नटुआ दयाल, खण्ड-12 / विद्या रानी

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नटुआ खुश होय गेलय, 'बाह रे मैनमा, कमला माय तेॅ बहुत सहाय रहलय तोहें धन्य छैं आरू कमला माय भी धन्ये छै। हुनी एतनाय किरपा करी के हमरा मुंगिया केरो चंगुल सें बचैलकै आरू तोरहौ एतना गुनी बनाय देलकौ कि तोहें हमरो रच्छा करे पारले छैं।'

दुनु मने मन जपते-जपते जाबे लगलय कि सत् के नाम कमला छै, सत् के नाम कमला मैया छै।

हुन्ने नटुआ मैनमा के साथे जेना-जेना आपना देस के तरफ आवे लगलय हिंडे अमरौतिया के ऐंगना में कौउआ गलगलावे लगलय।

कौआ जखनी चारा बांटे लगलय तखनी बहुरा कहलकय, 'गे अमरौतिया, इ कौआ तेॅ गलाला बांटी रहलो छै ज़रूर कोय नेॅ कोय पहुना अइतय।'

अमरौतिया कहलकय, ' के अयतो माय पहुना के गेलो तेॅ बारह बरस होय गेलौ, हुनको गामों में सराधो केरो हलला होय रहलो छेलय तेॅ आरू के छिको जे अयतौ?

बहुरा बोललकय, 'हमरो अंदाज ग़लत नय छै अमरो ज़रूरे कोय नेॅ कोय अयतय।'

अमरौतिया बोललकय, 'ज्यौं पाहुना अयवो करतय तेॅ तोहें आरू गामो के लोग ओकरा जिये देभैं की? से ठीके छै, नय आवे छै, तेॅ जिन्दा तेॅ छै न।'

बहुरा कहलकय, 'से तेॅ ठीक छै लेकिन जे किरिया खैयले छीयै ऊ तेॅ पूरा करैला ही पड़तय। नय तेॅ सब्भै के हम्मेें की मुँह देखैयवै।'

अमरौतिया के परान कुहकै लागलय। इ बारह बरसो में कतना सावन कतना भादो बही गेलय। मोन तेॅ लगै छेलय कि अंगारो पर बैठलो छै। वहै तीन दिन, तीन रात, जेना संउसे जीवन ताँयँ पसरी गेलो छेलय। नै तेॅ ऊ रूप भुलावै छेलय नेॅ ओकरो वचन। एह! कतना

सीधा छेलय कि बिहा केरो बात होतै तैयार होय गेलय, चुपचाप बिहा भी करी लेलकय। आरू हमरा अपनाय भी लेलकय मतरकि किस्मत केरो फेर हमरा ऊ तीन दिनों के ही सोहागिन बनना छेलय, बाकी जिनगी तेॅ सोनामंती भौजी के संगे ओकरो याद करी-करी के काटना छै। एतनाय दिन बिती गेलो छै कि हम्में तेॅ आवै केरो आसरा छोड़ी देले छीये मतरकि इ कौआ कैन्हें बोली रहलो छै ज़रूर एकरा में कुछु नेॅ कुछु भेद छै। आज ताँय तेॅ इ रंग नय बोललो छै कौआ। हे कमला माय! जौं आवियोजाय तेॅ ओकरा बजर बनाय दीहो ऐन्हों करी दीहो कि हमरो माय केरो एक्को ठो मंतर हुनका छुअ नय पारे। तोहीं रच्छा करै सके छौ। हम्में तेॅ अखनी निराशे छिये मतरकि ज्यों कजाय हुनी आवी जाय तेॅ हुनको जीवन केरो रक्षा के भार तोरे ऊपर छौं। हे कमला माय तोहं चाहवो तेॅ छने में छनाक होय जैयतय। हमरो पराननाथ केरो जीवन इ दुष्टो सिनी केरो हाथो में पड़लो छै। इनका सिनी के हुनको दुष्टता केरो दंड दीहो चाहे ऊ हमरो मैइये कैन्हें नी रहे। हम्में गरीब छीये माय हम्में आपनो बापो के मरतं भी देखले छीये। इ कारो कामो में जे दुर्दशा छै से भोगी रहलो छीये। यही सें हमरो आगू केरो जिनगी शांति से बितइहौ हम्में अबे आपनो सोहाग के मरतें नय देखे पारै छियै। अगर हमरो नटुआ जिन्दा छै तेॅ माय हमरा सें ज़रूर मिलाय दहू। हम्में आपनो सोहाग के आपनो बापो रंग मरै दै ला नय चाहे छीये। एतनाय बिनती करी-करी के अमरौतिया फिनु सोचे लागलय कि धुर इ कौआ नेॅ बोली के हमरा कहाँ से कहाँ बहकाय देलकै। एकरो कहै छै जागला में सपना देखना। हे भगवान जे होतय से होवे करतय मतरकि एतना गोहार करी रहलो छी मतर कि एतना दिनो सें कमला माय केरो थान नय लीपले छीये। सब कुछ भुतलाय गेलो छीये। कहे छै कि दुःख में सुमिरन सब करै सुख में करै नेॅ कोय, मतरकि हम्में दुःखो में रही के माय कमला के थान लीपना धूप-धुआँ देना भुली गेलो छीये। अमरौतिया नेॅ तय करलकय कि भौजी सें कही के अगला मंगल कमला माय के थान जैइवौ दुनु रहवय तेॅ बढ़िया होतय। कम से कम सात या नौ मंगल लीपी के छोड़ी देवय। जौं माय ने नटुआ के घुराय देतय तेॅ आरू नौ मंगल लीपवै। खाली माय कमला हुनका रक्षा करै। गाम वाला के बुद्धि दहौ, हमरो माय के सुुबुद्धि दे, हे माय तोहीं हमरो सहाय छौ।

नटुआ आरू मैनमा दुनु उड़ते-उड़ते ऐन्हों जगह पहुँचलय, जहाँ से नटुआ के बहिन भागोमंती के ससुराल बहुत नजदीक पड़ै छेलय। दुनु विचारलकै कि चलो अब अपनी बहिन कन जाय के ओकरा से मिली लै छी, तबे अपनो गाम जइवै। दुनु भागोवंती के दुआरी पर पहुँचलो।

जेन्हैं भागोवंती ने आपनो भाय के देखलकय तेन्है गुहार करी उठलै, ' जैकमला माय, जय माता महारानी, जय तोरे सत् माय। हमरो अरज सुनी लेल्हो माय, तोरे बड़ी किरपा छौं, कही-कही के विलखे लगलय।

नटुआ ने देखलकै तेॅ कहलकै, 'ठीक कहे छैं बहिन आज जौं कमला माय सहाय नय रहतिये तेॅ हम्में ऊ तिरिया राजो में मुंगिया केरो हाथो सें नय निकले पारतियै। हुनके आशीर्वाद होलय कि हम्में निकललो छीये।'

भागोवंती तेॅ खुशी से पागल होय रहलो छेलय। खुशी के आँसू रोय रहलो छेलय। नटुआ आरू मैनमा दुनु के हाथ गोड़ धोलाय के नाश्ता पानी करवावे लगलय। फिनु चैन से बैठी के नटुआ के नय अयला पर गामों में की होलय सबटा खिस्सा गुद्दी-गुद्दी आपनो भाय के बतलावे लगलय। कि केना गामवाला नेॅ सराध करै के जिद करलकय, आरू केना खाय में नाटक करै लागलय, आरू केना ऊ झुठ्ठे बोली देलकय कि हमरो भाय जिन्दा छै सब्भै के मुँह भक्क हो गेलो छेलय।

नटुआ सोचिये रहलो छेलय कि मैनमा कहलकय, 'गाम के केकरो ओकरासिनी के दुःखो से कोय मतलब नय छै सब्भै खाली ठगै ला चाहे छै।'

नटुआ कहलकय, 'तोहें नय नेॅ समझलैं मैनमा, बारह बरस, कुछ कम दिन नय होय छै, एतना दिन बितला के बादू तेॅ सराध केरो बात होवे करै छै मतरकि नय खाय के नाटक करी के मतलब छै कि हुनका सिनी खाली माय-बाबू के तंगे करे ला इस सब करी रहलो छेलय।'

दुनु भाय-बहिन खूब देरी तक गप-शप करलकय, फिनु राति के खाय के सुती गेलय। नटुआ नेॅ कहलकय, 'दीदी हम्में कल आपनो गाम चल्लो जैइबो, कैन्हें कि माय-बाबू फिकिर करी रहलो होतय।'

भागोमंती ने कहलकय, 'हाँ चललो जैइहें, हे भाय आरू हम्में तेॅ इहो कहबो कि जे भी लड़की छै जेकरा सें तोरो बिहा होलो छौ ओकरा गौना कराय के ले आन कैन्हें कि हमरा इहो लगै छै कि ओकरे सेनूर के जोरो सें तोरो जीवन बचलो छौ नय तेॅ ऊ मंतरिया सिनी जेकरा पकड़ी लै छै ओकरा छोड़य छै की?'

नटुआ कहलकय, 'की तोहें कहै छैं दीदी लै आन मतरकि माय-बाबू होतौ तेयार? बाबू तेॅ सोझे लाठी हमरो कपारो पर दे देतौ, जखनी ऊ डैयनी केरो बेटी के आने के बात कहवय त।'

भागोमंती बोललकय, 'नय रे अबे माय-बाबू तेॅ एकदम्मे नरम मिजाज के होय गेलो छौ। कहलो जाय छै नेॅ कि मरले गुन की परैलै गुन तोहं जे एतना दिन नय रहले आरू अखनी आवि गेलें से तोरा देखी के हुनका, सिनी हरखित होय जैयतय आरू आबे तोरो सात खून माफ छौ। खाली तोहें अच्छा से माय-बाबू लग पहुँची नेॅ जो, सब कामे ठीको सें होय जैयतो।'

नटुआ कहलकय, 'ठीक छौ कल हम्में जाइये रहलो छीये मतरकि जौं गौना केरो बात होतय तेॅ तोरा विदा कराय के लै जैइवो।'

दोसरा दिन भोरे-भोर भागोमंती कानी-कानी के आपनो भाय के विदा करलकय। अबे तेॅ ओकरो मोन हुलासो सें भरी गेलो छेलय। वैं-नेॅ े हिसाब लगावे लगलो छेलय कि कमला माय केरो थानो पर की-की भखले छीये सब याद करी के चढ़ाय देवै। जेना अबकि बार हुनी हमरो विनती मानी लेलकय वैन्हें सब्भै दिन मानी लिये हो भगवान।

नटुआ आरू मैनमा दुनु जबे घर पहुँचलय तेॅ दुखरन आरू नटुआ माय के तेॅ आपनो आँखि पर विश्वासे नय होय रहलो छेलय। बार-बार आँख मली-मली के देखे छेलय कि इ सच्चे छै कि भरम। जबे नटुआ नेॅ गोड़ लागी के कहलकय, 'आँख की मली रहलो छौ बाबू हम्में आवी गेलो छीये,' तेॅ दुखरन ओकरा छाती सें सटाय लेलकय आरू झरझर काने लगलय।

कहाँ चललो गेलो छेलय हो बेटा, हमरा सिनी के कत्ता कलटैलें जिनगी अंधार करी देले छेलँय।

नटुओ काने लागलय, 'की कहियो बाबू गेलियौं तेॅ बढ़िये से मतरकि पड़ि गेलिहों चक्करो में। ऐन्हों चक्कर में कि बची के आवे के कोय उम्मीद नय छेल्हौं। इ तेॅ दुहाय छै कमला माय के कि हम्में जम्मो के दुआरी सें लौटी के चललो अयलो छीयै।'