दो पल के जीवन से, एक उम्र चुरानी है / जयप्रकाश चौकसे

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दो पल के जीवन से, एक उम्र चुरानी है
प्रकाशन तिथि : 27 जुलाई 2020


क्या डिंपल कपाड़िया खन्ना आत्म-कथा लिखेंगी, यह संभव है कि डिंपल अपने जीवन की घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से सुनाएं और उनकी बेटी ट्विंकल लिखेें। ज्ञातव्य है कि ट्विंकल खन्ना अपना कालम लिखती रही हैं और उनकी दो किताबें भी प्रकाशित हुई हैं। आभास होता है कि ट्विंकल खन्ना पर, पी.जी वुडहाऊस और पत्रकार बहराम कॉन्ट्रेक्टर की शैली का प्रभाव है, परंतु उनके अध्ययन का संसार बहुत फैला हुआ है। हाल ही में प्रकाशित एक लेख में उन्होंने पी.जी वुडहाऊस को उन्हीं की शैली में लिखकर आदरांजलि दी थी! बहराम कॉन्ट्रेक्टर ने अपने लेखन में कुछ पात्रों का आकल्पन किया था, जिनकी प्रेरणा उन्हें वास्तविक लोगों से मिली। इसी शैली में ट्विंकल खन्ना ने भी कुछ पात्रों की रचना की है। मसलन उनकी माता, पति, बच्चे और आया। ट्विंकल खन्ना और अक्षय कुमार से पात्रों का साम्य नहीं है,परंतु वैचारिक प्रक्रिया में कुछ समानता है।

ज्ञातव्य है कि डिंपल कपाड़िया की मां खोजा समूह से आईं और पिता चुन्नीलाल गुजराती वर्ग से। राजकपूर अपनी फिल्म ‘बॉबी’ के लिए किशोरी, नायिका खोज रहे थे। लोगों को अनुमान था कि वे नीतू सिंह का चयन करेंगे। नीतू सिंह ने बाल कलाकार की भूमिकाएं अभिनीत की थीं और किशोर अवस्था में रणधीर कपूर तथा ऋषि कपूर के साथ कुछ फिल्में अभिनीत की थीं। मुन्नी धवन के पति किशन धवन चरित्र भूमिकाएं करते थे, मुन्नी, ने डिंपल का सुझाव दिया। बहरहाल डिंपल का पहले लिया गया स्क्रीन टेस्ट किसी को पसंद नहीं आया। वे खाई-पी तंदुरुस्त किशोरी थीं, परंतु कैमरे की आंख से वे मुटाई सी लगती थीं। कैमरा यथार्थ का एनलार्जमेंट प्रस्तुत करता है। बहरहाल पारखी राजकपूर ने डिंपल में एक सितारा देखा। उन्हें परामर्श दिया कि वे गोपीकृष्ण से नृत्य सीखें व तैराकी प्रतिदिन करें। कुछ माह बाद डिंपल का दूसरा स्क्रीन टेस्ट हुआ। इस बार सभी विस्मित थे, डिंपल का कायाकल्प हो चुका था। कश्मीर में हुई शूटिंग के दौरान ऋषि कपूर व डिंपल के रिश्ते नजदीकी होते नजर आ रहे थे। दोनों जानते नहीं थे कि ये प्यार था कि कुछ और था। संभवत: यह कश्मीर का जादू था।

‘बॉबी’ के निर्माण के समय राजेश खन्ना की लोकप्रियता का सितारा बुलंदियों पर था। राजेश की लोकप्रियता जितनी तेजी से ऊपर गई, उतनी अधिक तेजी से नीचे गिरी। नीचे गिरते समय, चांदनी रात में उनकी दावत में डिंपल आई थीं। वे डिंपल के साथ समुद्र तट पर चहलकदमी कर रहे थे। पूनम का चांद अपना तिलिस्म फैला रहा था। ऐसे में राजेश खन्ना ने षोड़षी डिंपल से विवाह का प्रस्ताव रखा। उम्र के ऐसे ही दौर में कुन्ती तक भरमा गई थी, तो बेचारी डिंपल भला क्या कर सकती थीं? और स्वीकृति शादी की शहनाई में बदली। अपने चेम्बूर के निवास में ऋषि कपूर ने सारी बत्तियां बुझा दीं। गमें जिंदगी के अंधेरे में वो याद आए, बहुत याद आए। डिंपल के पिता के आग्रह पर राजकपूर ने डिंपल का कन्यादान किया। बाद में राजकपूर ने अपने पुत्र को समझाया कि निरंतर काम करते रहना ही सब दर्दों की एक दवा है।

ज्ञातव्य है कि अधेड़ अवस्था में ऋषि कपूर और डिंपल ने कुछ फिल्मों में अभिनय किया। नीतू सिंह ‘बॉबी’ के लिए चुनी नहीं गईं, परंतु राजकपूर की बहू बनकर उनके घर आईं। नीतू सिंह और ऋषि कपूर ने सुखद दाम्पत्य पाया। ऋषि कपूर ने पत्रकार मीरा नायर को जीवन वृत्तांत सुनाया जो ‘खुल्लम-खुल्ला’ के नाम से अंग्रेजी में प्रकाशित हुआ, जिसका हिंदी अनुवाद मेरी पत्नी ऊषा ने किया।

ट्विंकल खन्ना बखूबी बयां कर सकती हैं कि उनकी मां डिंपल ने जीवन में क्या खोया, क्या पाया। खोने-पाने, लाभ-हानि के परे भी बहुत कुछ है जीवन में। फिल्मी गीतों में जिंदगी के कुछ उत्तर मिल जाते हैं। ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है।’