दो जुदा भाई और तीन असमान फिल्में / जयप्रकाश चौकसे

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दो जुदा भाई और तीन असमान फिल्में
प्रकाशन तिथि : 19 जुलाई 2013



प्रभुदेवा ने 'श्री ४२०' के गीत से अपनी फिल्म का नाम लिया। रमैय्या वस्तावैय्या का अर्थ होता है - राम को आना होगा। फिल्म के नायक का नाम भी राम है और वह विजयी भी होता है। इस आधुनिक कथा के दशरथ रणधीर कपूर की पत्नी के निकट कैकेयीनुमा शक्तियां भी हैं, परंतु यह आधुनिक फिल्म रामायण के रूपक पर आधारित मात्र है। यह हिंदुस्तानी सिनेमा का चरित्र है कि धार्मिक आख्यानों के संकेत मात्र किए जाते हैं, जैसे ऋषिकेश मुखर्जी की 'सत्यकाम' में महाभारत का जाबाली प्रसंग है और उसी के पुत्र का नाम सत्यकाम था।

बहरहाल, कोई एक दशक पूर्व नृत्य संयोजक और अभिनेता प्रभुदेवा की पहली फिल्म का ही यह नया संस्करण है और प्रभुदेवा ने सूरज बडज़ात्या की पहली फिल्म 'मैंने प्यार किया' तथा सलमान की ही 'प्यार किया तो डरना क्या' के अरबाज अभिनीत पात्र को मिलाकर यह कथा रची और यह भी हिंदुस्तानी सिनेमा का ही चरित्र है कि विभिन्न स्रोतों से माल लेकर अपनी मिक्सी में मथकर मनोरंजक फिल्म बनाई जाती है। जैसे नमकीन की एक विज्ञापन फिल्म की थीम है 'टेढ़ा है पर मेरा है' वैसी ही प्रभुदेवा की फिल्म शैली भी है, परंतु उनका जुनून ही पहाड़ों से पुरानी कथा में नए प्राण भर देता है। नया नायक गिरीश तोरानी मध्यांतर के बाद वाले भाग में बहुत प्रभावित करता है और कुछ मधुर गीतों का नाटकीय इस्तेमाल भी अच्छा हुआ है। तोरानी दिल खोलकर पैसा फिल्म पर लगाते हैं।

यह भी संयोग ही है कि आज प्रदर्शित दोनों फिल्मों में दो कपूर भाइयों ने काम किया है। ऋषि कपूर निखिल आडवाणी की 'डी डे' में काम कर रहे हैं तो उनके भाई रणधीर कपूर प्रभु देवा की फिल्म 'रमैय्या वस्तावैय्या' में काम कर रहे हैं। दो वर्ष पूर्व दोनों भाई एक साथ 'हाउसफुल-2' में बढिय़ा काम कर चुके हैं।

रणधीर कपूर का अभिनय कॅरियर संक्षिप्त रहा, क्योंकि वे जिस हास्य परंपरा के नुमाइंदे थे, उसे सलीम-जावेद-अमिताभ की लहर ने लोप कर दिया था और सन १९८३ तक बात खिंची, परंतु छोटे भाई ऋषि कपूर ने उनके पहले अभिनय शुरू किया और १९९८ में राकेश रोशन की 'कारोबार' तक नायक की पारी तीन दशक तक खेली और चरित्र भूमिकाओं में राहुल रवैल की 'कुछ खट्टी कुछ मीठी' से काम शुरू किया तथा आज अत्यंत व्यस्त चरित्र अभिनेता हैं। चार पीढिय़ों में वे पहले कपूर हैं, जिन्होंने खलनायक की भूमिकाएं भी कीं और अब तक विभिन्न रूपों में ४३ वर्ष की अभिनय यात्रा कर चुके हैं।

रणधीर कपूर की बेटियां करिश्मा और करीना सक्रिय हैं तो ऋषि कपूर के सुपुत्र रणबीर कपूर सबसे अधिक लोकप्रिय युवा सितारे हैं। राज कपूर के ये दोनों पुत्र विभिन्न जीवन शैली और विभिन्न अभिनय शैली में ठीक वैसे ही हैं, जैसे राज कपूर के दोनों भाई शम्मी कपूर और शशि कपूर थे। दरअसल, इस परिवार में परंपरा का निर्वाह नितांत निजी शैली में होता रहा है और आज युवा रणबीर की भी अपनी निजी शैली है।

बहरहाल, रणधीर कपूर सहजता से जीवन को लेते रहे हैं, उनमें कभी भी प्रतिद्वंद्विता की तीव्रता नहीं थी और अपने हास्य से निजी मित्रों के बीच प्रशंसित होते रहे हैं, परंतु ऋषि कपूर को हमेशा दूर स्थित सिनेमाघरों में बजती तालियों की फिक्र रही है। यह बात ऐसे भी कही जाती है कि रंगमंच के कलाकार को उसी समय दर्शक की प्रतिक्रिया मिल जाती है, परंतु सिनेमा में काम करने के अरसे बाद तालियां कहीं और पड़ती हैं। ऋषि कपूर ने अमिताभ बच्चन से लेकर खान सितारों तक अपनी जमीन कायम रखी है। यह अंतर आशु कवि और गंभीर लंबी कविता रचने वाले में होता है। प्रकृति कहीं भी अपने को नहीं दोहराती। डुप्लीकेट मशीन नहीं है मानव।

आज 'डी डे', 'रमैय्या वस्तावैय्या' के साथ ही आनंद गांधी की 'शिप ऑफ थीसियस' कुछ शहरों में लग रही है। किसी जहाज के सारे पुर्जे बदलने के बाद भी जहाज का निजीत्व सुरक्षित रहता है। इसमें तीन अलग मनुष्यों की कथाएं हैं। इस फिल्म का प्रचार और प्रदर्शन किरण राव खान कर रही हैं। दरअसल, भारतीय सिनेमा और राष्ट्र की विविधता ही उसका अस्तित्व और शक्ति है और दर्शक भी सभी प्रकार के स्वाद का अभ्यस्त है। इस तरह के विवाद भी हो रहे हैं कि सुचारू व्यवस्था और धर्मनिरपे्षता में किसको चुनें। धर्मनिरपेक्षता से ही देश का अस्तित्व है और अच्छी-बुरी व्यवस्था सहने के शॉक एब्सॉर्बर जनमानस के पास हैं और इसी तरह अच्छा-बुरा, असुंदर सब तरह का मनोरंजन हम झेल लेते हैं।