धर्मेंद्र घराने की तीसरी पीढ़ी / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि :27 मार्च 2015
धर्मेंद्र का फिल्म घराना विगत कुछ वर्षों से लाइम लाइट से बाहर है। धर्मेंद्र ने अपने शिखर दिनों में ही अपने बेटे सनी देओल को राहुल रवैल निर्देशित 'बेताब' से प्रस्तुत किया था और लगभग दस वर्ष तक उम्रदराज धर्मेंद्र युवा सनी के लगभग साथ दौड़ते रहे। धर्मेंद्र और सनी ने मिलकर बॉबी देओल को राजकुमार संतोषी निर्देशित 'बरसात' में प्रस्तुत किया परंतु बॉबी अपने पिता और भाई की तरह लंबी दौड़ के घोड़े साबित नहीं हुए। धर्मेंद्र तो पंजाब के अनुशासन पसंद करने वाले शिक्षक पिता की संतान थे और सनी को भी दादा के अनुशासन स्कूल में ही पाला गया परंतु बॉबी लाड़ के लड्डू थे और पंजाब के जाट परिवार के मुंबई स्थित पिंड में महानगरीय एशोआराम घुस आया था। अत: बॉबी लंबे संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे और सच तो यह है कि उनकी रुचि ही नहीं थी शिखर पर जाने की। वे जीवन की मंथर गति को पसंद करते थे और भाग्यवश उनकी पत्नी भी अत्यंत धनाड्य परिवार की एकलौती हैं, अत: पिंड जलसाघर-सा हो गया।
अब सनी देओल के बेटे करण को अभिनय क्षेत्र में उतारा जा रहा है। सितारा पुत्रों की पहली फिल्म के प्रति दर्शकों में अभूतपूर्व उत्साह होता है, जो संभवत: हमारे डी.एन.ए में सामंतवाद के प्रति स्नेह के कारण है। हमने राजा को हमेशा धरती पर ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में देखा और अगर उसे मनुष्य की तरह देखा होता तो हमारे गणतंत्र का स्वरूप भी कुछ अलग होता। पृथ्वीराज कपूर ने अपने तीनों पुत्रों को प्रस्तुत नहीं किया और उनके तीनों पुत्र अपने दमखम पर प्रसिद्ध हुए । यहां तक कि राज कपूर ने भी अपने भाइयों को प्रस्तुत नहीं किया और न ही कभी तीन नायक वाली फिल्म बनाकर कपूर घराने की ख्याति का लाभ उठाया परंतु राज कपूर ने अपने पुत्र ऋषि कपूर को 'बॉबी' में प्रस्तुत कर सितारा बना दिया। राज कपूर समाजवादी विचारधारा की फिल्में बनाते रहे परंतु उनके व्यक्तित्व में कही क्षीण-सी रेखा सामंतवाद की भी थी।
बहरहाल, कुछ समय पूर्व सनी ने इम्तियाज अली को करण के लिए अनुबंधित किया था परंतु इम्तियाज अली और सनी देवल के मिजाज अलग-अलग हैं। इस समय आदित्य चोपड़ा शिखर निर्माता हैं और वे कई नए कलाकारों को प्रस्तुत कर चुके हैं। ज्ञातव्य है कि यशराज चोपड़ा की 'डर' के समय सनी उनसे नाराज थे कि उन्होंने शाहरुख अभिनीत भूमिका को नायक सनी से अधिक महत्व दिया। बहरहाल, हर इतवार को आदित्य अपने मित्रों के साथ क्रिकेट खेलते हैं और बॉबी देओल उनकी क्रिकेट टीम का सदस्य है। अत: बॉबी की पहल पर 'डर' के हादसे को भुलाकर करण देओल को आदित्य प्रस्तुत करें - ऐसी चर्चा हुई परंतु संभवत: सनी आदित्य चोपड़ा की तीन फिल्मों के अनुबंध को स्वीकार नहीं कर पाए।
अत: अब सनी देओल ने तय किया है कि अपने पुत्र करण देओल को वे स्वयं ही प्रस्तुत करेंगे। चोपड़ा और देओल दोनों ही पंजाब पुत्र हैं परंतु आदित्य अब पूरी तरह महानगरीय हो चुके हैं जबकि धर्मेंद्र के परिवार में आधुनिकता के आने के बाद भी जमीनी पंजाबियत नहीं गई है और उनका परिवार कभी शैम्पैन का नहीं रहा, वे हमेशा लस्सी पीते रहे हैं और घर को पिंड कहते रहे हैं तथा मां की दाल और भंगड़ा डालते रहे हैं।
आज के दौर में देओल परिवार एक अपवाद है। हमने तो ऐसा माहौल बना दिया है कि किसान की खेती में रुचि ही नहीं रहे। उद्योगों को जमीने बेचने के बाद करोड़ों रुपए पाकर किसान प्रेमचंद का होरी नहीं रहेगा। यह भारत में एक अलग किस्म के विकास का खेल हैं। देओल परिवार जिस पंजाब को अपने दिल में लिए, मुंबई में सांस लेता है, वो पंजाब अब वैसा नहीं रहा है। वहां के युवा वर्ग को नशे की आदत डाल दी गई है।