दौलतवाले दुल्हनिया ले जायेंगे / जयप्रकाश चौकसे

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दौलतवाले दुल्हनिया ले जायेंगे
प्रकाशन तिथि :09 जुलाई 2015


आज की शिखर तारिकाएं दीपिका पादुकोण, कंगना रनोट, प्रियंका चोपड़ा, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा अविवाहित हैं परंतु पुरुष शिखर सितारों में सलमान खान और रणबीर कपूर ही अविवाहित हैं। युवा सितारों में रणवीर सिंह, अर्जुन कपूर, वरुण धवन व मल्होत्रा कुंआरे हैं। अनुष्का शर्मा और क्रिकेट सितारे कोहली का विवाह पक्का है परंतु रणबीर कपूर व कटरीना कैफ के विवाह के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। रणवीर सिंह सरेआम दीपिका से विवाह की आशा का ढोल पीटते रहते हैं। मल्होत्रा एवं आलिया भट्‌ट की अंतरंगता बढ़ती जा रही है। सुर्खियों में बने रहने वाले करण जौहर और टेलीविजन की महारानी एकता कपूर भी अविवाहित हैं। प्रियंका चोपड़ा एकमात्र सुपर स्टार है, जिसके बारे में कभी कोई अफवाह नहीं फैली। वे अकेली ऐसी सितारा हैं जो अमेरिकी प्राइम टाइम टेलीविजन सीरियल की नायिका रही हैं तथा उनका प्रायवेट अलबम भी विदेशों में ही ज्यादा बिका है। अत: प्रियंका चोपड़ा को विदेशी दूल्हा मिलेगा ऐसी कल्पना की जा सकती है। क्वीन कंगना के विषय में कहीं कोई अफवाह नहीं है।

पुराने जमाने में राजे-रजवाड़ों व मुगल दरबारों में शादियां राजनीति की बिसात पर सामरिक लाभ-हानि के लिए आयोजित की जाती थी। सामंतवाद के शिखर दिनों में तो मनोरंजन के लिए बड़े लोग अपने पालतू जानवरों का विवाह भी रचते थे। आगा खां का विवाह हॉलीवुड सितारे से हुआ था और विवाह का जोड़ा 27 लाख में बना था परंतु विवाह 27 दिन भी नहीं टिका। एलिजाबेथ टेलर और रिचर्ड बर्टन ने एक-दूसरे से दो बार विवाह किया और तलाक भी दिया गया। एलिजाबेथ टेलर ने अपने जीवन में सात बार विवाह किया और सातों विवाह की अंगूठियां ही करोड़ों रुपए की थी। पश्चिम के देशों में तलाक का मुआवजा देने में कई सितारों के दीवाले निकल गए हैं।

दशकों पूर्व हॉलीवुड में 'वॉट ए वे टू गो' नामक हास्य फिल्म की सैक्सी नायिका का व्यवसाय ही यह है कि वह बूढ़े अमीरों से विवाह करती है और हर बार विधवा होकर और अधिक अमीर हो जाती है। भारत में 'डॉली की डोली' की नायिका भी लूटने के उद्‌देश्य से शादियां करती है। हमारे यहां दहेज पर बहुत फिल्म बनी हैं और इनमें शांताराम की 'दहेज' सबसे अधिक प्रभावोत्पादक फिल्म थी। उसमें दहेज के लिए बार-बार प्रताड़ित की जाने वाली महिला के पिता तथाकथित आखिरी मांग की पूर्ति की खातिर सबकुछ बेचकर बेटी के घर ढेर-सा सामान लिए आता है और कहता है कि बेटी देख इस बार कोई कमी तो नहीं है। बेटी कहती है। 'कफन नहीं लाए' और वह मर जाती है। उसने अपने पिता को त्रास से बचाने के लिए पहले ही जहर खा लिया था।

मध्यम वर्ग के वर-वधु की शिक्षा के आधार पर विवाह होता रहा है, क्योंकि यह नौकरी पेशा वर्ग है। उच्च आर्थिक वर्ग में तो आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए विवाह होते हैं और कुछ जातियों में ब्रोकर भी होते हैं, जो दहेज का पांच प्रतिशत कमीशन लेते हैं। कुछ जन-जातियों में दूल्हे को दुल्हन के पिता को विवाह के लिए धन देना होता है और धन नहीं होने पर वह कुछ समय कन्या के पिता के यहां बिना वेतन नौकरी भी कर सकता है। इस विषय पर मेहरून्निसा परवेज ने अद्‌भूत कहानी लिखी है। आदिवासियों में केवल चार कुल्हड़ देशी शराब दूल्हा-दुल्हन के सिर पर डालकर भी विवाह सम्पन्न हो जाता है। कुछ आदिवासियों में दूल्हे को दुल्हन को गोद में लेकर वहां तक दौड़ना होता है और राह में सहेलियां तंग भी करती हैं। अगर दूल्हा दुल्हन को गिरा दे तो शादी भंग हो जाती है। यह एक किस्म का फिटनेस टेस्ट है। याद कीजिए आर.बाल्की की 'चीनी कम' का दृश्य जिसमें तब्बू बूढ़े अमिताभ को दूर दरख्त तक दौड़ने के लिए कहती है। वह इस विवाह इच्छुक के दम-खम का इम्तहान ले रही है।

निम्न आय वर्ग एंव जनजातियों में विवाह की रस्में आडम्बरहीन हैं। भारत में विवाह के साथ एक पूरा बाजार जुड़ा है और विवाह के लिए खरीद-फरोख्त बाजार का ऑक्सीजन है। अनेक किसान विवाह के खर्च या परिजन के मृत्यु भोज के लिए जमीन गिरवी रखकर कर्ज लेते हैं, जिसका ब्याज चुकाते-चुकाते उम्र गुजर जाती है। विवाह के लिए एकमात्र आवश्यकता प्रेम होना चाहिए और वही विवाह से खारिज किया जा चुका है। अनचाहे विवाह घसीटते हुए कितने ही लोग अपनी उमंग और ऊर्जा खो देते हैं। विवाह की तरह किसी भी सामाजिक रीति से आप बाजार को निरस्त नहीं कर सकते।