देखभाल / सपना मांगलिक
राहुल मातादीन जी का इकलौता पुत्र था जो सोफ्टवेयर इंजीनीयर बनकर अमेरिका बस गया था। मातादीन जी यूँ तो अकेले जीवन काट रहे थे, मगर कुछ हमउम्र रिटायर मित्रो से मिलजुलकर मन बहला लेते थे। एक दिन अचानक राहुल का फोन आया कि-इस उम्र में वह उनको अकेले भारत में नहीं रहने देगा, वैसे भी भारत में अब उनकी देखभाल करने वाला कोई है भी तो नहीं इसलिए वह उन्हें अमेरिका ले जाने के लिए आ रहा है। पुत्र के मन में अपने लिए इतनी चिंता जान मातादीन बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने मित्रो को ख़ुशी-ख़ुशी अपने अमेरिका जाने के विषय में बताया। वह मित्रो से बिछड़ने की वजह से कुछ उदास ज़रूर थे लेकिन पुत्र और पुत्रवधू के प्रेम और सेवा के सुख को सोच अमेरिका जाने को उतावले भी हो रहे थे। राहुल चार दिन बाद आने वाला था और यह चार दिन मातादीन के लिए चार वर्ष से भी लम्बे गुजरे। नियत समय पर राहुल आया और मातादीन के सामने अमेरिका के गुणगान करते हुए पूछा कि वह घर को ताला लगाकर जायेंगे या बेच के? मातादीन उदास स्वर में गिडगिडाए कि इस घर में राहुल की माँ की यादें हैं इसे बेचना उचित नहीं है। मगर राहुल का तर्क था कि उनके जाने के बाद इसकी देखभाल कौन करेगा इसलिए इसे बेच देना ही सही है।पुत्र पर भरोसा कर मातादीन ने उसे घर बेचने की अनुमति दे दी। मातादीन जी राहुल के साथ अमेरिका पहुँच गए। दो कमरों के फ्लेट में मातादीन जी को सोने के लिए ड्राइंग रूम के सोफे का बिस्तर मिला। सुबह बहुरानी ने अपने ऑफिस जाने से पहले घर की देखभाल करने का तरीका भी उन्हें समझा दिया।