दुर्घटना / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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पिछले पच्चीस बरस से मैं, शोभा और सुषमा एक ही शहर में रहती हैं। हम सब सहेलिया यूँ घुलमिल कर रहती हैं जैसे कि दूध पानी। हम सब त्योंहार-उत्सव एक साथ मनाती हैं। व्रत-उपवास की कथा-कहानियाँ एक साथ सुनती हैं। खुशी-गमी में साथ रहती हैं। हमारे बच्चे एक ही स्कूल में पढऩे जाते हैं। सब लड़ते-झगड़ते हैं पर खेलते फिर भी एक साथ ही हैं। सब एक ही ट्यूटर से पढ़ते भी हैं।

किस घर में क्या पक रहा है? कौन आ जा रहा है, इसकी खबर भी सबको रहती है। कोई आए या जाए तो उसे लेने-छोडऩे जाना भी सब मिलकर करते हैं। हमारी दोस्ती की चर्चा हमारे ससुराल में ही नहीं पीहर तक में है।

हममें से कोई बीमार हो जाए या कहूँ कि शोभा बीमार हो जाए कि पीहर चली जाए या किसी काम में उलझ जाए तो उसकी जगह मैं और सुषमा मिल-जुल कर उसके घर का सारा काम निबटा लेती हैं।

मैं इस व्यवस्था के बारे में दूसरों को बताते नहीं थकती थी। आसमान में उड़ती थी कि हममें कितनी एकता है, प्रेम है। अलग-अलग घरों में रहते हुए भी एक घर जैसा एहसास होता था। लड़ाई करना तो हम जानते ही नहीं थे। शोभा का बेटा इंजीनियरिंग कर चुका था। आगे पढऩे के लिए वह दो बरस के लिए बैंगलोर गया। शोभा को उदास देख कर उसे दिलासा दी कि हम सब तुम्हारे साथ हैं? दो साल तो चुटकी बजाते हुए ही कट जाएंगे। फिर बैंगलोर कौनसा दूर है। जब जी चाहे चली जाना। उसका मन होगा तब वह आ जाएगा। बात हुई नीमड़ी।

तकरीबन महीने भर बाद की बात है। एक दिन हम तीनों सहेलियाँ किसी परिचित के यहाँ हुई मौत के कारण बैठने जा रही थीं। मैं गाड़ी चला रही थी। बातचीत का सिलसिला शुरू करते हुए मैंने शोभा से पूछा-'हर्षित को बैंगलोर रास आ गया? उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है?'

तभी सुषमा की तरफ से दबी-दबी हंसी सुनाई दी और शोभा ने हंसते हुए कहा-'वह बैंगलोर नहीं इंग्लैण्ड गया है।'

'इंग्लैण्ड गया है?' मैंने घोर आश्चर्य से पूछा।

'वो क्या हुआ नीना कि इसके विदेश जाने की चर्चा कब से चल रही थी। इंग्लिश टेस्ट क्लीयर नहीं हो रहा था। हर बार रह जाता। सब हर्षित पर हंसते थे। व्यंग में बार-बार पूछते थे कि' अब के भी हुआ नहीं क्या? ' इसलिए हमने यह बात घर में रखी। बाहर किसी को बताया ही नहीं सिवाय सुषमा के. एक बार वहाँ पहुँच जाए तब बताएंगे। कहीं जग हंसाई न हो जाए, बस यही सोचकर।

उस दिन, एक पल में मेरी आँखों में एक साथ कई दिन, महीने, बरस, दशक आ खड़े हुए, अट्टहास करते हुए. मेरी चेतना तो जैसे बिला गई. एक क्षण को मुझे शोभा ही नहीं सुषमा भी अजनबी-सी लगी और लगा जैसे मैं अनजानों के साथ कहाँ जा रही हूँ?

गाड़ी धीमी न होने के कारण स्पीड ब्रेकर पर उछल गई.

शोभा ने जोर से कहा 'यार नीना, गाड़ी ध्यान से चला दुर्घटना हो जाती अभी तो।'

पर दुर्घटना तो हो चुकी थी।