दीपिका ने कटरीना को सलाह दी है / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
दीपिका ने कटरीना को सलाह दी है
प्रकाशन तिथि :14 जनवरी 2015


खबर है कि दीपिका पादुकोण ने कटरीना कैफ को सलाह दी है कि वह रणबीर कपूर से विवाह नहीं करे। ज्ञातव्य है कि रणबीर कपूर की पहली फिल्म 'सांवरिया' आैर दीपिका की पहली फिल्म 'आेम शांति आेम' एक ही दिन प्रदर्शित हुई थी आैर संजय लीला भंसाली तथा फराह खान के बीच की नाराजगी खूब चटखारे लेकर पढ़ी गई परंतु दो प्रतिद्वन्दी फिल्मकारों के आग उगलने के दिनों में रणबीर कपूर आैर दीपिका गहरे मित्र बन गए तथा कुछ ही समय में उनके अंतरंग संबंध हो गए आैर अफवाहों का आलम यह था कि रणबीर कपूर दीपिका को अपनी मां नीतू कपूर से मिलाने ले गया आैर अफवाह बाजार में तो संभावित विवाह की शहनाई भी गूंजने लगी। उन दिनों खबरें थी कि रणबीर की पहली नायिका सोनम इस सबसे दु:खी थी क्योंकि रणबीर आैर उनके संबंध भी अंतरंग ही हो गए थे। दोनों ने संजय लीला भंसाली के सहायक निर्देशक के रूप में काम किया आैर 'सांवरिया' के नायक-नायिका भी बने। दोस्तोवस्की की 'वॉइट नाइट्स' से प्रेरित फिल्म में नायिका अंत में अपने पहले प्रेमी (सलमान खान) के साथ चली जाती है। इत्तेफाक देखिए कि इसी कथा पर दशकों पूर्व बनी मनमोहन देसाई की 'छलिया' में राजकपूर नूतन से प्यार करते हैं जो अंत में रहमान के साथ चली जाती है। देसाई ने उस रूसी कथा को भारत-पाक विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनाकर फिल्म को ठोस आधार दिया आैर विश्वसनीयता की भावना रची जबकि भंसाली की फिल्म की पृष्ठभूमि आैर कालखंड परिभाषित नहीं था। वह किसी काल्पनिक काल खंड की इतिहास विहीन देश की कथा थी।

बहरहाल गौरतलब बात यह है कि 'सांवरिया' के दिनों में सलमान खान की अंतरंग मित्र थी कटरीना कैफ आैर अब कुछ वर्षों के अंतराल के बाद यथार्थ यह है कि रणबीर कपूर आैर कटरीना कैफ साथ रहते हैं। सलमान खान अपने जीवन में आई सभी महिलाआें के प्रति सम्मान का भाव रखते हैं परंतु कटरीना कैफ के मामले में आहत नजर रहे हैं आैर यह प्रसंग मुझे याद दिलाते हैं कि कभी श्रीमती कृष्णा कपूर ने मुझसे कहा था कि नरगिस के जाने के बाद राजकपूर का आहत होना दिल का मामला नहीं था, वह उनका अहंकार टूटने का प्रसंग था कि उन जैसे सुपर सितारे की मित्र को नया लड़का ले उड़ा। शायद सलमान के साथ भी यही हुआ हो। दरअसल भावना की तीव्रता से अपने काम को प्यार करने वाले किसी आैर को प्रेम कर ही नहीं पाते।

बहरहाल इस पूरे प्रसंग में सामाजिक महत्व की बात दीपिका की कटरीना कैफ को दी गई सलाह के भीतर छुपी है जिससे शायद वह स्वयं भी अनभिज्ञ हैं। हमारे समाज में कुछ आधारहीन धारणाएं बन जाती है। मसलन एक बहन सीधी सरल खामोश रहने वाली है तो वह आदर्श पत्नी बनने योग्य 'कच्चा माल' है आैर बातूनी तथा सवाल पूछने वाली लड़की का क्या होगा इसकी चिंता में दादी बीमार हो जाती है। अप्रवासी बाजार में भारतीय वधू अर्थात सवाल नहीं पूछने वाली का भाव ऊंचा था तो कई परिवारों ने बकायदा 'कच्चा माल' ढालना शुरू किया था। इसी तरह युवा मर्द के बारे में भी 'विवाह का माल' आैर 'लफंगा' नामक श्रेणियां होती है आैर दीपिका का ख्याल है कि रणबीर कपूर 'विवाह माल' नहीं है। अब वह उनका 'आजमाया माल' है या साहित्य के मुहावरे में 'भोगा हुआ यथार्थ' है। दरअसल हम लोग बाहरी सतह पर दिखने वाले व्यवहार के आधार पर चरित्र का आकलन करते हैं जबकि हर व्यक्ति छिलकेदार प्याज की तरह है, उसकी कई सतहें हैं। चरित्र प्रमाणित करने के लिए कोई प्रयोगशाला नहीं है आैर ना ही चरित्र निर्माण कोई आैद्योगिक उत्पादन का विषय है। दरअसल खामोश व्यक्ति घुन्ना हो सकता है आैर वाचाल ठोस हो सकता है क्योंकि मनुष्य परिभाषाआें आैर सारे श्रेणीकरण के परे एक असीम संभावना है।

विवाह केवल प्रेम आधारित होने पर ही सफल हो सकता है आैर उसकी दूसरी आवश्यकता है परस्पर विश्वास आैर स्वतंत्रता। विवाह नामक खूंटे में रस्सी कितनी लंबी है यह मिथ भी टूटना चाहिए। अन्य कारणों से रचे विवाह टूट जाते हैं या दाेनों ताउम्र रिश्ते ढोते रहते हैं। सड़क पर झुक कर चलने वाले आसमान उठाने से नहीं झुके हैं। इस प्रसंग का दूसरा मजेदार पक्ष यह है कि स्वयं दीपिका पादुकोण भी विवाह का 'कच्चा माल' नहीं है। उनकी मित्रता फिल्मों में आने के पहले भी रही है। वह भी अत्यंत प्रतिभाशाली है आैर उसका प्रथम प्रेम भी उसका काम ही है। इस तरह के सारे लोग अंततोगत्वा यही सिद्ध करते हैं कि ताउम्र वे केव अपने से ही प्रेम करते रहे हैं आैर उनके मन के आइने में उनके पीछे खड़ी परछाई मात्र भ्रम है।