दूसरा आदमी / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी
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(अनुवाद :सुकेश साहनी)
(एक)
दूसरे आदमी की असलियत उसमें नहीं है जो वह आपसे कहता है बल्कि सच्चाई उसमें है जो वह चाहकर भी आपसे नहीं कह पाता।
इसलिए यदि आप दूसरे आदमी को जानना चाहते हैं तो उसकी उन बातों को सुनिए जो वह आपसे नहीं करता न कि उन बातों को जो वह आपसे करता है।
(दो)
आपकी सबसे चमकीली पोशाक वह है जिसे दूसरे आदमी ने बुना है।
आपका सबसे प्रिय भोजन वह है जो आप दूसरे आदमी के मेज़ पर बैठकर खाते हैं।
आपका सबसे आरामदायक बिस्तर दूसरे के घर में है।
अब आप ही बताएँ...किस तरह आप खुद को दूसरे आदमी से अलग रख सकते हैं।