दोस्त, दुश्मन आईने की दास्तां / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
दोस्त, दुश्मन आईने की दास्तां
प्रकाशन तिथि :05 जून 2017


प्रवाल रमन की हुमा कुरैशी अभिनीत 'दोबारा' कितनी बार देखने लायक है या देखना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है, कहना कठिन है, क्योंकि फिल्म देखी नहीं है। हुमा कुरैशी जैसी अदाकारा के बावजूद कहा नहीं जा सकता परंतु उसमें केंद्रीय पात्र एक आईना है, जो अपने इस्तेमाल करने वाले की विचार प्रक्रिया को बदलने की ताकत रचता है।

आईना बहुत कुछ सोचने को प्रेरित करता है। अादमकद आईने होते हैं और इतने छोटे भी होते हैं कि महिला अपने पर्स में रख लें! फैशन की दुनिया में ब्लाउज और साड़ी पर छोटे आईने टके होते हैं। यह गुजरे जमाने का फैशन अपनी वापसी भी कर सकता है। फैशन की सीधी सरल रेखा नहीं होती, उसका निरंतर घूमने वाला चक्र होता है। एक चतुर नार वर्तमान फैशन का परिधान खरीदकर रख देती है और फैशन बदलने के कुछ समय बाद उसे पहनने लगती है तो भीड़ में रहकर भीड़ से अलग लगती है। यह अलग-सा दिखना बड़ी मजबूत इच्छा होती है और इससे भी अधिक एक राजनीतिक विचारधारा चाहती है कि सब एक-सा पहने, एक-सा सोचंे और सभी एक ही रीति-रिवाज का पालन करें। इस तरह की सोच भारतीय संस्कृति के मूल सिन्थेसिस सिद्धांत के खिलाफ है। भारत की विशेषता विविधता है। अनेक क्षेत्र, अनेक भाषाओं और अनगिनत बोलियों के बीच एकता का भाव नितांत भारतीयता है।

ज्ञातव्य है कि यश चोपड़ा के प्रमुख सहायक दीपक सरीन ने 'आईना' नामक दो बहनों के प्रेम और द्वंद्व पर आधारित एक सफल फिल्म बनाई थी। जासूसी कथाओं की महारानी अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास का नाम है, 'द मिरर क्रेक्ड फ्राम साइड टू साइड' जिसमें एक शिखर महिला सितारा अपनी सबसे बड़ी प्रशंसक का कत्ल कर देती है, क्योंकि कुछ समय पर ज्वरग्रस्त होने के बाद भी प्रशंसिका सितारे से मिली और उसके अनजाने ही उसका छूत का रोग नायिका को लग गया और कुछ भव्य फिल्में उसके हाथ से निकल गई थीं।

रहस्य और रोमांच के बादशाह अल्फ्रेड हिचकॉक की फिल्म में एक पात्र एक कमरे में प्रवेश करता है, जिसकी सारी दीवारों और छत पर आईने लगे हैं। पात्र आईनों के कमरे से निकलने का प्रयास करता है तो किसी न किसी आईने से ही टकराता है। इन आईनों से सजे दरबार-ए-खास में बादशाह अकबार कनीज अनारकली को रक्स करने का हुक्म देते हैं और वह गाती है , 'प्यार किया तो डरना क्या।' एक शॉट में नाचती हुई अनारकली की छवियां सभी आईनों में दिखती है और शहंशाह इन छवियों से आतंकित हो जाते हैं। कैमरामैन आरडी माथुर ने सफेद चादरों से प्रकाश को रिफ्लैक्ट करके इसकी शूटिंग की थी। ज्ञातव्य है कि के. आसिफ द्वारा निमंत्रित विदेशी कैमरमैन ने आईनों से भरे हॉल में शूटिंग करने को असंभव माना था परंतु आरडी माथुर ने यह अजूबा कर दिखाया था। इंदौर में इतवारिया बाजार क्षेत्र में एक विलक्षण कांच मंदिर है। इसे जैन धर्म के मानने वालों ने रचा है। पीजी वुडहाउस ने स्कूली छात्रों के जीवन पर कुछ मनोरंजक उपन्यास लिखे हैं। एक उपन्यास में एक छात्र क्रिकेट मैच खेल रहा है और उसके द्वारा सताया गया शारीरिक रूप से कमजोर छात्र दर्शक दीर्घा से छोटे से आईने से सूर्य की किरणें बल्लेबाज की आंखों की ओर करता है और बेचारा बोल्ड आउट हो जाता है। पीजी वुडहाउस मानव मन को बखूबी समझते थे और उनके पात्रों के अवचेतन में अच्छाई और बुराई अठखेलियां खेलती हैं। वुडहाउस ने अनगिनत पाठकों को उदासी की मनहूसियत से बचाया है। सुना है कि हमारी भोली सरकार विकास का वादा तो निभा नहीं पाई परंतु 'आनंद मंत्रालय' की स्थापना करना चाहती है गोयाकि परमिट पर अनाज के साथ किलो दो किलो खुशी भी जारी की जाएगी। कुछ दुकानें होम डिलीवरी की व्यवस्था भी कर रही हैं परंतु डिलीवरी देने वाला चंचल उसमें से सौ ग्राम खुशी चट भी कर सकता है।

बचपन में आईना खेल में इस्तेमाल किया जाता है, जवानी में दोस्त लगता है परंतु बुढ़ापे में मुंह चिढ़ाता है। उम्र के हर पड़ाव पर आईने की भूमिकाएं बदलती रहती है। कुछ आईने ऐसे होते हैं,जिसमें देखने वाले को अपनी विकृत छवि नज़र आती है। प्राय: मेले तमाशों में इस तरह के आईने लगाए जाते हैं। राज कपूर ने 'सत्यम शिवम सुंदरम' में ऐसे आईनों के गिर्द एक दृश्य रचा था। केए अब्बास की लिखी 'श्री 420' में भी आईना दृश्य है। फिल्म में हर शॉट के पहले मेकअप मैन कलाकार को आईना दिखाता है। यह संभव है कि आईे के आविष्कार द्वारा महिला को प्रेरित किया कि वह आईने में अपनी छवि देखकर मंत्रमुग्ध हो जाए और कालांतर में महज रूप गर्विता होकर अपने सोचने की ताकत ही खो दे।