दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा फिल्म निर्माण में / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 03 जुलाई 2018
इंग्लैंड के एक लोकप्रिय प्रकाशन ने अपने ताजा अंक के मुखपृष्ठ पर दीपिका पादुकोण की तस्वीर प्रकाशित करते हुए यह लिखा है कि वे विश्व के उन सौ लोगों में एक हैं जो अपने उद्योग के फैसलों को प्रभावित कर सकती हैं। खबर यह भी है कि दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह इसी वर्ष के अंत तक विवाह कर लेंगे। विदेश में भारतीय कलाकारों को महत्व केवल इसलिए दिया जाता है कि भारतीय मूल के लोग भारी संख्या में उन देशों में बसे हैं। एक लोकप्रिय जुमला यह है कि आलू और भारतीय सभी देशों में पाए जाते हैं। आलू को अगर वाष्प में पकाया जाए तो वह गुणकारी सिद्ध होता है परंतु तेल में पकाया जाए तो गुणकारी नहीं रहता। आलू पकाए जाने के तरीके के कारण अपना असर बदलता है। हमारे दबंग नेता लालू यादव ने एक बार कहा था कि जब तक समोसे में रहेगा आलू, तब तक बिहार में रहेंगे लालू। अपनी बीमारी के कारण लालू यादव को जेल से अस्पताल में भेज दिया गया है। वे एक पुराने चारा घोटाले में दोषी पाए गए थे। लालू यादव का उदय भी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से हुआ था।
बहरहाल, दीपिका पादुकोण को फरहा खान ने शाहरुख खान अभिनीत 'ओम शांति ओम' में प्रस्तुत किया था जो पुनर्जन्म अवधारणा का चरबा नुमा फिल्म थी। रोहित शेट्टी की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' में दीपिका को बहुत सराहा गया और फिल्म की सफलता का श्रेय भी उन्हें दिया गया। इस तरह शाहरुख खान अपने द्वारा प्रस्तुत कलाकार से ही पटखनी खा गए। दीपिका पादुकोण के पिता बैडमिंटन के प्रसिद्ध खिलाड़ी रहे हैं और उनके ड्राय शॉट्स में शटल नेट पर एक क्षण के लिए स्थिर रहकर प्रतिस्पर्धा करने वाले के अहाते में टपक पड़ती थी। ज्ञातव्य है कि रणवीर सिंह की दादी ने राज कपूर की 'बूट-पॉलिश' में अनाथ बच्चों की पिटाई करने वाली महिला की भूमिका अभिनीत की थी। उन पर एक गाना फिल्माया गया था जिसके मूल बोल थे, 'मैं बाजारों की नटखट रानी, सारी दुनिया है मेरी दीवानी'। इस गीत के ध्वनि मुद्रण के समय लता मंगेशकर ने 'बाजारों' शब्द पर एतराज किया तो गीतकार शैलेन्द्र ने तुरंत ही 'बहारों' कर दिया। 'बाजारों' पर आपत्ति उठाने वाली गायिका ने कुछ वर्ष पश्चात 'पाकीज़ा' के गीत 'ठारे रहियो ओ बांके यार' पर कोई एतराज नहीं उठाया गोयाकि जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती जाती है, आपके 'एतराज' घटते जाते हैं। 'पाकीज़ा' में ही एक और गीत था, 'इन्हीं लोगों ने ले लिया दुपट्टा मेरा'।
देश के बाहर बनने वाली डॉलर फिल्मों में प्रियंका चोपड़ा दीपिका पादुकोण से बहुत आगे निकल चुकी हैं और अब सलमान खान की 'भारत' की नायिका हैं तथा राकेश रोशन भी 'कृष' फिल्मों की कड़ी के अगले भाग में उन्हें अनुबंधित करना चाहते हैं। अधिकांश फिल्मकारों की निगाह 'डॉलर क्षेत्र' पर है और इधर भारत के रुपए का मूल्य डॉलर की तुलना में घटता जा रहा है। इस तरह के संकेत प्रचारित हो रहे हैं कि प्रियंका चोपड़ा गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर और एक मराठी भाषा बोलने वाली कन्या पर फिल्म बनाना चाहती हैं। इसी तरह एक मराठी भाषा बोलने वाली कन्या ने गांधीजी के आदर्श से प्रभावित होकर उनकी सेवा चाकरी का भार लिया था। महापुरुषों के जीवन से जुड़े कई अंश सामने नहीं आ पाते हैं। सिमॉन द ब्वॉ की किताब 'कमिंग ऑफ एज' में अनेक महान लोगों के इसी तरह के प्रसंग का विवरण दिया गया है।
दीपिका पादुकोण भी 'मसान' के निर्देशक की अगली फिल्म अनुबंधित करने पर विचार कर रही हैं। पुरुष सितारे अपने मेहनताने के एवज में फिल्म में भागीदारी लेते हैं और इस तर्ज पर अब प्रियंका चोपड़ा और दीपिका पादुकोण भी भागीदारी मांगने लगी हैं। पुरुष केन्द्रित समाज और फिल्मों में नायिकाओं के भागीदारी मांगने का स्वागत किया जाना चाहिए परंतु इसी प्रक्रिया में निर्माता का महत्व व मुनाफा घट जाता है।