देश का बोनसार्इ पेड़ / इन्द्रजीत कौर
लहरपुर गाँव का मुखिया अपने क्षेत्र के विकास के लिये बहुत चिन्तित रहता था। वह अपने गाँव का नाम आदर्श गाँव की लिस्ट में देखना चाहता था। एक बार उसने पढ़े-लिखे से अपने पड़ोसी को घर बुलाया और गाँव के आंकड़े उसे दिखाये। उसने आंकड़ों को गौर से देखा और कहा कि तुम्हारा गाँव विकास से काफी दूर है। इसे पटरी पर लाने के लिये कुछ उपाय करने होंगें। मुखिया ने उपाय पूछा। उस बन्दे ने कुछ नहीं बोला। मुखिया ने पुन: उपाय पूछा तो भी वह चुप था। मुखिया समझ गया। उसने प्यार से उसे अच्छा सा खाना खिलाया। कुछ मीठी-मीठी बातें की। यहाँ तक कि उसे अपना सचिव भी नियुक्त कर दिया। हिस्सेदारी प्रथा पर एक-दूसरे के अदृश्य हस्ताक्षर हुये। जेब का वर्तमान तथा भविष्य सुदृढ़ करने के बाद उस नव-नियुक्त सचिव ने उवाचा’ सड़क तो किसी तरह बरसात से पहले तक चल जायेगी अत: उसके लिये सड़ने की जरुरत नहीं है। बिजलीकरण के नाम पर बिजली के खम्भे लगवा लो।‘ मुखिया आत्मिक सुख के भाव के साथ दोनों हाथ पीछे कर मुस्कुरा रहा था।
सचिव ने आगे कहा कि आय के आंकड़े गाँव के विकास को बिल्कुल नहीं दर्शा रहें हैं। गाँव की कुल आय व प्रति व्यक्ति आय बहुत कम हैं। इसे बढ़ाओ। इसके बढ़ने से रहन-सहन का स्तर सुधरेगा और गाँव विकास कर जायेगा। मुखिया चुँकि लोकतांत्रिक व्यवस्था से चुना एक लोकप्रिय बन्दा था अत: पढ़ार्इ उसे कभी अनिवार्य हथियार नहीं लगी। उसने उसी पढ़े-लिखे व्यक्ति से आय बढ़ाने का उपाय इस शर्त पर पूछा कि हर हाल में दोंनों का आज व कल सुनहरा़ रहे। चुँकि पढ़ाकू शख्स मुखिया के घर का नमक खा चुका था अत: वफादारी निभाते हुये उसके सुझाव साँप को तो मार ही रहे थे पर लाठी भी बखूबी बचा रहे थे। कुल आय का आंकड़ा सभी की न सही, कुछ लोगों की आय बढ़ाकर भी बढ़ सकती है अत: सुझावानुसार कुछ गिने-चुने लोंगों को ही खजाने का हिस्सा दे दिया गया। इससे गाँव की कुल आय बढ़ गयी थी। इसी आय में से गाँव की जनसंख्या का भाग देकर प्रति व्यक्ति आय निकलती थी अत: पाया गया कि प्रति व्यक्ति आय भी बढ़ चुकी है। इस सफेद व लाल फीते के गठजोड़ ने औसत का गजब खेल खेला। कमी-बेसी के घनत्व को ताक पर रखकर चेरापूंजी तथा राजस्थान के लोंगों को एक ही तरह का छाता दे दिया।
खैर, इन सबसे किसी को क्या लेना-देना? आंकड़ों के खेल में मुखिया बहुत खुश था। उसने गाँव का एक खूबसूरत प्रवेश द्वार बनाया। खूब अकड़कर सारे आंकड़े उस पर गुदवाये। गाँव के अन्दर जाने के रास्ते में सबसे पहले उन्हीं के घर बनाये गये जिनकी वजह से कुल आय बढ़ी थी। मुखिया ने इन लोंगों को खेत में खड़ा किया। अपनी पगड़ी इन्हें पहनायी। हाथ में मोबाइल थमाया। बगल में ट्रैक्टर खड़ा किया और सबकी योगा वाली हँसी के साथ फोटू खींच ली। फोटो को स्वागत द्वार पर चिपकाया और एक प्रति ऊपर भेज दी। गाँव का नजारा विकास से नहाया हुआ लग रहा था।