धोळो दिन / रामस्वरूप किसान
भीड़ी-सी गळी मेंं रुकमा रो घर। ओ घर अैन गळी पर खुलै। आ गळी मैन गळी सूं जायÓर मिलै। इण गळी री अेक खासियत कै दिन में सूनी रैवै अर रात नै आबाद। रात रै अंधारै में हर आदमी इण गळी सूं गुजरणो चावै। कई-कई तो बिना ई काम तीन-च्यार गेड़ा काटज्यै इण गळी रा। अर कई बूढा-बडेरा गूदड़ां में पड़्या सोच बोकरै कै उण गळी रो अेक गेडिय़ो काटीज ज्यांवतो तो रैंवतो तो ठीक ई। पण दिन में अैन उल्टी स्थिति। कोई पग ई नीं धरै इण गळी में। भावंू कित्तो ई काम हुवो इण गळी वाळै घरां सूं। पण धोळै दिन इण गळी में बड़णो खांडै री धार। कारण, इण में रुकमा रो घर है। रुकमा गांव री घोषित बदनाम। ठा नीं के-के ओछा विसेसण लागै रुकमा रै नांव आगै। पण रुकमा आप री रौ में चालै। भावंू कीं लागो उण रै नांव आगै। बा तो लोगां री सोच नै बाळ बरोबर ई नीं समझै। बा चौकस जाणै कै मूं पर वाह-वाह अर पीठ पाछै थू-थू दुनियां री रीत है। बा आ ईज जाणै कै चालती बेळा साम्हीं छाती ठंडै बायरियै री मनवार तो पीठ पाछै धूड़ रो धूळियो कुदरत रो नेम है। जे कोई धूळियै सूं डरतो चाळणो छोडै तो छोडद्यो। कुण पीळा चावळ द्यै चाळण रा। अर इणी सोच साथै बा चालै। अपणै आप में अलमस्त। गळी सूं गुजरै तो धरती दमकै। बूढै-बडेरां तकात रै करंट-सो लागै। चाळीस री है। अठारा री दीखै। अर फुटरापो? बेÓमाता टेम लगाÓर घड़ी है। उण री चाल रो जादू? जकी गळी सूं गुजरै, पूरी गळी रैÓक-बैÓक हुज्यै। उण नै गुमेज है खुद रै डील पर। क्यूंकै डील ई उण री पूंजी। बींयां हर गरीब लुगाई री पंूजी डील ई हुवै। फगत इस्तैमाल रो फरक है। अेक, डील रो फुटरापो बेचै तो दूजी फटरापै री भस्मी। दोनूं हालात में बिकै तो डील ई है। पण पैली नै देह बेचणो कैयÓर भूंडै अर दूजी नै पसीनो बेचणो कैयÓर सनमानै। अै तोल-जोख तो माणसां रा ई बणायोड़ा है। पण रुकमा आं री टाट कोनी मारै। बा तो गुमेज सूं आप रो फुटरापो बेचै। अर घणकरोÓक गांव फुटरापो खरीदणो चावै। आ बात और है कै सगळा खरीद नीं सकै। पण जका खरीद नीं सकै बां रै लाळ जरूर पडै़। कैवण रो मतलब लगैटगै आखो गांव रुकमा सूं जुड़्योड़ो है। कीं जथारथ में अर कीं कल्पना मेें। बींयां जुड़ाव तो जुड़ाव ई हुवै। जथारथ में हुवो भावूं कल्पना में। भावै तो सगळां नै रुकमा है। पण अंधारै में। ईंयां कै पड़दै रै पाछै। च्यानणै में तो उण री छियां ई नीं पड़ण देवणी चावै। रुकमा री गळी मेें च्यार-पांच घर इसा जका उण रै चाल-चलण पर आपत्ति करै। बां रो कैवणो है कै अण रांड बास रो माहौल बिगाड़ दियो। बां री भैण-बेटियां पर इण री करतूत रो बुरो असर पडै़। अेक दिन बात-बात में बेगो रुकमा सूं भिड़ग्यो- 'रंडी, जे थनै चकळो ई चलाणो हो तो सैÓर सिर क्यूं नीं मरी।Ó 'तेरी भैण रंडी, तेरी मां रंडी। भैणचो कुत्ता, म्हैं क्यूं मरूं सैÓर सिर। तेरी रांड नै लेयज्या। अर चला चकळौ।Ó 'जबान सम्भाळÓर बोल। रांड रो मंंू फोड़ द्यूंगा।Ó 'क्यूं फोड़ द्यैगो मूं। मंू फोड़ तेरी रांड रो। जूत आवै मेरै पग में।..... भैणचो री बळै निजर नीं जोडूं़ जद। क्यूं जोडू़ तेरै सूं निजर। चूतियाऽ!Ó 'म्हैं तेरै सूं निजर जोडंू ? वेश्या रांड रा दरसण ई कोनी करणा चावूं।Ó 'थूं, थूं भलो माणस। दरसण कोनी करणा चावै? थूं तो चाटणी चावै म्हनैं। पण म्हैं तेरै मंंू पर थूकूं।Ó 'अरै बेगा थूं स्याणो है यार! के कथा छेड़ी है दिनगै-दिनगै। क्यूं गू में भाटो मारै।Ó कुरड़ो बोल्यो। 'हां म्हैं तो गू हूं। थूं है फुलेल! इसो सतो है तो क्यामी पांच सौ रिपिया देयÓर धोळियै नै घाल्यो। अर क्यामी मूं छा-सो करे करै मेरै कानी देख-देख। ईंयां दया कोनी आवै म्हनै। पूळै उतर्योड़ो। बोलण नै मरै।Ó कुरड़ो गुद्दी कुचरतो आप रै घरां बड़ग्यो। बिन्नै बेगै ई कान पर जूती लेयली। रुकमा पोळी रा किवाड़ जड़Óर मांय ई मांय बड़बड़ांवती रैयी-'भैणचौ किसीÓक दुनियां है। भीतर को झांकै नीं। बारै ई बारै दीदा फाडै़। पगां बळती को देखै नीं। डूंगर बळती देखै।... म्है वेश्या हूं तो थे? भीतर तो टंटोळो। थे के हो? सगळां रै लुगाई है। भर्या भतूला घर है। क्यूं आवो म्हारै कनै? कोई पीळा चावळ द्यै। कोई बूकियो झालÓर ल्यावै। कोई आवै तो आवो नीं मा... अंधारै में अठै लिक-लिकगे जावै अर च्यानणै में सता होया फिरै। सरम रो ई तोड़ो। दिन में म्हारै सूं छींटा लेवै। मिलतां नै सरम आवै। इज्जत रो सुवाल मानै। किणी सूं कोई काम हुवै तो लोवै ई नीं लागण द्यै। अर रात नै...। बीं दिन बो सरपंचियो मादर...। म्हैं अेक कागजियै पर दसखत करावण गई। देखÓर चौकन्नो हुग्यो। धूजण लागग्यो। 'थूं चली जा अठै सूं कोई देख लेसी। म्हारी इज्जत रो सुवाल है।Ó तेऽऽरी मां.... बड़ो इज्जत आळो होयो थंू तो। अर बीं दिन उण एम.एल.ए. रै बच्चै तो इसी करी... अेकर तो सोच्यो मूं पर थूकÓर निकळ ज्यावूं कमरै सूं। ... म्हैं घंटां तांईं खड़ी रैयी। बो म्हारी अणदेखी करतो रैयो। औरां सूं बतळांवतो रैयो। क्यूं कै दिन हो। अैन धोळो दिन। उण रै गाबां सूं ई धोळो। म्हारै सूं रूह जोड़Óर धोळै गाबां रै काळस थोड़ो ई लगावणो चावै हो। म्हैं आखती होयÓर निकळगी। अर आ ई उण दिन सेठ करी अर आई उण काळियै थाणैदार। दिन में सगळां री फाटै। म्हनै देखतां ई धूजण लागज्यै। पसीनो आयज्यै। म्हनैं ठा है म्हारै सूं नीं डरै। म्हारै सूं मिलती बगत लोगां सूं डरै साळा कायर। अर म्हनै ऊंतावली-सी काढणी चावै। पण रात नै म्हैं काढूं जूत मार-मार।Ó रुकमा आप रो बफारो काढÓर काम लागगी। गळी में भळै मून पसरग्यो। गळी सूनी हुगी। क्यूं कै दिन हो। अैन धोळो दिन। रुकमा रै काळजै अर लोगां रै गाबां जिसो धोळो।