नटुआ दयाल, खण्ड-13 / विद्या रानी
दुखरन नटुआ के माथा में चुम्मा लै के कहलकय, 'जो माय सें भी मिली ले।'
नटुआ जेन्हैं माय के गोड़ो पर पड़लै तेन्हैं ओकरी माय ओकरा करेजा सें लगाय लेलकय। ओकरा लगलय की ओकरो छाती सें दूध बहे लगलय। वैं-नेॅ नटुआ के दुनु गालो में चुम्मा लै लेलकय। लगै छेलय जेना मरलो धानो पर पानी पड़लो छै।
वैं-नेॅ े दुखरन के कहलकय, कैन्हें कानै छौ नटुआ बाप? अब तेॅ हमरासिनी जुग जीती गेलिये, हमरो मरलो आस जगी गेलय, भुलैलो, बौखलो बेटा लौटी अइलय, अब कैन्हें कानै छौ। '
नटुआ माय ने हँसी-हँसी के ओकरो समाचार पूछै लागलय, ओकरा डर लगी रहलो छेलय कि कहीं कनियाइन के गप नय हुअ लागे कैन्हें कि ओकरो गप होला पर नटुआ फेनु विचलित होय जैइतय। नटुआ माय झटपट खीर बनावे लगलय, पीढ़ा पानी लगावे लगलय आरू मैनमा सें कहलकय की रे मैनमा तहुँ नटुअे रंग होय गेल्हें जाबे लगल्हैं तेॅ कहे नय पारलैं, नय तेॅ हमरासिनी ओकरा रोकी लेतिये? '
मैनमा बोललकय, 'हम्में की कहियौं मलकाइन नटुआ मालिक केरो हुकुम छेलय कि चुपेचुपे जाना छै, से केना कहतियों।'
नटुआ माय बोललकय, 'ठीके छौ। गेल्हैं तेॅ एतनाय तेॅ होलो कि दुनु साथे रहलें कहलो जाय छै एक सं भलो दू।'
नटुआ बोललकय, 'खाली साथे नय रहलय माय, इ नय रहतियौ तेॅ हम्में ऊ मंतरिया केरो पेटो में रहतियौ। संउसे ठो खैइये जैइतय वैं-नेॅ े मैनमे हमरा बचैले छौ।'
मैनमा ने इशारा करलकय कि रूप बदले केरो बात माय के नय बतावो डरी जैइतय आरू पता नय की सोचे। परगट में कहलकय, 'ऐन्हों नय छै माय दुनु एक दूसरा केरो ध्यान रखलिये नी एही से कमला माय, केरो किरपा से यहाँ आवे पारलियै। नय तेॅ वहीं राम नाम सत होय जैइतये।'
नटुआ बोललकय, 'राम नाम सत होलय, चाहे नय होलय हमरो सराध तेॅ खूब होलय, की माय?'
नटुआ माय तेॅ अचंभित होय गेलय। अचंभित होय के बोललकय कि तोरा सराधो के खिस्सा के बतैलको बेटा? '
नटुआ ने जबाव देलकय, 'भागोवंती बहिन नें। हम्में ओकरो कन रूकी के नेॅ यहाँ आवी रहलो छीयो।'
नटुआ माय सोचे लगलय ठीकै कहले छेलय भागोमंती ने कि हमरा भाय के दरसन करवाय देभो तेॅ इ चढ़ैवों ऊ चढ़ैवों। यही ला कमला माय ने पहले ओकरो दर्शन करवैलकै, 'परगट में बोललकय,' ओऽ तेॅ तोरा सब्भै खिस्सा तेॅ मालूमे छौ, इ गामों के नाटक की कहियौ बेटा, बड़ा सतैलको मतरकि भागोमंती ने आपनो चालाकी सें ओकरा सिनी के हराय देलकै। '
यही रंग गप करते-करते नटुआ माय खीर, पुड़ी लै आनलकय। मैनमा के एक ठो थरिया में दै के नटुआ के आपनो हाथो सें खिलावे लगलय जेना छोटा बच्चा केॅ गीत गावी-गावी खिलैलो जाय छेलय। वैन्हें वैं-नेॅ े नटुआ के खिलावै लगलय। ओकरो मनो के हुलास के तेॅ कोय अंते नय छेलय। आँखि के आँख, अंधरा के लाठी मिली गेलय। अबे लगतय कि इ जिनगी भी कुछ जिनगी छै नय तेॅ तोरा बिना तेॅ सगरो अंधारे लगै छेलय। दुनुमाय बेटा रात भरी गपे करते रहले। तिरिया राज, कामरू कामख्या के वर्णन करी के जखनी नटुआ सुनावे लगलय, तखनी ओकरी माय तेॅ गद्-गद् होय गेलो छेलय। खतरा केरो बात सुनी के ओकरो आँख बड़ो-बड़ो होय जाय छेलय आरू नटुआ के होशियारी के गप सुनि के ओकरो आँखि में चमक आवि जाय छेलय। नटुआ के लौटे के बात तेॅ सौंसे गामो में पसरी गेलो छेलय।
नटुआ नेॅ माय सें कहलकय, 'हे माय इ गाँव वाला सनी तेॅ लिच्चड़ छौ धूर्त छौ। कोय नेॅ कोय बहाना से भोज खाय ला चाहे छौ। अब तेॅ तोरा एकटा बड़का कारण छौ भोज करै ला, कैन्हें कि तोरो बेटा बारह बरसो के बाद लौटी के अयलो छौ। तोहें सौंसे गामों केॅ मछली व भात केरो भोज भरी मन खिलाय दहीं। हुनको सिनी के भोज खाय के लालसा मिटी जैइतय आरू हमरो यहाँ लौटै के समाचार भी सब्भै के मिली जइतय।'
नटुआ माय तेॅ आपने बेटा के फिनु सें पावी के मगन छेलय वैं-नेॅ दुखरन के फिनु भोज करै ला मनाय लेलकय आरू नौआ के बोलाय के चाउर दाल बांधि के दै देलकय कहलकय कि जो जाय के हमरो बेटी के विदागरी करवाय के ले आन।
नौआ विदागरी करवाय ला चललो गेलो। हिन्ने नटुआ माय भोज केरो तैयारी करे लगलय। झट-पट नटुआ के पैसा कौड़ी दै के कहलकय, 'हे बेटा बजारो सें दस मन मछरी कीनी लीहें हमरो मोन छै कि सब्भै के इच्छाभरी मछरी-भात खिलाय दीयै जेकरा से सब्भै के हंसा पूरा होय जाय देखिहें बेटा मछरी वाली नेॅ तोरा ठगी नय लौ, सें बढ़िया सें मोल-भाव करी के किनिहें।'
नटुआ मैनमा के साथे पैसा कौड़ी लै के बाज़ार चललो गेलय। ऊ दुनु बैलगाड़ी पर जाय रहलो छेलय। कैन्हें कि दस मन मछरी हाथो में तेॅ नहिये आवे पारै छेलय। बाजारो में मछरी वाली सें नटुआ के खूब तकरार होलय मोल-भाव करलकय दामों में जोड़-तेॅ ोड़ करि के नटुआ मछली कीनी लेलकय। वही मछली बैलगाड़ी पर लदी केॅ जखनी तक घर अइलय तखनी तक तेॅ अपने आप दस मन होय गेलय। नटुआ आरू ओकरो माय तेॅ खुशे होय गेलय। नटुआ के बारबार उ मछरी वाली याद आवी रहलो छेलय जें एतनाय उठा-पटक करले छेलय। जेन्हैं नटुआ घर अइलय तेन्हैं ओकरी माय ने सब समान सरियाय के राखे लागलय। गोतिया आरू गाँव भरी के सबसे न्यौता देलो गेलो छेलय भागोमंती भी सांझ होतें-होतें आवी गेलो छेलय। सब कर-कुटुम से घर भरी गेलो छेलय। ऐंगना-ओसरा के अलावे बाहरो में चंनवा तानलो गेलो छेलय नय तेॅ सब्भै आदमी केेना करी के अँटतियै। गाँव भरी के छवारिक सिनी ने सबटा काम हाथे-हाथ उठाय लेने छेलय। कैन्हें नय उठैतियै, एक तेॅ दुखरन के गेलो बेटा लौटी अयलो छेलय, आरू दोसरो ओकरो झुठे के सराध में एतनाय कचकच होलो छेलय। गाँव वाली सिनी कहे लगलय कि भागोमंती के अमित विसवास छेलय कि हमरो भाय केॅ कुछु नय होलो छै, आरू देखौ भाय लौटी के आविये गेलय।
सब तैयारी होला के बाद खिलाना-पिलाना हुअ लागलय। एकठो पंगत मँ सौ-सौ आदमी बैठी गेलय एक-एक मनो के भात के चंगेरा आरू दू-दू मनो के बाल्टी. भर-भर डबुआ मछली केरो कुटिया परोसलो गेलय। आरू झोर अलगो सें। एह खाय वालासिनी तेॅ थै, थै होय गेलय। भोरम-भोर भोज चलते रहलय। मतरकि खिलवैया सिनी नय थकलय। जे-जे आदमी खाय लै छेलय ऊ फिनु तम्बाकु आरू गांजा पीये लागै छेलय। ऊ झुंडो में तम्बाकू गांजा के धुआँ एतनाय ज़्यादा हो गेलो छेलय कि रास्ता नय सूझे लगै छेलय। सब लोग मगन मन छेलय हलवाय तेॅ इ ताको में छेलय कि कत्ते आदमी आरू बचलो छै कहीं भात आरू तेॅ नय बनाय ला पड़तय। वैं-नेॅ े चुल्हा के ऊपर पानी केरो हंडा चढ़ैइये देले छेलय जो गरम होय रहलो छेलय जखनी भात कम हुआ लागै छेलय वह चौर धोय के अदहन में गिराय दै छेलय। इ आनंद में आरू चार चाँद लागी गेलय, जखनी नटुआ आपनो घुंघरू छमकाय के नाचे लगलय नटुआ नेॅ गौना केरो गीत गाना शुरू करलकय आरू छम-छम नाचे लगलय सब लोग आनंद सें ओकरो गीत आरू नाच देखे में लगी गेलय। नटुआ गावि रहलो छेलय।
' बाबा करी देहु गौना हमार
नय देखो पोथी आ पतरा
बहे छै फागुना बयार
नय देखो पोथी आ पतरा।
बहे फगुना जियरा हुलसै
अइतय बालम हमार, नय देखो पोथी आ पतरा
डोली कहार लैके बलमा जे अइतय
घोघो लैके जइबे ससुराल
नय देखो पोथी आ पतरा
छम-छम बाजे मोर पैजणिया
खन-खन खनकै हाथ के कंगनमा
कोठा पर कौआ करै उचार
नय देखो पोथी आ पतरा
वामा नयन मोरा रहि-रहि फड़कै
दुखो में रात दिन कलेजा धड़कै
कखनी अइतै पहुना हमार
नय देखो पोथी आ पतरा।
बाबा करी दहु गौना हमार। '