नचाए सबको पैसा / सुरेश सौरभ
Gadya Kosh से
" भाई साहब कल आप बीजेपी की रैली में थे, परसो सपा की रैली में थे। आज बसपा के जुलूस में जा रहे हैं, क्या बात है, आप रहतें कहॉ हैं?
' अरे यार हम लोग धंधे वाले लोग हैं, इसलिए एक ठिकाना कहॉ-जहॉ पैसा मिलता है, उसकी टोपी लगा लेते हैं, उसका बैनर लगा लेतें हैं, पैसा बोलता है भाई. नचाता है। इसलिए मैं नाच रहा हूँ। मेरे साथ तमाम नाच रहे हैं। तुम्हे नाचना हो तो तुम भी आ जाओ. " यह कहते-कहते वह आगे भीड़ में बढ़ गया। मैं ठगा-सा उसे ताकता रह गया।