नटुआ दयाल, खण्ड-11 / विद्या रानी

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सब्भै के समर्थन मिली गेला के बाद कमला माय ने परगट होय के भागोवंती सें कहलकय, 'हे भागोवंती अब तोहें नय कानो। अबे आरू जे तोहं कानभो तेॅ इ संउसे संसारे भँसी जइतै। हम्में आपनो पाँचों बहिन के साथे जाय के तोरो भाय के खोजी के लै आनवों। चारो तरफ घुरी-घुरी के तोरो भाय के खोजिये लेबे। हे अभागिन बहिन भागोवंती तोहें अब चुप रहो अब तोरो कल्याण होतों। जदि तोरो नटुवा लौटी के नय अयतों तेॅ तोहं कहियो हमरो थान पर घुरी के नय अइयो।'

भागोवंती आपनो आँसू पोछी के माय के देखे लगले छेलय। ओकरा समझो में नय आवि रहलो छेलय। कि इ सच छै कि सपना जाँय-तेॅ ाँय ऊ चुट्टी काटी के समझतिये ठीक इ सच्चे मुच्चे बात छै ताँय-तेॅ ाँय कमला माय आपनो पाँचों बहिन के साथे आकाशो में उड़ी गेलय। हुनका सिनी ने चील के रूप धारण करने छेलय।

भागोवंती बारम्बार माथा टेकी के माता के आशीष के सुमरि के आपनो घर चल्लो अयलय। माय बाबू के सबटा बात बतैलकय आरू हुनको सिनी माय कमला के परणाम करी के निहोरा करलकय कि हे माय तो ही रक्षा करे सके छौं तोहीं डुबैले छौ तोहीं उद्धार भी करभो।

पाँचो बहिन चील रूप में उड़तें-उड़तें तिरिया राज कामरू राज चल्लो गेलय। कमला माय के तेॅ मालुमे छेलय कि नटुआ मंतर सीखे ला कामरू गेलो छै मतरकि उहाँ कहाँ छै इ तेॅ खोजे ल पड़तै। कामरू राज तेॅ जोगी जोगिन केरो राज छेलय ढेरी मंतरिया, ओझा-गुनी साधक भगत सब खल बल करै छेलय। सब्भै के धियान एके माय कामाख्या पर ही रहे छेलय। ऊ परदेश में पाँचों बहिन पूरब से पश्चिम ताँय उड़ी के देखलकय सकठौ।

नटुआ नय देखाय पड़लै आरू फिनु पश्चिम सें पूरब तक उड़ि के अइलै आरू नटुआ तेॅ नहियें मिललय। अबे की करलो जाय एही बात सब्भे बहिन सोची रहलो छेलय कि रास्ता में मैनमा खवास सें भेंट होय गेलय। मैनमा जे मैया कमला के देखलकय तेॅ ओकरो होशेगुम होय गेलय। ओकरा डर लगलै कि मैया नटुआ के भगावे के बात कही के ओकरा पकड़तय। आरू मैया ने जों नटुआ के बारे में पूछे लगलय तेॅ हुनको विकराल रूप देखी के मैनमा के तेॅ थरथरी लगी गेलय। ओकरो प्राण धक-धक करै लगलय।

मैया नेॅ पुछलकय, 'मालिक कहाँ छौ रे मैनमा? कौन दिसा में रही रहलो छै। ओकरा पता जल्दी से बताय दहीं आरू हमरो आशीर्वाद ले, नय तेॅ तोहें आपने जानो से चललो जयवे।'

एतना सुनते ही मैनमा डरो के मारे थरथरैते-थरथरैते कहे लागलय। दुनु हाथ जोड़ि के मैनमा कहलकय, 'धन्न-धन्न माय कमला। हमरो जीवन तेॅ तोरे दया केरो दान छौं। हे माय! तोरो बलिहारी छौं। कामरू राज केरो दछिन दिश हमरो मालिक रही रहलो छै। यहाँ अयला के बाद एक ठो गुमाश्ता ने हमरासिनी के ओकरो घरो में राखि देलकय उहाँ बंगाली जाति केरो सात बहिन छै मैया। ओकरो सिनी नेॅ हमरा सिनी के आस बंधैले छै। आसो बंधैले छै आरू लाल पलंग पर हुनका साथे सुतैवो करै छै। की कहियों हे माय वही पलंगो पर ओकरो सिनी नटुआ मालिक के भोरम-भोर मंतर सिखैते रहे छै, आरू हम्मूं वहाँ एकठो कोना में पड़लो रहै छिये। हम्मूं रात भर मंतर सुनतें रहे छिये मतरकि भोर होते भुली जाय छिये माय। तोरे बलिहारी छौं कमला माय आज तक हम्मूं कोय मंतर जंतर नय अजमैले छियै आरू कोय हमरा, नियम कायदा बतावे वाला भी नय छै।'

मैनमा आपनो सफाई एतनाय झाड़ि के दै रहलो छेलय कि माता कमला के लगलै कि ऊ निर्दोष छै नटुआ के ऊ यहाँ नय आनले छै मतरकि नटुआ नेॅ ही ओकरा यहाँ आनले छै।

मैनमा के बात सुनी के जखनी कमला माय नेॅ ओकरा ढाढस देलकय कि कोय बात नय छै मैनमा, जे होय गेलो से होय गेलो छै अबे हम्में आवि गेलिये तोरा दुनु के लै जइबो आरू मंतरो सिखाय देबो समझलें कि नय।

मैनमा के सुखलो मन हरियाय गेलै, अब तेॅ सब्भे के उद्धार करे वाली माता ही आवी गेलय अबे कोय कुछु नय करे पारतै इ सातो बहिनियो नय। आबे तेॅ हमरो मालिक ओकरा सिनी के चुंगल से निकली जइतय। इ हे रंग सोचते-विचारते मैनमा कमला माय के लै के बंगालिन बहिनियाँ सिनी के घर जावे लगलय।

मैया कमला ने इ कही देलकय कि नटुवा जब मिली जइतो तेॅ तोरे सिद्धि दे देबो तहूँ ओझा गुनी के सरदार बनी जइवे।

मैनमा कहलकय, 'चलो कमला माय तोरा मालिको के पास लै जाय रहलो छियौं।'

कमला माय नेॅ मुंड़ी हिलाय के कहलकय, 'नय मैनमा अखनी नय अखनी खाली तोहें हमरा जग्घो देखलाय दहीं हमरा सिनी अधरतिया के उहाँ अइवय।'

मैनमा नेॅ घर देखलाय देलकै आरू मैया उहाँ सें चलली गेलय।

आधा रात होला के बाद मैया ऊ घरो के पिछवाड़ी में पहुँचले वहाँ ठाड़ी होय के मैया नेॅ नटुआ के हाल देखलकय। वहाँ लाल पलंग पर नटुआ सुतलो छेलय आरू वहीं मुंगिया भी आपनो बाल खोली के सुतलो छेलय। मुंगिया केरो माथो नटुआ के बाँह पर छेलय आरू ऊ करवट बदली-बदली के नटुआ के कानों में मंतर फूकी रहलो छेलय। सातो बहिन पारी-पारी से आवी के, आपनो-आपनो करतब करी रहलो छेलय।

इ देखी के मैया कमला ने आपनो गुणबान जे मारलकय तेॅ मुंगिया नींदो में निभोर होय गेलय, जेना कत्तानी भांग पीवी के सुतलो रहे। मंुगिया के अचेत जुकां होइते ही कमला माय ने आवाज दै के नटुआ के जगैलकै, ' उठ रे नटुआ उठ, इ तिरिया दुआर छोड़ी के भागी चल, तोरो माय बहिन, बाप सभैं तोरा ला बेचैन छौ तोहें एतना दिनों सें इ चक्करो में पड़ि के सब्भै के भुलाय गेलो छैं। उहाँ सब्भै के कानि-कानि के हालत खराब छौ। उठ जल्दी से जाय के सब्भै के आपनो मुँह

देखाय दहीं। '

मुंगिया के अचेत जुकाँ होते नटुआ के चेत होय गेलय। ऊ आपना में आवी गेलय वें ने देखलकय कि ओकरो बाँह मुंगिया केरो माथा केॅ नीचे दबलो छै आरू एकठो अंगुली मुंगिया केरो मुँह में घुसलो छै। मुंगिया ने आपनो दाँतों सें ओकरो उंगली दबाय के राखले छै। वैं-नेॅ े इशारा में मैया के परनाम करी के देखैलकै कि हमरो उंगरी मुंगिया के मुँहो में फँसलो छै।

मैया ने तुरंत समाधान निकालकै कि हम्में पान के खिलली भेजी रहलो छियो तोहं पानो के खिल्ली मुँहों में खिलाय दीहें। आरू आपनो उंगरी निकाली के भागी जैइहैं। कमला माय ने सरर से हाथ करी के जखनी हाथ घुमैलकै तखनियें हाथों में पानो केरो खिल्ली आवी गेलय। मुंगिया केरो मुँहो में पान डारथैं नटुआ के तरान मिली गेलय। भागलो वहाँ सें जी जान लैके मतरकि हाय रे किस्मत जेन्हैं वैं-नेॅ े ऐंगना केरो देहरी पार करलकय तेन्हैं मुंगिया जगी गेलय आरू छटपटाय के दौड़ लै आरू नटुआ केरो हाथ पकड़ी लेलकय। अबे की होतिये मैया तेॅ वहाँ छेवे नेॅ करलै, नटुआ केरो हाथ पकड़ले, पकड़ले मंुगिया के बिछौना तक आवे देलकय। फिनु ऐन्हो मंतर मारलकै कि मुंगिया नीन्दो सें मुरझाय के सुती गेलय, एना लगै छेलय जेना ऊ सात रातों सें नय सुतलो छै। एकरे बीचो में नटुआ मैनमा के साथे भागलो। दुनु केलाके थम्म पर सवार होय के भड़ौरा दिशा उड़े लागलय।

जय कमला माय तोहें तेॅ भक्त केरो मोन जानै छौ विहवल भक्तो के मोन तोहें ज़रूरे पूरा करै छौ।

हिन्ने नटुआ आरू मैनमा उड़लो जाय रहलो छेलय। हुन्ने कमला माय आपनो सातो बहिन के साथें आकाशो केरो रास्ता से उड़लो जाय रहलो छेलय। जेना आकाशो में रथ चललो जाय रहलो छेलै। हवा हन-हन करी के बही रहलो छेलय। रथ सन-सनाय के चललो जाय छेलय। मैया ने आपनो आँखीं सें देखी के नटुआ आरू मैनमा दोनों के गुनबान मारना सिखाय देले छेलय। इ बारह बरसो सें तेॅ ओकरा सिनी सीखिये रहलो छेलय। मैया नेॅ ऐन्हो जादू करलय कि सबटा भुललो मंतर भी ओकरा सिनी के याद होय गेलो छेलय। हिन्ने मैया सातो बहिन निकललय हुन्ने नटुआ आरू मैनमा भी निकलय मतरकि होकरो निकलते ही मुंगिया जागी गेलय वैं-नेॅ वहीं से अंदाजो से बाण चलाय देलकय मतरकि ओकरा पता नय छेलय कि नटुआ सिनी कहाँ छै, कहाँ नुकाय गेलो छै। ओकरा सिनी के नय देखी के मुंगिया ने पोथी निकाली के सगुन उचारलकै आरू होकर पता चली गेलय। नटुआ रातो रात मैनवा के लै के राज्यो के सीमा पार करी गेलो छेलय। पता चलते ही वैं-नेॅ झट से बाज के रूप में आपना के बदली देलकय आरू तेजी से उड़ी के ओकरा सिनी के पास पहुँची गेलय। नटुआ ने जबे देखलकय कि मुंगिया बाज बनी के अयलो छै तेॅ ऊ तखनिये कबूतर बनी के बाज से दूर उड़ी गेलय। बाज ने जेन्हैं कबूतर पर झटपटना चाहलकै तेन्हैं नटुआ कबूतर सें गोटा बनी गेलय। नटुआ के गोटा बनलो देखी के मुंगिया ने बाज के रूप छोड़ी के आपनो कबूतर बनी गेलय। जेन्हैं वैं-नेॅ ें गोटा निगलै ला चाहलकय तेन्हैं मैनमा सतर्क होय गेलय। ओकरा लगलय कि अब तेॅ मरना ही छै यहीं से जेतना ताकत छै ओतना लगाय दीये। ऊ मंतर पढ़ि के आपने बिल्ली बनी गेलय आरो कबूतर बनली मंुगिया के मंुडि मोचारी देलकय। पहले ही मोचार में मुंगिया राम-राम करीके मरी गेलय। ओकरा मारला के बाद दुुनु केले के थम्म पर सबार होय के उड़ते-उड़ते जावे लगलय।

जयते-जयते नटुआ ने हँसी के मैनमा सें कहलकय, 'मैनमा कमला मैया के सत के कारण ही हमरासिनी जीतले छियै, मतरकि हमरा तेॅ मगदन्नी लगी रहलो छै कि तोहं बिलार केना बनी गेल्हैं? मुंगिया केरो जान लै कि तोहें हमरा केना बचाय लेल्हैं। है विद्या तोरा के सिखैलको?'

मैनमा हाँसी-हाँसी के कहे लगलय, 'कमला मैया के बलिहारी हो मालिक जखनी मुंगिया तोरा सिखावे छेल्हौं तखनी हम्मूं कोना में छिपी के सुनै छेलिये। मतरकि राति सुनै छेलिये आरू भोरे भुलाय जाय छेलिये। ऊ तेॅ कमला माय ने कहले छेलय कि ज्यों तोहें हमरा नटुआ सें मिलाय देभै तेॅ तोरा सबटा मंतर सिद्ध होय जयतो। हुनको किरपा सं ऐन्हों होलय कि हम्में रूप बदले पारलिये आरू ऊ बंगालिन से मुक्ति मिललय।'