नटुआ दयाल, खण्ड-4 / विद्या रानी
नौआ तेॅ भक आब की करबै हो भाय। मतरकि उ तेॅ छेलय जाति के नौआ। दुखरन के एतनाय गोस्सा के बदला में ऊ मुसकाय के बोललकय, 'तोहें गोस्साय रहलो छौ मालिक, अब की कहियौं तोरे पुतोहू तेॅ एतनाय गुणवंती छौं कि संउसे घरो के सैंती के राखतौं। आरू देखै में तेॅ एकदम्मे गुलाबो के फूल, खीरा के विच्चा रंग तेॅ ओकरो दाँत छै। एतनाय गोरी जेना दूधो के कुंडो सें निकाललो गेलो छै। छिमड़िया बदन वाली लड़की तोरो एंगना में इंजोरे करथौं। आपनो महलो के एकटा कोना ऊ गरीबो के दै दीहो मालिक। गलती तेॅ होइये गेलै मालिक। आरू अब बियाहो होय गेलो छै अब तोहें छमा करी देभो तेॅ लोग तोरे गुनगान करथौं। तोरो समधिन भी तोरे दाय बनी के रहथौं।'
दुखरन समझी गेले कि इ साला पक्का नउआ छै कहलो जाय छै नेॅ कि लकड़ी में झौआ, पक्षी में कौआ, जाति में नौआ बड़ी चालाक होय छै। ई हरामी के कुछु कहना गोबर में घी ढारना छै। वैं-नेॅ े ओकरो मुस्कान केरो जबाब दै में आपनो क्रोध के तनटा शांत करलकै। नौआ के समझाय के बोले लागलय-देख नौआ, तोरो की, तोहें तेॅ दूत छैं ओकरो पर जात केरो नौआ। सब्भे के काम तेॅ तोरो माथो पर आबै छौ। अब हमरो नटुआ तेॅ तोरो धिया-पुता नहिये नी छौ से यहाँ धरपनिया दै के बैठे के की काम छौ। जो आपनो घर चल्लो जो। रहलौ तोेरो मलकैनी केरो बात तेॅ सुनी ले रे नौआ ऊ डायनी के डैयनपनी हम्में भुतलाइये देवय। इ संउसे जवार में कतनाय के नाशी के बैठलो छै इ बुढ़िया तोहें जानते होभैं। अब ऊ हमरो घर देखी रहलो छै हमरो एक्केठो काँचपुतरा रंग बेटा छै, ओकरो दमाद बनाय लेलकय। जानै छैं वैंने ओझा के सामना नाची-नेॅ ाची के किरिया खैलै छै कि आपनो जमाय हुआ दहु तेॅ ओकरो जीभ काटी के बखरी टोला केरो सात सौ जमाय के जिलाय देतय। अब तोहीं कहौ कि हम्में आपना जानतें एकलौता बेटा के डैयनी मुँहों में जावे दीयै। ओकरा तेॅ एको गाछी केरो छाँव नय मिलतय, पिल्लू पड़तै, एक-एक अंग कटी-कटी गिरतय। तोहें ओकरा हमरो बज्जर प्रणाम कहियो आरू कही दीहो कि ऊ हमरो बेटा दिस ताकवो जे करलकय तेॅ दुनु आँखें फोड़ी देबय। '
नौआ तेॅ सब जानवे करै छेलय। मतरकि अखनी ऊ बहुरा केरो काम करेला पईसा लेले छेलय वें की कहतियै बोल लालगय-इ दमादो वाला बात हम्में नय जानै छेलिये हो मालिक नय तेॅ हम्में हुनको काम नय करतियै तोहें ठीके चिन्तित छौ, एक तेॅ चुपका बिहा आरू ऊ भी डैयनी केरो बेटीे सें, जे नेॅ बिहा के पहिने जमाय के किरिया खाय के बैठली छै। अनर्थ छै हो मालिक। अब हम्में की करौं, एतना कही के नौआ ऊहाँ सें भागलो। उ समझी गेलो छेलय कि अब कुछ समझाना बेकारे छै जब दुखरन के बहुरा के राई रत्ती के खबर छै तेॅ कोनो परकार के धोखा नय देलो जाय पारै छै। ऊ लौटी के घाटो के दिस कोसी पार करै ला चल्लो गेलय। हे कोसी माय तोहें कैन्हों-कैन्हों हालो में डारी दैय छो। अबे दुखरन की करतय।
नटुआ वैं ठीयां छेवे करलै, जखनी दुखरन आरू नौआ ओकरी सासु के गुन-गान करी रहलो छेलय। तखनी ओकरा अमरौतिया याद आवी रहलो छेलय। उ सोचे लागलै कि यही ला अमरौतिया जंतर पिन्हें के बात, गामो में नय बुलै के बात कही रहलो छेलय। गामो के लोग जानी जैतियै कि बुढ़िया के जमाय होय गेलय तेॅ हमरे नेॅ जीभ काटी के सात सौ जमाय के जिलैतियै। ऊ गामों में तेॅ हमरो जाने संकट में छेलय। यही ला हमरो सासुओं ने हमरा घरो सें नय निकलय ला दै छेलय। ऊ तेॅ आपनो माथा पकड़ी के बैठी गेलय। दुखरन देखलकय कि बेटा हारी के बैठलो छै। लोगो के भीड़ छटी गेलो छेलय। कैन्हें कि नौआ के मार-पीट होवे वाला तमाशा अब खतम होय गेलो छेलय। जेतनाय लोग उतने तरह के बात। कोय कहै कि लड़की तेॅ एकदम्मे सोंनपुतरा रंग छै अब माय के तेॅ सभे जानवे करै छै। यही एकठो दिक छै कोय कहै ऐह बेकारो रो बात, डैयनी जोगिन कुछु नय होय छै हमरा कोय खाय के देखावे त! झुठठे रांड मोसमात के सब डाइन कहे लगै छै। तेॅ कोय कहे चुप्पे रहो हो होशियार बाबा, जखनी खैथौं नेॅ तखनी पलटी के पानी नय मांगभो। यही रंग जतने मुँह ओतनाय बात।
कोय कोय दुखरन के समझाय रहलो छेलय कि क्रोध शांत करो, की इ दुआरि पर तमाशा लगाय रहलो छो। जा तीन दिनों से बेटा के खोजी-खोजी हलकान होय रहलो छेल्हौ बेटा आवी गेल्हौं, ओकरा घर लै जा शांति सें सोची-विचारी के जे करै ला होथौं सें करिहो।
'सब्भैं हाँ-हाँ आरू की, ठीकै तेॅ कहै छै।' कही-कही के आपने-आपने घर जाबे लगलय। नटुआ केरी माय ओकरा हाथ पकड़ि के घर में लै गेलय। आरू अँचरा सें मुँह-कान पोछे लागलय जेना कि बहुरा के जोग टोना झाड़ि रहलो छेलय। नटुआ तेॅ भक्क, वैं-नेॅ कानी-कानी बोलें लागलय कि हे गे माय जखनी हम्मे मौथरी काका संग नाचलऽ-नेॅ ाचलऽ चललो गेलियौ न, तखनी हमरा कुछु पते नय चललय कि हम्में कहाँ जाय रहलो छी, अब हमरा घर लौटी जाना चाहियो। हम्में की करिये माय बोललकी कुछु नय बेटा तोरो कोय गलती नय छौ। उ तेॅ मंतरमारी के मौथरिया के भेजवे करले छेलय, तोहें की करतिहैं।
एतने में दुखरनो भीतर आवी गेलय। वें आपनो बेटा के पुचकारी के बोललकय। कि रे बेटा अब ऊ डैयनियां के गाँव तोहें नय जइहैं। हमरो तो आँखो के आँख छिकें तोरा कुछ होय जयतो तेॅ हम्में दुुनु परानी तेॅ फाटिये के मरी जैइवै।
हे कमला माय! हे गंगा गोसांय! हे दुर्गा माय! तोहें एकरो बुद्धि पर चढ़ि जइहो, इ कहियो अपनी कनियाइन के लग जाय ला नय सोचै। जाने छैं रे बेटा जैभैं नी तेॅ फिनु घुरे नय देतो रे। डैनिया जे अपनो जमाय जानि के छोड़े ला सोचतौ भी मतरकि चौदहो पट्टी के सात सौ घर वाला ही तोरो जानो केरो दुश्मन होय जैयतो कि एकरे जीभ कटला पर हमरा सिनी केरी बेटी के सुहाग लौटी जइतय।
नटुआ सोच लागलौ कि इ तेॅ बड़ा बेजाय बात होय गेलय। हम्में तेॅ आपने फाँसी केरो फंदा आपनो गल्ला मं डारि लेले छियै। मतरकि अमरौतिया तेॅ निष्पाप छै। ऊ तेॅ कीचड़ में कमल जुकाँ छै। इ तीने दिनों में वें नं तन मन सें एतनाय सेवा करले छै कि ओकरा भुलावे नय सकै छियै। आज के जमाना में एतना समर्पण कम्मे मिलै छै। वेनं तेॅ आपनो सब कुछ लुटाय देले छै आरू हमरो सुरक्षा लेली कतनाय फिकिर करी रहलो छेलय। आवे कि मुँह खोली के कहतियै कि हमरी माय डाइन छौं, तोहें संभली के रहो। घुमाय-फिराय के तेॅ ऊ कहिये रहलो छेलय।
अब आपनो जीवन बचाय लाय ऊ चाँद जुकाँ लड़की के दुःखो में नय छोड़लो जाय पारै छै। कोय नेॅ कोय उपाय करै ला ही पड़तय। यही रंग मनेमन सोचि के नटुआ मोन झमान करि के बैठलो छेलय।
ओकरी माय बाल्टी लोटा में पानी लै आनलकय आरू हाथ मुँह
धोय के भंसा में आवै ला कहलकय। नटुआ यंत्रावत उठलै आरू माय के पाछू-पाछू भंसा घर चललो गेलय। माय ने कहलकय-'कुछ खाय ला बेटा मुँह सुखि गेलो छौं।'
नटुआ कहलकय-'अखनी नय माय मोन नय ठीक छै, बादो में खैयबो हम्में घर जाय के सुतिबौ, राति-खाय ला उठाय दीहैं।'
नटुआ माय कहलकय-'ठीकै छौ, जो सुति रह। मतरकि वेशी चिंता नय करियो। कमला माय सब ठीक करी देथौं। नटुआ आपने कोठरी में जाय के सुती गेलय। दुखरन आरू नटुआ माय दुनु माथो पकड़ि के बैठी गेलय सोच-विचार करे लागलय कि अब बेटा के केना बचैलो जाय। जवान खून छै, तीन दिन ऊ छौड़ी संग रही के अयलो छै, ओकरा तेॅ ऊ याद अयवे करतय इ संकटो सें केना बचलो जाय। नटुआ माय ने देखलकय कि नटुआ बाप एकदम्मे व्यथित छै तेॅ ऊ आपना के संभालकै आरू जेना हारलो आदमी बोलय छै, वैन्हें बोललकय-' हे हो नटुआ बाप तोरा कमला माय पर विश्वास छौं कि नय, हुनको मरजी के खिलाफ एक्को पत्ता नय हिलै छै, सुनल्हौ। हुनका पर छोड़ि दहु सब ठीक करी देथौं। हुनके किरपा सें नेॅ नटुआ केरो जनम होलो छै, हुनिये एकरो जीवन संभारथैं। '
दुखरन बोललकय ठीकै कहै छौ नटुआ माय अबे तेॅ जे होना छेलय होय गेलय। साँप तेॅ बिलो में गेलय। अब धसना गिराय के बैठला सें की? मतरकि संउसे गामों में खौल-खौल होय रहलो छै। जानें कमला माय तोहें तेॅ खाली चाय पिलाय दहू।
नटुआ माय, 'आनै छिहौं' कही के धरफड़ाय के भंसा में चललो गेलय।
बखरी सलोना गामों में तखनी हिलकोर रंग उठी गेलय जखनी सभै के पता चली गेलय कि अमरौतिया केरो बियाह होय गेलय। सबसे पहलें तेॅ मैनी आरू सुग्गी के मन में उदवेग लगलो छेलय कि आखिर मौथरिया की करलकय। कुछ करवो करलकय की झुट्ठे लोग ओकरा पर सक करै छै। घर के काम करी के दुनु सोचलकय कि आपनो गामों में केकरा कन बियाह लायक बेटी छै ओकरो कन जइला सें पता चली जैयतय कि केकरो कन बिहा होलो छै। मतरिक इहो एकठो फिकिरे के बात छेलय कि बिना कोय मतलबो के एंगना-एंगना बुली के पता केना करवो। जब एतनाय चुपका-चुपकी बियाह होलो छै तेॅ पुछलो पर बतैतय की से चिन्ता नय करो एक दू दिनों में तेॅ बात जग जाहिर होइये जइतय। -'कहलो गेलो छै खैर, खून, खाँसी खुशी वैर प्रीति मधुपान, रहिमन दाबे ना दवै जानै सकलजहान।'
यहे होलय जखनी नौउआ बदहवास बखरी सलोना अइलय आरू बहुरा के घर जाय के बैठलकय तखनी कत्तेनी लोग सिनी ओकरा देखले छेलय। नौआ ऐंगना में जाय के दुखरन केरो सबटा बात बहुरा के सुनाय रहलो छेलय। आरू कनसुइया लै वाला लोग सिनी लागलो छेलय। नौआ कहलकय कि जे हम्में भागी नय ऐतिहौं हे मलकाइन, तेॅ हमरो हाड-मांस नय बचतिहो। अब हम्में की करतिहों। मतरकि तोहें संतोष बांधि ला बिहा तेॅ करी देल्हो। मतरकि उ लड़की के नय लै जइथौं।
बहुरा कहलकय-'तोहें की करभौ ठाकुर ओकरो किस्मत जे करवैइतय से होतय हमरा वश में की छै।'
हुन्ने अमरौतिया सुनी रहलो छेलय। कलपी उठलय छौड़िया। ऊँह किस्मत, के कहले छेले जमाय केरो किरिया खाय ला, ओना हमरो किस्मत खराब छेवे करलय, जे तोरो बेटी होल छियौ। मुँह सें कुछु नय बोललकय भीतरे-भीतर कानै छेलय अमरौतिया।