द लास्ट लीफ़-1 / ओ हेनरी
वॉशिंगटन चौक के पश्चिम की ओर एक छोटा-सा मोहल्ला है जिसमें टेढ़ी-मेढ़ी गलियों के जाल में कई बस्तियाँ बसी हुई हैं। ये बस्तियाँ बिना किसी तरतीब के बिखरी हुई हैं। कहीं-कहीं सड़क अपना ही रस्ता दो-तीन बार काट जाती है।
इस सड़क के बारे में एक कलाकार के मन में अमूल्य सम्भावना पैदा हुई कि काग़ज़, रंग और कैनवास का कोई व्यापारी यदि तकादा करने यहाँ आए तो रास्ते में उसकी अपने आप से मुठभेड़ हो जाएगी और उसे एक पैसा भी वसूल किये बिना लौटना पड़ेगा।
इस टूटे-फ़ूटे और विचित्र, 'ग्रीनविच ग्राम' नामक मोहल्ले में दुनियाभर के कलाकार आकर जमा होने लगे। वे सब के सब उत्तर दिशा में खिड़कियाँ, अठारहवीं सदी के महराबें, छत के कमरे और सस्ते किरायों की तलाश में थे। बस छठी सड़क से कुछ काँसे के लोटे और टीन की तश्तरियाँ खरीद लाए और गृहस्थी बसा ली।
एक मकान की तीसरी मंज़िल पर सू जौर जान्सी का स्टूडियो था। जान्सी, जोना का अपभ्रंश था। एक मेईन से आई थी और दूसरी कैलिफ़ोर्निया से। दोनों की मुलाक़ात, आठवीं सड़क के एक सस्ते से होटेल में हुई थी। कला में रूचि और खाने-पीने की पसन्द को लेकर दोनों में इतनी समानता थी कि दोनों के मिले-जुले स्टूडियो का जन्म हो गया।
यह बात मई के महीने की थी। नवम्बर की सर्दियों में एक अज्ञात अजनबी ने, जिसे डॉक्टर लोग 'निमोनिया' कहते हैं, मोहल्ले में डेरा डाल कर, अपनी बर्फ़ीली उंगलियों से लोगों को छेड़ना शुरू किया। पूर्वी इलाके में तो इस सत्यनाशी ने बीसियों लोगों की बलि लेकर तहलका मचा दिया था, लेकिन पश्चिम की तंग गलियों वाले जाल में उसकी चाल कुछ धीमी पड़ गई।
मिस्टर 'निमोनिया' स्त्रियों के साथ भी कोई रियायत नहीं करते थे। कैलिफ़ोर्निया की आंधियों से जिसका खून फ़ीका पड़ गया हो, ऐसी किसी दुबली-पतली लड़की का इस भीमकाय फ़ुंकारते दैत्य से कोई मुकाबला तो नहीं था, फ़िर भी उसने जान्सी पर हमला बोल दिया। वह बेचारी चुपचाप अपनी लोहे के पलंग पर पड़ी रहती और शीशे की खिड़की में से सामने के ईटों के मकान की कोरी दीवार को देखा करती।
एक दिन उसका इलाज करने वाले बूढ़े डॉक्टर ने, थर्मामीटर झटकते हुये, सू को बाहर के बरामदे में बुलाकर कहा, "उसके जीने की संभावना रूपये में दो आना है और वह भी तब, यदि उसकी इच्छा-शक्ति बनी रहे। जब लोगों के मन में जीने की इच्छा ही नहीं रहती और वे मौत का स्वागत करने को तैयार हो जाते हैं तो उनका इलाज धन्वंतरि भी नहीं कर सकते। इस लड़की के दिमाग पर भूत सवार हो गया है कि वह अब अच्छी नहीं होगी। क्या उसके मन पर कोई बोझ है ?"
सू बोली, "और तो कुछ नहीं, पर किसी रोज़ नेपल्स की खाड़ी का चित्र बनाने की उसकी प्रबल इच्छा है।"
"चित्र ? हूँ! मैं पूछ रहा था, कि उसके जीवन में कोई ऐसा आकर्षण भी है कि जिससे जीने की इच्छा तीव्र हो ? जैसे कोई नौजवान!"
बिच्छू के डंक की-सी चुभती आवाज़ में सू बोली, " नौजवान? पुरुष और प्रेम- छोड़ो भी। नहीं डॉक्टर साहब, ऐसी कोई बात नहीं है।"
डॉक्टर बोला, "सारी बुराई की जड़ यही है। डॉक्टरी विद्या के अनुसार जो कुछ मुझसे मुमकिन है, उसे किये बिना नहीं छोडूँगा। पर जब कोई मरीज अपनी अर्थी के साथ चलने वालों की संख्या गिनने लगा जाता है तब दवाइयों की शाक्ति आधी रह जाती है। अगर तुम उसके जीवन में कोई आकर्षण पैदा कर सको, जिससे वह अगली सर्दियों में आने वाले कपड़ो के फ़ैशन के बारे में चर्चा करने लगे, तो उसके जीने की संभावना कम से कम दूनी हो जाएगी।"