धूम सिंह नेगी / अशोक कुमार शुक्ला
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लेखक :राजीव नयन बहुगुणा
टिहरी गढवाल (उत्तराखंड ) के एक गाँव में रहने वाले धूम सिंह नेगी पिछले 50 वर्षों से यहाँ के सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हैं । 1972 में वह टिहरी ज़िले में शराब बंदी की मांग को लेकर हुए जन आन्दोलन में ज़ेल गये । उस वक़्त वह एक हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक थे । इसके बाद वह नौकरी छोड़ पूरी तरह सार्वजनिक जीवन में समर्पित हो गये । वह चिपको आन्दोलन के प्रारम्भिक नेताओं में एक हैं । हेंवल घाटी में सचमुच का " चिपको " आन्दोलन उन्ही के नेतृत्व में चला , जहाँ वस्तुतः पेड़ों पर चिपकने की नौबत आई ।राज्य के कई महत्व पूर्ण आन्दोलन कारी , यथा कुंवर प्रसून , प्रताप शिखर और विजय जद्धारी आदि उन्हीं की देन हैं , जो कभी उनके छात्र रह चुके थे । धूम सिंह नेगी टिहरी बाँध विरोधी आन्दोलन और बीज बचाओ आन्दोलन के भी प्रथम पंक्ति के नायक रहे । वह ऋषिकेश - गंगोत्री राजमार्ग पर जाजल से करीब 3 किलोमीटर दूर पिपलेथ कालिंदी नामक गाँव में रहते हैं । लगभग 75 वर्षीय धूम सिंह नेगी प्रचार प्रसार और पुरी- पुरजन के कोलाहल से दूर एक छोटे किसान के रूप में जीवन यापन करते हैं । ((जारी )