धुरंधर खिलाड़ियों के धाकड़ अंदाज / जयप्रकाश चौकसे
प्रकाशन तिथि : 23 मार्च 2021
कुछ धुरंधर खिलाड़ियों को प्रतिस्पर्धा छोड़े हुए समय बीत गया है। भारत और श्रीलंका के ऐसे ही खिलाड़ियों के बीच एक सीमित गेंदों का मैच आयोजित किया गया। इसमें से प्राप्त आय उस संगठन को दी जाएगी जो सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की देखभाल करती है। इस मैच को टीवी पर प्रसारित किया गया। सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी में पुरानी चमक देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि लता मंगेशकर का मनपसंद खेल क्रिकेट रहा है। आशा भोसले ने राहुल देव बर्मन के संग फुटबॉल देखा और पसंद किया। इस मैच में वीरेंद्र सहवाग ने अपनी पुरानी आक्रामकता दिखाई। एक दौर में फिल्म कलाकार भी इस तरह के प्रदर्शन में भाग लेते थे। देवानंद इतनी तीव्र गति से दौड़ते थे कि उन्होंने दिलीप कुमार और राज कपूर को रन आउट करा दिया था।
श्रीलंका क्रिकेट के स्वर्ण काल में मुरलीधरन की घुमावदार गेंदों ने बल्लेबाजों को नाचने पर विवश किया था। सनथ जयसूर्या धमाकेदार बल्लेबाजी करते थे। स्टेडियम पर जब बादल घिरते थे, तभी वे आउट होते थे। मलिंगा ने गेंदबाजी में कोहनी का इस्तेमाल किया तो क्रिकेट व्यवस्था में कई बार परीक्षण हुआ। व्यवस्थाओं को कोहनी मारना कभी रास नहीं आता। अत: वे अपनी सुविधानुसार नियम बनाते रहे हैं। श्रीलंका के क्षेत्रफल में प्रतिभा की गहन फसल उपजी है। लिट्टे आंदोलन प्रायोजित था ताकि ‘वॉयस ऑफ अमेरिका’ नामक प्रचार रेडियो की स्थापना नहीं की जा सके। श्रीलंका स्थित रेडियो संचार ने दशकों तक राज किया। संगीत कार्यक्रम बिनाका गीतमाला अत्यंत लोकप्रिय रही थी। शंकर-जयकिशन की फिल्मों ‘श्री 420’ ‘चोरी चोरी’ और ‘बसंत बहार’ के समय 16 में से 12 गीत उनके रचे होते थे।
श्रोता, रेडियो सीलोन पर पसंदीदा गीत सुनने के लिए पत्र लिखते थे। रेडियो पर अपना नाम सुनना उन्हें पसंद था, क्योंकि बस्ती में चर्चा होती थी। इसी माध्यम से प्रेम संदेश भी दिए जाते थे। यही कामना कालांतर में छपास के नाम से चर्चित रहकर टि्वटर जगत में प्रवेश कर गई है। आज सुर्खियों में बने रहना कला का स्वरूप ले चुका है। उस दौर में झुमरी तलैया नामक छोटे शहर से सबसे अधिक पत्र आते थे। इन पत्रों की संख्या को देखकर लगता था मानो, फरमाइशी पत्र लिखना ही झुमरी तलैया के लोगों का एकमात्र काम था। कुछ लोगों को संदेह था कि रेडियो संसार में झुमरी तलैया का वही स्थान है, जो पश्चिम के साहित्य में काल्पनिक रूरीटेनिया का रहा है। कई वर्षों तक जन्मदिन की बधाई के लिए एक गीत में गायिका का नाम गलत दिया गया और सत्य जानकर भी गायिका श्रेय लूटती रही। ग्रामोफोन कंपनी द्वारा जारी रिकॉर्ड में गायक की जगह उस पात्र का नाम दिया जाता था, जिस पर गीत फिल्माया गया था। लता मंगेशकर ने यह अन्याय रुकवा दिया।
हर क्षेत्र में खेल छोड़े हुए लोगों की एक प्रतिस्पर्धा आयोजित की जाना चाहिए। ज्ञातव्य है कि किशोर कुमार की फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी’ में विंटेज कारों की दौड़ का रोचक दृश्य प्रस्तुत किया गया था। राजनीति में हाशिए पर फेंके गए उम्रदराज लोगों को खामोश रहने का आदेश दिया गया है। उम्रदराज लोगों के लिए कई सुविधाजनक स्थान रचे गए हैं। कुछ युवा अपनी तथाकथित स्वतंत्रता की खातिर अपने वृद्ध माता-पिता को इन स्थानों पर छोड़ देते हैं। कुछ लोगों को इन स्थानों पर वह अपनापन और प्रेम मिला जो उन्हें परिवार के सदस्यों से नहीं मिला था।।
धुरंधरों के इस मैच में कुछ खिलाड़ियों का प्रदर्शन ऐसा रहा मानो वे आज भी अभ्यास करते हैं। यह संभव है कि उनकी विचार प्रक्रिया और स्वप्न संसार में वे प्रतिदिन खेलते हैं। जीवन में भी कभी-कभी अंपायर गलत निर्णय देता है। थर्ड अंपायर से भी चूक हो जाती है। कभी-कभी पुराने खिलाड़ी, आधी रात नींद से जाग उठते हैं। उनके वस्त्र पसीने से तर होते हैं। स्वप्न में किया काल्पनिक अभ्यास इस तरह उजागर होता है।