दूध पीकर दंड पेलते पहलवान / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 15 अक्तूबर 2019
कुछ शहरों में रात को पटाखे चलाए जाने की आवाज आने लगी है। दीपावली का उत्सव निकट हैं। चॉकलेट बनाने वाली कंपनियां लगातार विज्ञापन दे रही हैं कि उत्सव पर चॉकलेट भेंट स्वरूप दी जाए। इसके साथ ही मावे में मिलावट की खबरें भी आ रही हैं। यह संभव है कि इस तरह की खबरें इस उद्देश्य से फैलाई जा रही हैं कि पारंपरिक मिठाइयों के बदले चॉकलेट दी जाए। खाने-पीने की चीजों में मिलावट और तेजी से बदलता हुआ पर्यावरण बीमारियों को बढ़ा रहा है। हर शहर और कस्बे में सबसे अधिक दुकानें खाने-पीने के सामान और दवा बेचने वालों की हैं। हम निरंतर मिलावटी वस्तुएं खा रहे हैं और बीमार पड़ रहे हैं। लेबल प्रिंट करने के कारखाने निरंतर लेबल छाप रहे हैं। आज कोई संस्था या व्यक्ति यह नहीं बता सकता कि मिलावट का कारोबार कितना बड़ा है। एक मोटा अनुमान यह है कि केवल पांच उद्योगों में मिलावट के कारण 1.17 लाख करोड़ का घाटा भारत की अर्थव्यवस्था ने भुगता है।
बेरोजगारी की समस्या भी मिलावटी कारोबार से जुड़ी है। इस समस्या से जुड़े विभाग के अधिकारी का कहना है मिलावट को हौवा बनाया गया है और वह उतनी विराट नहीं है, जितनी बताई जा रही है। छठे दशक में बनी फिल्म 'फुटपाथ' में दिलीप कुमार अभिनीत पात्र अदालत में स्वीकार करता है कि वह ऐसी कंपनी का कर्मचारी रहा है, जिसने मिलावट की है और उसे अपनी सांस से मुर्दों की दुर्गंध आ रही है। इसी के कुछ वर्ष पश्चात ऋषिकेश मुखर्जी की राज कपूर, नूतन और मोतीलाल अभिनीत फिल्म 'अनाड़ी' का नायक भी अपनी मां समान मकान मालकिन को दवा लाकर देता है। नकली दवा के कारण उसकी मृत्यु हो जाती है। इस फिल्म में मकान मालकिन ललिता पवार अभिनीत पात्र क्रिश्चियन है और अपने किराएदार की बनाई पेंटिंग के बिक जाने का स्वांग करके बेरोजगार युवक को पैसे देती है। उसकी मृत्यु के बाद वे तथाकथित बिकी हुई पेंटिंग्स नायक को एक कमरे में मिल जाती है। यह गौरतलब है कि लगभग समान कथानक पर बनी 'फुटपाथ' टिकट खिड़की पर असफल रही परंतु 'अनाड़ी' सफल रही। 'अनाड़ी' की सफलता का सबसे अधिक श्रेय उसके गीत-संगीत और स्वाभाविक अभिनय को है। 'फुटपाथ' का प्रस्तुतीकरण यथार्थवादी था परंतु 'अनाड़ी' मूल धारा की व्यावसायिक फिल्म की तरह प्रस्तुत की गई थी। कुछ वर्ष पूर्व बिपाशा बासु अभिनीत 'कॉर्पोरेट' में उनके द्वारा अभिनीत पात्र को उस अपराध के लिए दंडित किया जाता है जो कॉर्पोरेट के मालिकों ने किया था। हमारे यहां हर बड़े घपले का ठीकरा किसी निर्दोष के सिर फोड़ा जाता है। मछलियां इतनी मोटी हैं कि वे जाल में फंसती ही नहीं और अगर फंस भी जाएं तो जाल सहित भाग जाती हैं। घोर दु:ख की बात है कि कृषि संबंधित चीजों में भी मिलावट कहर बरपा रही है। गोयाकि बीज को ही दूषित कर रहे हैं। मक्खन जैसी पावन वस्तुओं को भी मिलावट करने वाले बख्श नहीं रहे हैं। क्या उन्हें भावी पीढ़ी के कमजोर हो जाने का डर या फिक्र नहीं है। नकली मोबाइल बेचने से अधिक हानिकारक है दूध में मिलावट करना। हल्दी सेहत के लिए फायदेमंद है परंतु पिसी हुई हल्दी खरीदने पर आपको यह भरोसा नहीं होता कि यह असल माल है। विवाह के समय वर-वधू को हल्दी लगाई जाती है। परंतु उसके नकली होने के कारण उनका रूप बिगड़ जाता है। आश्चर्य की बात है कि नकली लेबल प्रिंट करने वाली मशीनें आधुनिकतम हैं और अधिकांश आयात की गई हैं। दरअसल, व्यवस्था पूरी तरह ठप है और अवाम अपने आपको उस दोष से बरी नहीं कर सकता। अवाम अपने ही खिलाफ रचे षड्यंत्र का हिस्सा है।
एक शताब्दी पहले ऐसी ही आधुनिकतम प्रिंटिंग मशीन का आयात किया गया था। उद्देश्य था कि हमारे पुरातन ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद सस्ते दामों पर कराना। अनुवाद करने वालों को संस्कृत और हिंदी का अल्पज्ञान था जिसके कारण दूषित पाठ घर-घर पहुंच गया। इस तरह गलत अनुवाद आत्मसात करके हमने अपनी सांस्कृतिक विरासत में ही मिलावट कर दी है।