धरती पर मुक्ति : बुद्धम शरणम् गच्छामि / जयप्रकाश चौकसे

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धरती पर मुक्ति : बुद्धम शरणम् गच्छामि
प्रकाशन तिथि : 07 मई 2020


पंजाब के गुरदासपुर में सफल वकील किशोरीलाल आनंद ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और जेल भी गए। उनके ज्येष्ठ पुत्र चेतन आनंद को उन्होंने शिक्षा प्राप्त करने के लिए हरिद्वार स्थित गुरुकुल कांगड़ी भेजा। चेतन आनंद ने लाहौर के कॉलेज में भी शिक्षा ग्रहण की और बाद में लंदन में भी अध्ययन किया। उनके व्यक्तित्व के विकास में विभिन्न स्थानों पर प्राप्त शिक्षा का गहरा प्रभाव रहा है। चेतन आनंद अपनी पत्नी उमा और भाइयों देव आनंद तथा विजय आनंद के साथ मुुंबई आए। चेतन आनंद और बलराज साहनी गहरे मित्र रहे और वामपंथी भाईचारे से बंधे रहे। इप्टा का गठन उन्होंने किया। एक सार्वजनिक सभा में बलराज साहनी और चेतन आनंद में विवाद हुआ। उनके बीच संवाद रुक गया। कुछ वर्ष पश्चात चेतन आनंद ने तत्कालीन पंजाब के मुख्यमंत्री की आर्थिक सहायता से अपनी फिल्म ‘हकीकत’ प्रारंभ की। लेखन और निर्माण में अपने मित्र बलराज साहनी से सहायता मांगी और दोनों सृजनधर्मी पुन: हमराही हो गए। इसे भारत की पहली युद्ध फिल्म मानें या पहली रीट्रीट फिल्म कहें, परंतु कैफी आजमी के गीत और मदन मोहन का रचा माधुर्य आज भी गूंजता है जैसे वादियों से आवाज बार-बार लौट आती है।

बहरहाल, आनंद बंधुओं ने महानगर के बेरोजगार लोगों के अपराध जगत में जुड़ने की नोए फिल्में रचीं। चेतन आनंद ने महात्मा बुद्ध के संदेश से प्रेरित ‘अंजलि’ फिल्म की रचना भी की। उन दिनों सह कलाकार शीला रमानी ने उनका सहयोग किया। फिल्म सफल नहीं हुई पर असफलता उन्हें कभी हतोत्साहित नहीं कर पाई। ज्ञातव्य है कि सन् 1946 में फ्यौदार दोस्तोवस्की की ‘लोअर डेप्थ’ से प्रेरित फिल्म ‘नीचा नगर’ चेतन आनंद बना चुके थे। उन्होंने मूल रचना के पात्रों को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जुड़े लोगों के चरित्र से जोड़कर भूमिकाएं विकसित कीं, इस तरह रूसी रचना का भारतीयकरण किया गया। फिल्म के पूंजी निवेशक ने वितरकों की नापसंदगी के कारण फिल्म को अपने कपड़ा गोदाम में फेंक दिया। हिदायत उल्ला अंसारी की सिफारिश पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ‘नीचा नगर’ देखी और उसके प्रदर्शन के लिए राह बनाई। नेहरू के मित्र अलेक्जेंडर कोरबा ने फिल्म के लंदन प्रदर्शन की व्यवस्था की। नेहरू-चेतन आनंद पत्र उमा आनंद की किताब ‘पोएटिक्स ऑफ फिल्म’ में प्रकाशित है। फिल्म को पुरस्कार दिया गया था।

हमारे संविधान की रचना करने वालों में अग्रणी नेता बाबा साहेब अंबेडकर के जीवन संग्राम से प्रेरित सीरियल टीवी पर दिखाया जा रहा है। उन्होंने भी बौद्ध धर्म का बहुत प्रचार किया है। ज्ञातव्य है कि हिमांशु राय और देविका रानी ने महात्मा बुद्ध से प्रेरित ‘लाइट ऑफ एशिया’ बनाई थी। महात्मा बुद्ध प्रेरित दूसरी फिल्म किशोर साहू द्वारा बनाई गई ‘कुणाल की आंखें’ थी। संतोष सिवान ने फिल्म ‘अशोक’ बनाई थी। इतिहास में दर्ज हैै कि सम्राट अशोक ने स्वजनों की हत्याएं की थीं। कलिंग युद्ध के पश्चात उन्होंने महात्मा बुद्ध के आदर्श को अपनाया। बुद्ध पूर्णिमा के दिन महात्मा बुद्ध को ज्ञान का प्रकाश प्राप्त हुआ था। यह इत्तेफाक भी देखिए कि महात्मा बुद्ध के निकटतम अनुयायी का नाम भी आनंद था। उसे शिकायत थी कि प्रबल अनुयायी होते हुए भी वह दिव्य ज्ञान से अपरिचित रहा। उसे समझाया गया कि अनुसरण करने से नहीं बल्कि आगे चलकर खुद दिशा खोजने से ज्ञान प्राप्त होता है। यह माना जाता है कि पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान करते हुए उन्हें दिव्य ज्ञान प्राप्त हुआ था। दरअसल दिव्य ज्ञान प्राप्त करने की एक लंबी प्रक्रिया होती है, जिसका चरम क्षण इतिहास में दर्ज हो जाता है। सम्राट अशोक की पुत्री और पुत्र ने विदेशों में बौद्ध जीवन शैली का प्रचार किया। भारत ने चीन को महात्मा बुद्ध के आदर्श दिए और चीन ने हमें कोरोना दिया। ड्रैगन का आचार-व्यवहार ऐसा ही होता है। ज्ञातव्य है कि कोनरेड रुक्स ने फिल्म ‘सिद्धार्थ’ बनाई थी। फिल्म अपने बेबाक दृश्यों के लिए चर्चित हुई। तिब्बत की लामा परंपरा भी महात्मा बुद्ध के आदर्श से प्रेरित है। राजेंद्र कुमार के निकट रिश्तेदार ओ.पी.रल्हन ने ‘सम्राट अशोक’ फिल्म बनाने के लिए महात्मा बुद्ध के आदर्श को मानने वाले देशों से धन एकत्रित किया था। सारा तामझाम चलता रहा, परंतु फिल्म नहीं बनाई गई। ज्ञातव्य है कि फिल्मकार के. विश्वनाथ ने अनिल कपूर और विजया शांति अभिनीत फिल्म ‘ईश्वर’ का निर्माण किया था। इस फिल्म के क्लाइमैक्स में समूह गीत प्रस्तुत किया गया है.. ‘बुद्धम शरणम् गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि..। दया-धर्म से, भले कर्म से स्वर्ग बने धरती, कर्म करो, दान करो, पुण्य करो तो यहीं मिले मुक्ति.... बुद्धम शरणम् गच्छामि...।’