दोस्त दोस्त ना रहा... / जयप्रकाश चौकसे

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दोस्त दोस्त ना रहा...
प्रकाशन तिथि : 12 अप्रैल 2013


जैसे आणविक विस्फोट से हुई तत्कालीन हानि से अधिक हानि विस्फोट के बाद वर्षों तक आणविक विकिरण के कारण होती है, वैसे ही फिल्म उद्योग में अति प्रचारित सितारा सज्जित फिल्म की भारी असफलता से भी एक किस्म का आणविक विकिरण होता है। मसलन बचपन के सखा, दिग्दर्शक साजिद खान को 'हिम्मतवाला' के हादसे के बाद मित्र निर्माता साजिद नाडियाडवाला ने सफल ब्रांड 'हाउसफुल' की अगली कड़ी अन्य निर्देशक के साथ बनाने की घोषणा की है। कुछ समय पूर्व ही नाडियाडवाला ने साजिद के जीजा और बहन फराह के पति शिरीष कुंडर को भी प्रस्तावित 'किक' से बाहर कर दिया है। याद आता है कि फराह-शिरीष विवाह के बाद स्वागतभोज नाडियाडवाला ने ही आयोजित किया था, जिसमें उस समय एक-दूसरे के बैरी बने सलमान खान और शाहरुख गले मिले थे और सारे शिकवे-शिकायत दूर हो गए थे। ये दोनों सुपर सितारे, साजिद, फराह और शिरीष अलसभोर तक नाचते रहे थे। सलमान और शाहरुख के बीच कैटरीना कैफ के जन्मदिन की दावत में फिर विवाद हो गया था। दरअसल, इन दोनों ने दोस्ती के दिनों से ज्यादा समय दुश्मनी निभाई है।

बहरहाल, फिल्म उद्योग में अधिकांश रिश्तों पर बॉक्स ऑफिस का प्रभाव रहता है। दरअसल, इस उद्योग की आत्मा का पंछी बॉक्स ऑफिस पिंजड़े में ही रहता है। इसका यह अर्थ नहीं कि सारे रिश्ते ऐसे ही हैं। कुछ चुनिंदा लोग इसके परे भी रिश्तों का निर्वाह करते रहे हैं। हम नाडियाडवाला को निर्मम और बेमुरव्वत इसलिए नहीं कह सकते कि उन्होंने साजिद खान को पहला अवसर दिया और 'हे बेबी' ज्यादा सफल नहीं थी, फिर भी हाउसफुल के दोनों भाग साजिद से निर्देशित कराए तथा विगत पांच वर्षों से नाडियाडवाला साजिद को सलाह दे रहे थे कि वह 'हिम्मतवाला' नहीं बनाए। यह भी गौरतलब है कि अगर हिम्मतवाला सफल होती तो क्या साजिद नाडियाडवाला से 'हाउसफुल-3' के लिए अधिक पारिश्रमिक नहीं मांगते?

सलमान खान ने साजिद नाडियाडवाला के साथ उस समय फिल्में कीं, जब नाडियाडवाला का सितारा गर्दिश में था। दोनों की चार सफल फिल्मों के बाद नाडियाडवाला ने 'जानेमन' के हादसे के बाद अक्षय कुमार के साथ ढेरों फिल्में कीं और वे सलमान खान के पास उनके 'दबंग' की सफलता के बाद लौटे। सलमान ने मुश्किल वक्त में साथ छोडऩे की रंजिश को भुलाकर पुन: उसके साथ 'किक' नामक फिल्म करने की रजामंदी दे दी। इसी दरमियान नाडियाडवाला तो शाहरुख खान के साथ विशाल भारद्वाज की 'टू स्टेट्स' बनाने की प्रक्रिया में जुट गए थे। इसे भी हातिमताई सलमान ने भुला दिया। यह बात अलग है कि शाहरुख के उस प्रोजेक्ट से हट जाने के बाद अब उसी कहानी को शाहरुख के अंतरंग सखा करण जौहर साजिद के साथ मिलकर रणबीर कपूर के साथ बना रहे हैं।

अपनी पहली दो फिल्मों की सफलता के बाद करण जौहर का विचार था कि वे अपने जीवन में शाहरुखविहीन फिल्म की कल्पना भी नहीं कर सकते, परंतु उन्होंने अन्य सितारों के साथ ढेरों फिल्में बनाई हैं और बनाने जा रहे हैं। इस मामले में आदित्य चोपड़ा का रुख हमेशा स्पष्ट रहा है कि वह सभी स्थापित सितारों के साथ फिल्में बनाएंगे और नए कलाकारों को भी अवसर देंगे। हमेशा सितारा कैंप के तथाकथित तौर पर युद्धरत रहने की दशा में भी आदित्य चोपड़ा यूएन की भूमिका में तटस्थ रहते हैं, परंतु यूएन कभी तटस्थ नहीं रहा, वह अमेरिका के दत्तक पुत्र की तरह रहा।

बहरहाल, फिल्म उद्योग अकेले ही सफलता और स्वार्थ की निर्णायक शक्तियों से संचालित नहीं है। अन्य क्षेत्रों में भी यही हो रहा है और सबसे कम ईमान तो राजनीति में है। हर क्षेत्र में सघन प्रतिद्वंद्विता इसी निष्ठुरता से निभाई जा रही है। अपने प्रतिद्वंद्वी के प्रति औपचारिक भलमनसाहत तो बिना किसी हानि के निभाई जा सकती है। आज कोई सिकंदर-पोरस नहीं है। राजनीति में पराजित शत्रु के प्रति यह दया दिखाई जाती है। उसके घपलों को दबाया जाता है कि जब तुम्हारी बारी आए तो यही मित्रता तुम भी निभाना। स्वार्थ-सुरक्षा के इस घिनौने भीतरी तालमेल के कारण ही कोई चोर नेता दंडित नहीं होता। अमेरिा में डाक्टरों की दुनिया में भी यह अलिखित समझौता है कि एक डॉक्टर दूसरे की लापरवाही के खिलाफ अदालत में गवाही नहीं देता। इस 'कांसपेरेसी ऑफ सायलेंस' पर 'आइलेस इन गजा' कमाल की किताब तीन दशक पहले लिखी गई है। इस प्रकरण से औरतें मुक्त हैं। वे एक-दूसरे को कष्ट देने में प्रवीण मानी गई हैं- कम से कम भारतीय टेलीविजन सीरियल तो यही कह रहे हैं। क्या सचमुच कभी दोस्त रहा व्यक्ति जब आपका दुश्मन बन जाता है, तो उसकी मृत्यु पर आपकी आंखें नम नहीं होतीं और मित्रता में बिताया हुआ वक्त सचमुच मित्रों के मरने के पहले ही पूरी तरह से मर जाता है?

आज अगर दो बड़े सितारे साजिद खान के साथ हो जाएं तो नाडियाडवाला उसके साथ फिल्म बनाएंगे। कहीं कुछ स्थायी नहीं होता, प्रति शुक्रवार रिश्ते बदलते हैं।