कोनी। बोल्यो, थाक्योड़ा हो। घरां जाय'र दो-च्यार दिन पी लेइयो। थकेलो उतर जासी। म्हारो थकेलो तो इसो उतर्यो कै उण दिन री चिप्योड़ी अजे तांई घींसतो फिरूं। अर अब छुटण री आस कोनीं। अब तो लागै मुसाणां में ई बळसी।... हां तो गाडी आवण आळी होयरी है। दे द्यो पीसड़ा। के नीवड़ै इण झीड़ै रो।'
बो म्हारी साथळ पर हाथ मार'र खड़्यो हुयो अर अंगाड़ी तोड़ण लागग्यो।
म्हैं कपड़ो पाछो पकड़ा दियो अर सौ रो अेक नोट उण रै हाथ में देंवतो बोल्यो-
'लै अै सौ रिपिया। कपड़ो कोनी ल्यूूं। ईं रा पजामो-कुड़तो सिड़ा लेई।'
'ईंयां के म्है मंगतो हूं यार! भीख कोनी ल्यूं। पचीस और देदे अर राखले ओ कपड़ो।'
'इड्डो म्हैं ई गईवाळ कोनी कै ढाई सै रो कपड़ो सवा सै में राख ल्यूं।'
'तो ढाई सो दे दे।'
'अरै, म्हनै ई तो गाडी चढणो है। म्हैं ई नेप रा ई पीसा ल्यायो हूं। होंवता तो ढाई सौ ई दे देंवतो। पण कपड़ो किणी सर्त पर नीं राखतो। जगां-सिर रो आदमी है यार! किसी'क बात करै। म्हैं के थनै भीख द्यूं। दे दे ई कदे। दीपलाणो के अमरीका है!'
उण म्हारै कैवणैं सूं गाबो पाछो ई अंट में दाब लियो।
इतराक में दो आदमी, जकां रै खांदै बींटा हा, आय'र उण रो खांदो मचकायो-
'अरै सुरेस, अठै के करै ? कित्ती देर सूं ढूंढां हां थनै। गाडी आवण आळी होयरी है यार।'
म्हैं पूछ्यो-
'अै कुण है?'
'अै ई तो है म्हारै गांव रा मुसळमान, जका जैपर में टैरां रो धंधो करै।'
'अर ईं रो परिचय द्यूं, ओ है म्हारै गांव रो चौधरी जको जैपर में बोदा टैर काटसी।' बींटाळो अेक जणो हांस'र बोल्यो।
'हां तो खड़्यो हो, सुरेस। गाडी में थोड़ो ई टेम है।'
बींटाळो दूसरो बोल्यो।
'के किरायो है जैपर रो?'
सुरेस पूछ्यो।
'साठ रिपिया।'
बींटाळै बेली कैयो।
'तो लै।'
उण सौ रो लोट पकड़ायो अर बोल्यो-
'चाळीस पाछा दे दे। अर साठ री टिकट कटा लेई मेरी। म्हैं अेक पावटी गळमें गेर'र आवूं।'
चाळीस रिपिया लेय'र बो ठेकै कानी ढाण हुग्यो। अर बै चल्या गया टेसण कानी।
म्हैं बठै ई बैठ्यो रैयो। म्हारै अेक सवाल और खोद मारै हो। सोच्यो, आंवतै नै पूछस्यां।
बो अेक ई गरळकै में पावटी कंठां ढळाय'र टेसण कानी भाज्यो बगै हो। म्हैं हेलो मार्यो। बो थमग्यो।
म्हैं कैयो-
'अेक बातड़ी तो जांतो-जांतो और बताज्या।'
बो म्हारै कानी मुळक्यो।
'अब के बाकी रैयग्यो? छोड़ द्यो खैड़ो अब तो।'
'थनै दारू री लत पैलपोत किंयां पड़ी?'
'थे ईता खोदा किंयां काढो। म्हनैं लागै थे ई इण रोग रा मरीज हो।'
'ना-ना। म्हैं तो हाथ ई कोनी लगावूं।'
'तो सुणो, दो ई टप्पां में बता द्यूं।' बो बीड़ी सिलगांवतो बोल्यो-
'मेरै बाबै सिखाई ही म्हनै तो। म्हैं टाबर थको उण नै ठेकै सूं दारू ल्याय'र देंवतो। गेलै में ढक खोल'र अेक दो घूंट मार लेंवतो। पछै बड़ा मजा आंवता। अर ईंयां करतां-करतां आ पचगी सूंडै। बस इत्ती ई गल है। अब म्हनै जावण द्यो।'
बो जैपर अैक्सप्रैस में चढग्यो। अर म्हैं म्हारी गोज सूं दारू रो अधियो काढ'र गाडी री लीक पर दे मार्यो अर हनुमानगढ़ जावण वाळी पसैंजर नै उडीकण लागग्यो।
दूजै ई पल म्हारै काळजै री धरती सूं सवाल रो अंकुर फूट्यो-
'बो तो थनै सो कीं देयग्यो। पण थूं के दियो है उण नै?'
अेक झीणो गिरगराट लेयर म्हैं गाडी में बैठग्यो।