नटुआ दयाल, खण्ड-18 / विद्या रानी
इ रंग अखनी बखरी सलोना गामों में तीन तरह के तैयार होय रहलो छेलय। एक तेॅ नटुआ के गामों के लोग, दोसरो बखरी सलोना के लोग, आरू तेसरो भदौरा राज के सात सौ जमाय वाला लोग। सब्भे एक जगह जुटैले तैयार होय रहलो छेलय। ठीक वैन्हें तमाशा होय बाला छेलय जे बहुरा के नचावे वाला दिन होलो छेलय।
जब आधो राति के बाद बराती अइलय तेॅ बहुरा नेॅ सब्भै के नाश्ता पानी करवाय के भांग-गांजा भी देलकय। पान सुपाड़ी पानी के दौर तेॅ चलते रहलो छेलय। बहुरा के ऐंगना घर भरी गेलय। गाँव वाला लोग भी उहाँ आवि गेलो छेलय। दुखरन नेॅ कहलकय कि हे बहुरा हमरा सिनी गौना करवाय ला अयलो छियै से तोहें ओकरो तैयारी करो।
बहुरा बोललकय, 'हाँ ठीक छै समधी, गौना तेॅ होवे करतय मतरकि अभी अंधार होय गेलो छौं से रात भर विसराम करी के काटिला। काल इंजोर होला पर पंडित के बोलाय के गौना केरो विध करी देलो जैइतय। तब तक आपनासिनी आराम करियै।'
बात तय होइये गेलय। अमरौतिया के मन तेॅ डुबलो जाय छेलय। आरू नटुआ के परान अकबकैले जाय रहलो छेलय कि केना जल्दी से जल्दी गौना होय जाय आरू जे होना छै ऊ होय जाय। ओकरा आपनो मंतर पर पूरा भरोसा छेलय आरू ओकरो सें ज़्यादा भरोसा छेलय कमला माय पर। मंतरिया सें ओकरा मुक्ति दिलाय देलकय ऊ एक्कठो बहुरा के हरावे नय पारते यही सोची के नटुआ धीरज धरने छेलय। जाजिम चद्दर आरू मसनद विछाय के सब्भैं सुतलै। राम-राम करी के रात कटलय। भोर होथैं सब लोग दिशा मैदान जायला गामो में घूमेला निकली गेलय। आज तेॅ फैसला केरो रात छेलय। चाहे जय चाहे छै। बहुरा आपना चरित्रा के मुताबिक कलबल छल में लगलो छेलय, हिन्ने समधी सिनी के कही रहलो छेलय कि गौना लै ला, आरू हुन्ने गामो वाला सिनी के कही रहलो छेलय कि आज तोरा सिनी के जमाय जीवी जैइतय घबड़ावो नय। बड़ा गहमा गहमी मचलो छेलय। केकरो मनो में घोर अंधार आरू केकरो मनो में उमंगे उमंग। मैनी सुग्गी रंग लोग, जे केकरो पक्षो में नय छेलय ऊ अमरौतिया ल हाय-हाय करी रहलो छेलय कि कैन्हीं नठिन माय छिकै आपना विद्या ला इ बेटी के नाशी रहलो छै।
सोनामंती के भी हवास गुम छेलय। सोचे छेलय सोनामंती कि किस्मत छै, अमरौतिया केरो तीन दिन ला सेनूर पिन्हलकै आरू बारह वरीस विरह में रहलय अब फिनू जे गौना होय रहलो छै तेॅ डर तेॅ यहै छिके कि ओकरो पाहुना केरो जान रहतय की नय रहतय। अमरौतिया तेॅ सोचते-सोचते एतनाय थकी गेलो छेलय कि सब कुछ माय कमला के चरणो में समर्पित करी केॅ निरभाव होय गेलो छेलय। ओकरा विद्यापति के हौ ठो गीत याद आवि रहलो छेलय।
दुखही जनम भेलो दुखी ही गभावलो
सुख कहियो नहीं होलो हे भोलानाथ
कखन हरव दुख मोर
'हे कमला माय हे भोलानाथ तोरा जे हमरा पर कटियो-सा दया होय जयतय तेॅ कुछ नय विगाड़े पारतय कोय हमरो पाहुना के. हे भगवान जौ हम्में तोरो कुछु सेवा करलो होवै तेॅ हमरो सोहाग के रक्षा करिहो भोलानाथ, माय कोसी अब तेॅ आस कोय सहारा नय छै। हे कमला माय हमरो नाव तेॅ डुबले छेलय, तोहीं उबारलै छहौ, उबारि केॅ फिनु नय डुबै हो बाबा उबारले रहे दीहो की कहतय लोग, आरू केना कटतय हमरो जीवन? हम्में यही रंग वनबेल खैयते-खैयते रही जैयवै।'
यही रंग सब ठियां होय रहलो छेलय। मैनी सुग्गी सोनामंती आरू गामो के उ सिनी लोग जेकरा बहुरा के ऐंगना में अयला सें परहेज नय छेलय सब्भै पहुंची गेलो छेलय। 10, 11 बजते जखनी सब्भै-सब्भै लोग वहाँ जमा होय गेलो छेलय जखनी ऐंगना ओसरा सब भरि गेलो छेलय। सब्भै जात के बाराती छेलय। वाभन, डोम, कादर, मछुआरा, नाई सब के बराबर सें इज्जत होय रहलो छेलय। सब बाराती सिनी एक तरफ बैठी गेलो छेलय। आरू बखरी सलोना के लोग सात सौ जमाय केरो ससुर सब एक तरफ बैठलो छेलय। गौना के विध की होतियै पहिले तेॅ मंतरिया के ही विध हुअ लागलय। दुखरन भी आपनो बेटा सें तनटा दूर जाजिम पर बैठलो छेलय।
बहुरा ने नटुआ सें कहलकय कि पहुना तोहें बीचो में बैइठो आरू अबे पंडित जी आविये रहलो होतय तेॅ गौना के विध होतय। नटुआ उठि के बीचो में बैठी गेलो, एकटा चौकी पर। ओकरा मनो में लगै छेलय कि इ सासु ने कुछ नेॅ कुछ तेॅ डैइनपनो तेॅ करवे करतय। यही ला ऐतना उठा बैठी करी रहलो छेलय ऊ आपना मनो के तेॅ कमला माय के चरणो में लगैले छेलय आरू माथा में सबटा मंतर घुमाय रहलो छेलय। कि इ बुढ़िया के गुनबानो सें केना बचलो जैयतय। बहुरा नेॅ एक गोड़ ओसरा पर आरू एक गोड़ नीचू रोपी के जे मने मन मंतर पढ़े लागलय आरू बान चलैलकै तेॅ नटुआ भी मनेमन सासु केरो चाल समझी के आपनो गुनबान चलाय देलकय। बराती सिनी तेॅ चिलम पीविये रहलो छेलय जेन्हैं नटुआ ने गुनबान चलैलकै तेन्हैं एक चिलम में से आगिन इ रंग उड़ी के बहुरा के अंचरा में पड़ी गेलय कि ओकरो अंचरा जरे लगलय धू-धू, आरू जेन्हैं ओकरो अंचरा में आग लगी गेलय तेन्हैं बहुरा गोढ़िन तेॅ थर-थर करते नाचे लगलय। बराती सराती दुनु तरफो के लोग तेॅ अवाक! इ की होय रहलो छै भाय! जे कहियो सुनै छेलिये से आज आँखि से देखी रहलो छिये। ऐंगना में खलबली मची गेलय। बहुरा छटपटैते-छटपटैते गरजे लागलय। ओकरो मुंह सूखी गेलय जेतनाय मंतर ओकरा आवे छेलय सबटा पढ़ि-पढ़ि के हारी गेलय। ओकरो सबटा मंतर नटुआ नेॅ माय कमला के याद करि के बांधी
देने छेलय।
आखिर चारो तरफो से असहाय होय के बहुरा ने आपनो चेली मैनका के पुकारलकै-कन्हें छैं गे मैनकी कंडे चललो गेलो छैं, आवि के हमरो परान बचाव। एही ला तोरा सिनी के मंतर सिखैले छियो? कोय तेॅ आवि के वचाव हमरो कोंची में आग लगी गेलो छै ऐन्हों लगी रहलो छै कि छने में हमरो परान चललो जइतय। कोय तेॅ आवो हमरा बचावो।
बहुरा के गुहार सुनी के मैनका, भुटकी तेलिनिया, विखा वाभिन, टनकी लौनिया सब्भै एक-एकठो चिलम लै के ओकरा बचावे ला अइलय मतर उहो सब बहुरा जुकाँ नाचे लगलय, आपनो-आपनो मंतर के परयोग करते गेलय मतरकि बहुरा के तेॅ कखनियो तरान नय छेलय। सबटा मंतर व्यर्थ मंतर कामे नय करी रहलो छेलय। जे भी आपनो गुनबान छोड़ै छेलय उ तखनिये उल्टी जाय रहलो छेलय। बड़ा गजब नजारा होय रहलो छेलय। कहाँ इहाँ गौना केरो विध होय वाला छेलय, कहाँ चार पाँच ठो मौगी सिनी छटपटाय-छटपटाय के उल्टी रहलो छेलय। देखवैइया सिनी के तेॅ मगदन्नी लगी रहलो छेलय।
अमरौतिया तेॅ इ हाल देखी के मनेमन सोची रहलो छेलय कि जौं इ सिनी मरी जैइतय आरू नटुआ कहतय कि हमरा साथ चलो तेॅ हम्में चल्ली जैइवे, कैन्हें कि इहाँ हमरो के छै। माय ने तेॅ जैन्हों करने छै तैन्हों भोगे ला ही पड़तै।
सब्भै के मरलो परैलो देखी के नटुआ ने अमरौतिया से कहलकय, चल अमरो हमरा साथे चलो, होय गेलय गौना केरो विध इ कही के नटुआ अमरौतिया आरू बराती सिनी के लै के आपनो राज ला निकली गेलय।
सब्भै बराती जाबे लगलय। बहुरा मरलो तेॅ नय छेलय मतरकि छटपटाय रहलो छेलय। आरू नटुआ जेन्हैं निकललय कि ओकरो एकठो टांग टूटी गेलय अब तेॅ ऊ दरदो सें बेहाल होय गेलय। एकाएक ओकरा याद अइले कि ओकरो मोर मं जे कलंगी लगलो छै ऊ वहीं छुटी गेलो छै, यही सें इ दुरघटना होलय। दरदो से बेहाल, नटुआ लंगड़ैते फिनु ऐंगना में अइलय तेॅ देखलकय कि बहुरा ओकरो मौरो सें कलंगी खोले ला बेचैन छै। वैं-नेॅ झपट्टी मारि के आपना कलंगी बहुरा के हाथों सें छीनी लेलकय आरू कहलकय-लाज नय लगै छौं, सात सौ जमाय के जे खैयल्हो खैयवे करल्हो, आपनो जमाय के खाय ला भी ऐतना-बेचैन छौ? की बूझे छेल्हो तोहें कि तोरा सेें बढ़ी के मंतर केकरो अइबे नय करै छै? जैन्हों करले छौ आबे तैन्हों भोगो। '
कलंगी लै के नटुआ फिनु अमरौतिया के पास आवी गेलय। कलंगी हाथो में अइते नटुआ के टुटलो गोड़ जुड़ी गेलय आरू ऊ अमरौतिया केॅ लेने उड़ी के आकास के रास्ता से जावे लगलय। मैनमा खवास आपनो मालिक के विजय पर खुश होय गेलय। आरू थपड़ी पारै लगलय। गाँव वालासिनी तेॅ उदास होय गेलय। बाराती सब चललो गेलय। अब सात सौ जमाय के-के जियैतय बहुरा के जमाय तेॅ कनियाइन के लैके उड़ी गेलय। कोय इ पाँचो डैयनी सिनी के उपचार करै वाला नय छेलय। नटुआ ऐन्हों गुनवाण मारले छेलय जेकरो कोय काट नय छेलय। सब आपस में गप्प करते-करते जाय रहलो छेलय कि सात सौ लड़की सिनी के दुल्हा तेॅ नहिये जीतै। हुनका सिनी के बात सुनी के मैनमा कहलकय कि नय हो भाय ऐन्हो बात नय छै। ऊ जमाय के जीभ काटेवाला बात तोरा सिनी के बटरावे ला कहले छेल्हौं। सब्भै के जीव तेॅ बहुरा नेॅ आपने पास राखले छेलय से अबे जबे बहुरा मरि जैइथौं तेॅ तोरासिनी के जमाय सबटा आपन्हैं जीवी जैइतय। इ सुनी के गाँवो के लोग खुश होय गेलय मतरकि देखलो जाय कि बहुरा के मरला के बाद सातो सौ जमाय जीये छै कि नय।
उड़ते-उड़ते अमरौतिया के लै के नटुआ आपनो घर भदौरा पहुँची गेलय। यहाँ कनियाइन के स्वागत के खूब तैयारी छेलय। हुन्डे अमरौतिया केरो गलसेदी होय रहलो छेलय आरू हिन्डे बहुरा छटपटाय के मरी गेलय। जैन्हें बहुरा के परान गेलय तैन्हें सातो सौ जमाय जीवि गेलय जेना कत्ता नीन सें सुती के उठलो रहे। बखरी सलोना में तेॅ उछाह उमंग भरी गेलय। एकठो काला अध्याय समाप्त होलय। लोग-वेद सुखी होय गेलय। हे कमला माय तोरो जय हुअ तोरो बलिहारी जाय छियों इ जोड़ी लाख-लाख बरस जीये। भाव से भरलो नटुआ आरू अमरौतिया केरो जोड़ी लाख बरस तक जुग-जुग जीये अमर रहे। जे इ दुनिया के उजाड़े ला चाहे छै ऊ आपने दुनिया सें उजड़ी जाय छै। कमला माय नटुआ पर एतनाय सहाय होलय कि ऊ ऐन्हों मंतरिया बनी गेलय आरू गाँवों केरो पाप बहुरा के तेॅ खत्म करवे करलकै सात सौ विधवा सिनी के भी उजड़लो सोहाग फिनु सें सजाय देलकय। संउसे गामो के लोग आपने-आपनो जमाय के पावि के हरखित होय गेलय। नटुआ भी आपनो सुन्नरी कनियाइन अमरौतिया के लैके माय बापो के साथे खुशी-खुशी रहे लगलय। भागोवंती के तेॅ कमला माय पर विसवास बढ़ी गेलय। बलिहारी छौं कमला माय, गंगा गोसांय, भोला बाबा, पार्वती माय, कोसी माय, घरो के गोसांय कुलदेवी कुल देवता, गाम देवता सब्भै के गोहार करै छिये सच्चा केरो बोलवाला करिहो झुठ्ठो केरो मुँह काला करिहो। जेना नटुआ आरू अमरौतिया के बचैल्हो मिलैलो ओना सब्भै के मिलैइहौ जय कमला माय।