नटुआ दयाल, खण्ड-17 / विद्या रानी
नटुआ दुखी होय गेलो, ' बड़का ठो खिस्सा छै अमरो, बड़का ठो, अस्थिरो सें बैठवो तेॅ बतैभों। हम्में तेॅ गौने करवाय ला अयलो छी, आरू हमरा साथे बाराती सिनी भी छै, अबे तोहं नय कलपो, हम्में आजे गौना लै लेवय। अबे तोहें चुप रहो। अमरौतिया तेॅ ठक्क आगे गौना केरो बातो पर ओकरो तेॅ जी तर ऊपर करे लगलय।
कैन्हों बात छै कि जेकरा आवै के इंतजार में बारह बरीस कुहकलिये ओकरा अइला के बादो आरू ज़्यादा ही दुख होय रहलो छै। छटपटाय के बोललकय अमरौतिया, ' नय स्वामी नय इ की कही रहलो छौ तोहें गौना कहियो नय लीहो, भुलियो के आपनो सासु के दुआरी पर नय जइहो हो पहुना। तोहें नय जाने छौ की कारण छै। हम्में तोरा केना बतैइहों।
नटुआ बोललकय, 'तोरा बतावे के कोय ज़रूरत नय छै हम्में सब जानै छियै, मतरकि गौना तेॅ आजे होतय।'
अमरौतिया दौड़ी के ओकरो गोड़ पकड़ी लेलकय, कहे लागलय, 'नय स्वामी ऐन्हों नय करो हमरो बारह बरीस सें जोगलो सेनूर क्षणे में बही जइतै। हमरी माय ने तेॅ भदोरा राज केरो सात सौ जमाय केॅ जान लै के बैठलो छै आरू किरिया खैयले छै कि आपनो जमाय के जीभ काटि के सब्भे के जिलैतय। हमरो माय के-के नय जाने छै कत्ता बड़ो मंतरिया छै हे प्राण नाथ वैं-नेॅ े तेॅ तोरा खाय जइथौं। तबे हम्में की करवय अभी तॉय आवे के आसरा में जिन्दा छेलिये अब तोहीं मरी जैइवो तेॅ की होतय हमरो जिनगी के.'
नटुआ कहलकय, ' तोहें चिन्ता नय करौ। हम्मूं बड़का ओझा केॅ लैके अयलो छी। इ जे सुतलो छौं नी ऊहों ओझा ही छै मतर कि पहिने ओकरा उठाय के पानी लैके भेजी रहलो छिये जेकरा सें बराती सिनी खाय पीबी लेतय दू घंटा तेॅ पानिये खोजे में लगलय।
नटुआ ने मैनवा के आँखि पर पानी छींटी के उठैलकय, आरू कहलकय, 'पानी पीयेला अइलें आरू मजाक करे लागलें वहाँ बराती सिनी तेॅ औला-बौला होतै, जो-जो पानी लै के जो हुनका सिनी के खिलैइहैं पिलैइहैं।'
मैनमा भकुआय के देखे लगलय। अमरौतिया के तरफ देखी के कहलकय, 'इ के छै मालिक?'
नटुआ कहलकय, 'यही तोरो नयकी मलकाइन छौ। इनके गौना करवाय ला नेॅ अयलो छिये।'
मैनमा नेॅ फरकै सें गोड़ लागि के बोललकय गोड़ लागै छिहौं नैयकी मलकाइन गोस्सा दिलाय देलिहों हमरा छमा करी दहू। '
अमरौतिया कुछु नय बोललकय।
नटुकवा बोललकय, ' छमा-उमा बादो में मांगिहैं, अखनी पानी लैके जो वहाँ कहीं दीहे कि पानी नय मिलला से देर होलय आरू सब्भै के बढ़िया सें नाश्ता पानी करी के तैयार होय ला कहियें, हम्में आवि
रहलो छी। '
मैनमा बाल्टी भरी पानी लै कि चल्लो गेलय। बड़ी असमंजस बाला बात होय गेलो छेलय, सोनामंती भी कुछु नय कही रहलो छेलय। एक तरफ नटुकवा गौना लै ला तैयार, तेॅ दोसरो तरफ अमरौतिया गौना नय करे के जिद करी रहलो छेलय। अंधार होलो जाय रहलो छेलय।
अमरौतिया के तेॅ भौउजी के सामने लाज नहिये लगे छेलय। कैन्हे की बारह वरीस तेॅ ऊ एही सनी गपियाय के काटले छेलय। ऊ बोललकय, 'हे स्वामी इ बारह बरसो में हमरो अंगिया एतनाय ठिल्ला हो गेलय कि अंगो सें चुवी-चुवी जाय छै। कंगना हाथों सें चूवी जाय छै। बच्चा सें कखनी जवान होय गेलिये, कखनी बुढ़िया सेहो पता नय चललो छै। बारह बरस खटिया पर लोर बहैते-बहैते समय काटले छीये। ऐन्हों विरह तेॅ भगवान सात घररो के दुश्मनो के नय दीये। आब तोहें मिललो छौ तेॅ गौउना केरो बात करै छौ। सात सौ जमाय के सास-ससुर हमरो माय के पाछू लागलो छै कि ऊ आपनो किरिया पूरा करे, आरू हमरो माइयो तोरे आसरा देखी रहलो छौं कि तोहें अइभो आरू ओकरो किरिया पूरा होतय। एकरा में गौना लैके की करवो? गौना लेना तेॅ आपनो गोड़ो पर कुल्हाड़ी मारना छै।'
सोनामंती भी मूंडी हिलाय-हिलाय के कहलकय, 'अमरो ठीक्के कहे छौं पहुना, गौना लै में तेॅ बहुत खतरा छै। से तों बिना गौना के ही एकरा लैके भागी जा।'
नटुआ कहलकय, 'नय भौउजी एक तेॅ बिहा ऐन्हों होलय कि अमरौतिया आरू हमरो माय बाप केकरो आस अरमान नय पूरा होलय, अब जब गौना करेला बराती साजी के आवि गेलो छीयै, तेॅ मंतरो के डरो से भागि जइयै? नय इ नय होतय गौउना तेॅ आजे होतय खाली कमला माय सहाय रहतय तेॅ सबटा कठिन रास्ता सरल होय जैइतय।'
अब दुनु ननद भौजाय तेॅ चुप। अमरौतिया के मनो में तूफान चली रहलो छेलय। जेकरो इंतजारो में कलेजा फटी रहलो छेलय। ओकरा अयला के बाद करेजा आरू कुहकी रहलो छै। 'अभी तांय तब हम्में ओकरो नामो के सेनूर तेॅ पिन्है छेलियै, अब तेॅ ऊ मरिये जैइतय हम्में रांडे बनी जइबै। हे भगवान कथी ला उ कौआ बोले छेलय। माय ने तेॅ कहवे करले छेलय कि आज कोय नेॅ कोय पाहुना अइबे करतय। हे कोसी माय, कमला माय, गंगा माय, गोसांय बाबा रक्षा करिहो, हमरो स्वामी के रक्षा करिहो। आय तेॅ जिद पकड़ी लेले छै तेॅ गौना लेवे करतय मतरकि इ भदौरिया राज केरो आदमी सिनी आरू हमरी माय दुनु सें हमरो स्वामी के रक्षा करिहो। हे माय हमरो सेनूर केरो लाज तोरे हाथो में छैं।'
इ दुनु के अकवकैली-हकबकैली देखी के नटुआ कहलकय-है रंग कैन्हें धबड़ाय रहलो छौ? जा पानी लै के घर जा, हम्मूं सनी बराती लै के आवी रहलो छी, तोरा चिन्ता करे के कोय काम नय छै। तोरा याद छौं नेॅ कि तोहें कहने छेल्हो कि कोय ओझा सें जंतर लै लीहो से हम्में जंतरो लै लेने छीये हमरा कुछु नय होतय तोहं माय के जाय के कही दहू कि गौना लैला पहुना आवि रहलो छै। '
अमरौतिया ने झटझट आपनो घैइला में पानी भरलकय आरू दुनु ननद भौजाय झटकी-झटकी जावे लगलय। हिन्ने नटुआ आपनो बड़ तर जाय ला मुड़ी गेलय।
इहाँ बराती सिनी के साथे दुखरन छेवे करले। खिलान-पिलान केरो इंतजाम बढ़िये छेलय आरू पानी में जे कुच्छु देरी होलय तेॅ कोय हल्ला-गुल्ला नय केन्हें कि तुरन्ते तेॅ सब्भैं खाय पीवी के चललो छेलय। फिनु मैनमा जबे पानी लै के आवि गेलय तेॅ सब्भैं जलखय करै ही लागलय। थोड़ा देरी में नटुआ अइलै।
दुखरन नेॅ पूछलकय, 'कहाँ गेलो छेलँय रे नटुआ हमरा सिनी के इहाँ बैठाय के.'
नटुआ कहलकय, 'नय बाबू पानी के खोजी रहलो छेलिये, पानी, जेन्हैं मिललय तैन्हैं तेॅ मैनमा के पानी लैके भेजी देलिये। आरू हम्में पाछू-पाछू आवि रहलो छेलिये।'
एकठो दोसरो बुजुर्ग ने कहलकय, 'इहाँ जे एतना आदमी रूकलो छियै से कत्ता भी आदमी आवि के पूछी के गेलय कि केकरो बराती छै? आरू बराती नय छै तेॅ की बात कि एतना आदमी एक्के ठिया आवि के रूकलो छौ।'
नटुआ पुछलकय, ' तबे तोरासिनी की कहल्हो।
दुखरन नेॅ कहलकय, 'की कहतिये-कहलिये गौना के बराती छै बहुरा के बेटी के लै ला अयलो छै, जे बिहा होलो बारह बरीस होय गेलो छै।'
नटुआ कहलकय, 'ठीकै कहलौ अबे सब्भै बखरी सलोना चले ला तैयार होय जा।'
सब आदमी सिनी नेॅ आपनो भांगटा समेटी के तैयार हुअ लागलय।
सांझको वेरा में उ ओतना देर तांय जे बराती सिनी बड़ो के गाछी तर ठहरलै आरू अगल-बगल गामों के लोग सिनी अइतें-जइतें पता करी लेलकय कि केकरो गौना होय रहलो छै। बात तेॅ जेना जंगल के आगिन जुगना संउसे भदौरा राज में पसरी गेलय कि आज बहुरा केरो जमाय आवि रहलो छै आज सब्भै चलो बहुरा के जाँच होतय कि वें आपनो कौल पूरा करै छै कि नय सुग्गी, मैनी सें लै के सब्भै लोग इ बात जानी गेलो छेलय। आज बराती ऐयलो छै तेॅ कल गौना के विध होतय आरू परसू विदाय होय जैइतय से कल कुछु मुख्य-मुख्य आदमी सिनी बहुरा कन जैइतय आरू किरिया केरो बात कहतय। संउसे गाँव खौल-खौल होय रहलो छेलय।
अमरौतिया संग सोनामंती ने ऐगना में आवि के बहुरा सें कहलकय, ' हे चाची गौना लै ला अमरो के पाहुना अयलो छै, सब बराती सनी के साथे। ऊ इनारा छै नी, जहाँ से हमरा सिनी पानी भरी के लानै छी, ओकरा तनटा दूर पर रूकलो छै सें अब तोहें गौना के तैयारी करो। हम्में आपनो घरो में घैइला धरी के आवे छियों।
इ कही केॅ सोनामंती चल्ली गेलय।
बहुरा तेॅ बौला होय गेलय, अगे माय एतना जल्दी केना तैयारी करवै अब तेॅ रातो होय गेलो छै बराती आवि जैइतय तेॅ की करवै केना करवै। वैं-नेॅ े एक छन नय रूकी के दौड़ी गेलय बजार। बजार अखनी चलिये रहलो छेलय।
एकटा पनवाड़ी सें सबटा बात कहलकय, 'हम्में असकरी छी बेटा। बेटा नय छै से तोहें कम से कम एतना सामान तेॅ घर आनिये दहीं जेकरा सें इज्जत बची जाय। पान, सुपाड़ी, पानी, तम्बाकु, गांजा के अलावे मर-मिठाय, नमकीन-नेॅ ाश्ता ला आरू दाल चौर तरकारी खाना ला। सामान टा आवि जैइतय नेॅ तेॅ कखनियो अइतय तेॅ कोय बात नय छै।'
पनवाड़ी नेॅ कहलकय, 'तोहें चिन्ता नय करौ बहुरा हम्में सब समान आनी देभों आरू पैइसा कौड़ी बादो में दीहो।'
ओकरा हामी भरला के बाद बहुरा घर घुरी अइलय। पंचायत सभा केरो घर में जाय के जाजिम मांगी के ले आनलकय। ऐंगना घर ओसरा तेॅ लीपलो-पुतलो बोढ़लो छेवे करलै वें ऐंगना में ही जाजिम बिछाय देलकय। चादर बिछाय देलकय। सोनामंती के दुलहा सुन्नर केॅ जाय के कहलकय कि आठ दस छवारिक सिनी केॅ तैयार रखिहो बराती के खिलावे-पिलावे में आराम होतो आरू तहुँ तनी खाड़ा रहियो। कर कुटुम्ब छै इज्जत होने चाहियो।