ध्यान के लघु प्रयोग-1 / ओशो
प्रवचनमाला
अपने विचार लिखना!
किसी दिन इस छोटे से प्रयोग को करें। दरवाजे बंद करलें, अपने कमरे में बैठ जाएं और बस अपने विचार लिखना शुरू कर दें- जो भी आपके मन में आए। उसमें काट-छांट न करें, क्योंकि इस कागज को किसी को दिखाने की आवश्यकता नहीं है! दस मिनट तक बस लिखते रहें और फिर उसे पढ़ें। यही है जो आपके भीतर चलता रहता है। यदि आप उन्हें पढ़ेंगे तो आप सोचेंगे कि यह किस पागल का काम है। यदि आप उस कागज को अपने सबसे करीबी मित्र को दिखाएंगे तो वह भी आपको देखेगा और सोचेगा, तुम पागल तो नहीं हो गए?
विनोदी चेहरा!
कई पुरानी ध्यान विधियां हैं, जो फनी फेसेज, विनोदी चेहरे बनाने में उपयोगी हैं। तिब्बत में यह प्राचीनतम परंपराओं में से एक है। एक बड़ा दर्पण रख लें, उसके सामने नग्न खड़े हो जाएं और चेहरे बनाएं, विनोदी मुद्राएं बनाएं और देखें। पंद्रह-बीस मिनट तक चेहरे बनाते-बनाते और देखते-देखते आप चकित हो जाएंगे, आप महसूस करेंगे कि आप इससे अलग हैं। यदि आप अलग न होते तो ये सब चीजें कैसे कर पाते? तब शरीर आपके हाथ में है, आप मालिक हैं। आप इसके साथ जैसा चाहें खेल सकते हैं।
विनोदी चेहरा बनाने के, विनोदी मुद्राएं बनाने के नए-नए ढंग खोजें। जो भी दिल में आए करें। और आपको एक गहन मुक्ति का बोध होगा। और, आप स्वयं को शरीर की तरह नहीं, चेहरे की तरह नहीं, बल्कि चेतना के रूप में देखना शुरू करेंगे। यह विधि बहुत सहायक होगी।
(सौजन्य से : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन)