दो ज्वालामुखियों की प्रेम कथा / जयप्रकाश चौकसे

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दो ज्वालामुखियों की प्रेम कथा
प्रकाशन तिथि : 25 दिसम्बर 2013


रितिक रोशन इलाज कराकर अमेरिका से मुंबई आ गए हैं और वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। उनकी पत्नी सुजैन के पिता संजय खान का कहना है कि रितिक और सुजैन के रिश्ते में दरार दुखद है परन्तु इस संभावना से इनकार नहीं किया कि वे दोनों अपने निकाह को बचा लें। इस बात से स्मरण होता है कि हॉलीवुड की शिखर सितारा एलिजाबेथ टेलर ने सितारे रिचर्ड बर्टन से विवाह किया था और तलाक के बाद उन दोनों ने दोबारा भी विवाह किया था। पहले तलाक के बाद रिचर्ड बर्टन ने कहा था कि हम एक ही मांस के दो लोथड़े हैं और अधिक समय अलग नहीं रह सकते । रिचर्ड बर्टन और एलिजाबेथ टेलर 1964 से 1974 तक साथ रहे और प्राय: वे दोनों एक-दूसरे से लड़ते भी रहे। उनके विवाह संबंध की कुछ झलक हमें उनकी फिल्म 'हू इज अफ्रेड ऑफ वर्जीनिया वूल्फ' में देखने को मिलती है। यह एक कॉलेज कैम्पस में रहने वाले प्रोफेसर दंपती की कहानी है। दोनों ही विद्वान है और उनके मिजाज में ही मिर्च है तथा दोनों ही शराब के जबरदस्त शौकीन है। उनके लिवर और दिल दोनों ही मजबूत हैं और एक-दूसरे को खूब प्यार करते हुए भी एक-दूसरे को आहत करने का कोई अवसर नहीं छोड़ते।

उनके प्रेम में हिंसा शामिल है और दोनों ही इतने ईमानदार हैं कि न अपना प्यार छुपाते हैं और न ही नफरत के लिए कोई झीना आवरण खोजते हैं। दोनों निहायत ही बेखौफ लोग हैं और रिश्ते को ढ़ोना उन्हें नहीं आता । उनके प्रेम की इंतिहा उनके झगड़े में होती हैं और हर झगड़ा शीघ्र ही प्रेम में बदल जाता है। वे दिन में आई अप्रिय बात भी छुपाते नहीं हैं, उनकी वाचालता भी उनके प्रगाढ़ संबंध का एक हिस्सा है। दरअसल, ये रिश्ता सचमुच में ऊपर वाले का बनाया हुआ था क्योंकि उनके अलग-अलग लोगों से विवाह का अर्थ होता कि अन्य लोगों का जीवन भी नष्ट होता। उन दोनों के पास प्रेम की असीमित शक्ति थी तो अपार नफरत भी उनके ही बस की बात थी। ये दो अत्यंत प्रखर व्यक्तियों का जीवन था। दोनों में से कोई भी एक कुछ भी सहने को तैयार नहीं था।

रिचर्ड बर्टन और एलिजाबेथ के अजीबोगरीब रिश्ते से यह भी रेखांकित होता है कि प्राय: सफल कहे जाने वाले शांतिपूर्ण रिश्तों में अभिनय होता है। हर मनुष्य स्वयं में एक द्वीप की तरह स्वतंत्र होता है और दो लोगों की सोच तथा रुचियां कभी एक सी नहीं हो सकती तथा इस विभिन्नता के बावजूद लोग साथ रहते हैं तथा यह सह अस्तित्व ही समझदारी भी है, दुनियादारी भी है।

एलिजाबेथ टेलर में अभिनय प्रतिभा रिचर्ड बर्टन से कम थी परन्तु वह अपनी मेहनत से उस अभाव को पूरा कर लेती थी तथा उसे 'बटरफील्ड' के लिए 1961 में श्रेष्ठ अभिनय के लिए आस्कर से नवाजा गया और दूसरा ऑस्कर 'हू इज अफ्रेड ऑफ वर्जीनिया वूल्फ' के लिए मिला। रिचर्ड बर्टन रंगमंच की पृष्ठभूमि से आए थे और अपनी फिल्म 'हैमलैट' के लिए वे भी पुरस्कृत हुए। उन दोनों ने पहली बार 'क्लिओपेट्रा' में अभिनय किया तथा शूटिंग के समय ही उनके प्रेम का रसायन किसी से छुपा नहीं रहा। दोनों को एक फिल्म में अभिनय के लिए तीन मिलियन डॉलर का मेहनताना मिलता था । उनकी शेक्सपीयर के नाटक से प्रेरित फिल्म 'टेमिंग ऑफ ए श्रू' अत्यधिक सफल सिद्ध हुई और ये भी उनके मिजाज का ही एक हिस्सा था। क्रोध दोनों की नाक पर टिका रहता था और छोटी सी अप्रिय बात पर वे भड़क जाते थे गोयाकि दो उग्र ज्वालामुखी एक-दूसरे के साथ रहते थे और लावा उगलने को हमेशा बेकरार रहते थे।

धरती की निचली सतह में इन ज्वालामुखियों के उद्गम स्थान पर अवश्य प्रेम की तरलता प्रवाहित रहती थी। ज्ञातव्य है कि इस 'टेमिंग' से प्रेरित पहली हिंदी फिल्म दिलीप कुमार और नादिरा अभिनीत 'आन' थी तथा दूसरी बार बनी 'बेताब' में सनी देवल और अमृतासिंह ने अभिनय किया था। एलिजाबेथ टेलर इतनी लोकप्रिय सितारा थीं कि निर्माता उनके सारे नाज नखरे उठाते थे। आऊटडोर शूटिंग पर उसके पालतू कुत्ते और बिल्लियां तथा अनेक सेवक साथ जाते थे और वह प्राय: किसी विशाल बंगले में रहना पसंद करती थी। रिचर्ड बर्टन को पढऩे लिखने का बहुत शौक था और कविता उसकी पहली पसंद थी। उसकी संगत में एलिजाबेथ को भी विता पढऩे का शौक हो गया था। एलिजाबेथ टेलर का जन्म 27 फरवरी 1932 को हुआ था और मृत्यु 23 मार्च 2011 को हुई ।

अपने 79 वर्ष के जीवन में उसने सात विवाह किए परन्तु प्रेम केवल रिचर्ड बर्टन से ही किया। एलिजाबेथ के व्यक्तित्व का आधार था स्वयं को आहत करना या दूसरों को आहत करना। यही उसकी प्रेम की परिभाषा थी।