द गैंग ऑफ बासेपुर / विनीत कुमार
"छोड़ दो न रागिनी। इसके लिए प्लैटिनम टिकट लेने की क्या जरुरत है? फिल्म में तो ऐसा कुछ है भी नहीं कि इस सीट की जरुरत होगी। दो-चार ही तो ऐसी सीन है, स्किप कर जाएंगे। उसके लिए 140 रुपये ज्यादा देने की क्या जरुरत है?"
"ओह कम ऑन रघु। लोग बता रहे हैं कि अनुराग की देव डी में हीरोईन गद्दा लेकर खेत जाती है, इसे देखने के लिए घर से गद्दा लेकर जाना होगा और तुम्हें प्लेटिनम टिकट में ही दिक्कत हो रही है।"
"बकवास करते हैं सब। अच्छा सुनो, जब गद्दा ही लेकर जाना है तो छोड़ देते हैं न ये फिल्म। मेरा मतलब है घर पर ही रहते हैं।"
"हां,हां खूब समझती हूँ तुम्हारा घर पर रहना। लेकिन क्या पता, तुम्हारे साथ में दिल्ली में मेरी ये आखिरी फिल्म हो। मोतिहारी में हम थोड़े ही न जाएंगे सिनेमा। सीट पर तो बैठ जाएंगे पर हाथ कहां रखेंगे रघु?"
"लेकिन मैं तुमसे नाराज हूं रागिनी। तुमने इस फिल्म को देखने से पहले ही डिमीन कर दिया। क्या सिर्फ यही है सिनेमा में? सत्ता के भीतर की बनती नाजायज सत्ता का जिक्र नहीं है। पीयूष मिश्रा, स्नेहा खानवलकर के संगीत को ऐसे देखोगी सिर्फ गद्द तक समेटकर? तब तो बहसतलब में वरुण की बात से बहुत इम्प्रेस हो गई थी और आज सिर्फ गद्दा? छीः, आज मुझे अफसोस हो रहा है ये कहने में कि तुम वह लड़की हो जिसके साथ हमने गॉडफादर, सत्या, एनॉनिमस देखी। सुबह तुमने खराब कर दी रागिनी तुमने।"
"ओह रघु, मैं डिमीन नहीं कर रही। मैंने तो ऐसा इसलिए कहा कि तुम थोड़े एक्साइटेड हो, पैम्प करने के लिए बस। अनुराग और उसके काम को मैं बिग सेंस में देखती हूं और इस फिल्म को भी, डॉन्ट बी पैनिक प्लीज। अनुराग ने ये फिल्म हम कपल के बीच दरार पैदा करने के लिए थोड़े ही न बनायी है? ऐ रघु, एक बार देखो न मेरी तरफ, अपनी वूमनिया की तरफ। तुम फील करो न कि तुम्हारी रागिनी मोतिहारी से विदा होकर सीवान जाएगी तो कैसी दिखेगी? अलगनी पर टंगे मानपुर, गया के गमछे से पल्लू बनाकर किनारे को बीच की दांत से दबा लिए।"