नई खुशी / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल
Gadya Kosh से
बीती रात मैंने एक नई खुशी की खोज की। जैसे ही मैं इसका पहला ट्रायल दे रहा था, एक फरिश्ता और एक शैतान मेरे घर की ओर दौड़ते चले आए। घर के दरवाज़े पर वे एक-दूसरे से मिले और नई खोजी हुई मेरी खुशी को लेकर आपस में लड़ने लगे।
एक चीखा, "यह नाजायज है।"
"यह पूरी तरह जायज है।" दूसरा चिल्लाया।