देशप्रेम वाली फिल्मों की विभिन्न श्रेणियां / जयप्रकाश चौकसे

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देशप्रेम वाली फिल्मों की विभिन्न श्रेणियां
प्रकाशन तिथि : 22 फरवरी 2019


देशप्रेम की फिल्में कई तरह से बनाई जाती हैं। सेना केंद्रित फिल्मों को युद्ध फिल्में कहा जाता है। चेतन आनंद ने चीन द्वारा भारत पर किए आक्रमण पर 'हक़ीक़त' नामक फिल्म पंजाब सरकार की वित्तीय सहायता से बनाई थी। इस फिल्म के लिए कैफी आज़मी के गीत आज भी गुनगुनाए जाते हैं।

जेपी दत्ता की 'बॉर्डर' के लिए जावेद अख्तर का लिखा गीत 'संदेशे आते हैं' अत्यधिक लोकप्रिय हुआ। जेपी दत्ता ने 'एलओसी' नामक युद्ध फिल्म बनाई और कुछ दिन पूर्व ही उनकी 'पलटन' का प्रदर्शन हुआ। 'बॉर्डर' उनकी एकमात्र सफल फिल्म है। युद्ध से ध्यान हटाकर उन्होंने 'उमरावजान' नामक हादसा भी रचा।

देशप्रेम की दूसरे किस्म की फिल्में नीरज पांडे 'अय्यारी' है तथा शिवम नायर द्वारा निर्देशित 'नाम शबाना' हैं। नाम शबाना में नायिका आतंकवादी को मार देती है। इस फिल्म में अक्षय कुमार की यह बात प्रशंसनीय है कि उन्होंने खलनायक को खुद मारने का आग्रह निर्माता से नहीं किया और सारे साहसी दृश्य नायिका तापसी पन्नू को करने दिए हैं। अक्षय कुमार अभिनीत 'एअरलिफ्ट' भी देशप्रेम की फिल्म है। 'नीरजा' भी इसी श्रेणी की फिल्म है।

इसी तरह की अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म 'बेबी' में आतंकवाद के मुखिया को खाड़ी देश से जीवित पकड़कर लाया जाता है। फिल्म में खाड़ी देश का एक सख्त अफसर जानता है कि किस हवाई जहाज से आतंकवादी सरगना को हिंदुस्तान ले जाया जा रहा है। उसके पास हवाई जहाज को उड़ान भरने से रोकने का अधिकार है। वह यह भी जानता है कि चार भारतीय गुप्तचर इस काम को अंजाम दे रहे हैं। वह फिर भी हवाई जहाज को उड़ने की इजाजत देता है, क्योंकि वह नहीं चाहता कि आतंकवादी उसके देश को अपना अड्‌डा बनाएं। यह भी कहा जाता है कि सऊदी अरब आतंकवाद को धन व साधन उपलब्ध कराता है।

दूसरे विश्व युद्ध के पश्चात अमेरिका और रुस के बीच शीत-युद्ध प्रारंभ हुआ, जिसमें हथियारों के बदले प्रचार माध्यम से लड़ाई जारी रखी जा रही थी। इएन फ्लेमिंग ने जेम्स बॉन्ड नामक पात्र रचा जिसे अपना काम करते हुए कत्ल करने का अधिकार भी दिया गया। वह शत्रु देश में जाकर उनके हथियार और युद्ध के मंसूबों को समाप्त करते हुए उस देश की कन्या से प्रेम भी करता है। वह गन कम और गर्ल्स का अधिक इस्तेमाल करता है।

एक फिल्म का तो नाम ही 'विद लव फ्राम रशिया' था। बॉन्ड फिल्मों का पहला नायक शॉन कॉनेरी ने अभिनीत किया। कॉनेरी ने कुछ बॉन्ड फिल्में अभिनीत करने के बाद, लोकप्रियता के शिखर पर रहते हुए बॉन्ड फिल्में अभिनीत नहीं करने का निर्णय लिया, क्योंकि वे अपने अभिनेता स्वरूप को निखारने के लिए विविध भूमिकाएं अभिनीत करना चाहते थे। उनकी जगह ली रॉजर मूर ने। मूर भी एक सक्षम अभिनेता थे परंतु उनमें शॉन कॉनेरी वाली बात नहीं थी। शॉन कॉनेरी महिला दर्शक वर्ग में बहुत लोकप्रिय थे। बॉन्ड फिल्मों में महिला पात्र अभिनीत करने वाली नायिकाएं अंग प्रदर्शन करती हैं। उर्सुला एन्ड्रस समुद्र स्नान करके एक नमकीन लहर की तरह किनारे पर आती हैं। कैमरा अपनी लपलपाती जीभ से एक-एक बूंद को पी जाता है।

गौरतलब यह भी है कि इएन फ्लेमिंग ने कुछ ही उपन्यास लिखे परंतु बॉन्ड फिल्मों की संख्या अधिक है। स्पष्ट है कि फिल्मकार लेखक के ब्रैंड का इस्तेमाल करते रहे। इएन फ्लेमिंग के उपन्यास 'डायमंड्स आर फारेवर' के प्रारंभिक अध्याय में हीरा व्यापार के भीतरी तथ्यों को उजागर किया गया है परंतु फिल्मकार का सरोकार केवल थ्रिल रचने में है और उसने हीरा अर्थशास्त्र को अनदेखा किया। हीरे के साथ किंवदंतियां जुड़ी हैं कि वह किसी व्यक्ति को सफलता देता है तो किसी की जान चली जाती है। एक हीरा अलग-अलग समय नौ व्यक्तियों के पास गया और सारे व्यक्ति दुर्घटना में मारे गए।

अंग्रेजों की दासता के समय देशप्रेम की फिल्में धार्मिक आख्यानों के माध्यम से प्रस्तुत की गईं ताकि ब्रिटिश सेंसर से बच सकें और आज धार्मिक आख्यानों के नाम पर वोट की राजनीति की जा रही है। किसी भी कीमत पर सत्ता प्राप्त करने की प्रक्रिया में देश की ऊर्जा का अपव्यय हो रहा है।