धरना जारी है / चित्तरंजन गोप 'लुकाठी'

Gadya Kosh से
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जिसकी ज़मीन के नीचे काला सोना दबा है... चारों तरफ़ कोयले की खान ही खान है... कोयला नगरी के रूप में विख्यात...धन से आबाद...वह छोटा-सा शहर है थनबाद। धनबाद को संवाद देने वाला स्थल है-- कोर्ट मोड़ का एक छोटा-सा शेड जो धरना-स्थल के नाम से मशहूर है। वहीं धरना चल रहा था गुलगुलिया समाज का।

युगो से उपेक्षित, दलित, दरिद्रता का पर्याय बनी गुलगुलिया जाति अपना हक़ मांग रही थी। बाल-बच्चे, जवान-बूढ़े, औरत-मर्द सभी डटे थे उस धरना स्थल पर। बुलंद आवाज़ के साथ पूरे जोश-खरोश से दो दिन तक धरना चला। पर किसी ने उनकी कोई सुध नहीं ली। उल्टे भूख ने आकर दबोचा। मजबूर होकर उन्होंने आपस में विचार-विमर्श किया और एक उपाय निकाला।

तीसरे दिन दोपहर तक धरना देने के पश्चात् उन्होंने मोटे-मोटे काग़ज़ के दो पोस्टर टांग दिये। उन बड़े-बड़े पोस्टरों पर लाल स्याही से लिखा था

धरना जारी है

पुरुष रिक्शा चलाने गये हैं

तथा

औरत और बच्चे भीख मांगने।