धार्मिक स्थल / रघुनन्दन त्रिवेदी
Gadya Kosh से
बाहर लम्बी-लम्बी कतारें थीं ।
हर कोई भीतर जाना चाहता था ।
पता नहीं क्यों किसी का ध्यान अहाते में टंगी तख़ती की तरफ़ जाता ही नहीं था, जहाँ लिखा था-- "भय रहित जीवन मांगकर शर्मिन्दा न हों ।"