नरगिस अफसाने में कपूर हकीकत / जयप्रकाश चौकसे

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नरगिस अफसाने में कपूर हकीकत
प्रकाशन तिथि : 08 जून 2018


राजकुमार हीरानी की रणबीर कपूर अभिनीत 'संजू' इसी महीने प्रदर्शित होने जा रही है। संजय दत्त के इस बायोपिक के लिए रणबीर कपूर ने अपने को कुछ इस कदर बदला है कि लोग अचम्भित रह जाएंगे। राजकुमार हीरानी की अब तक बनाई सारी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल रही हैं और समालोचकों ने भी सराहा है। लोकप्रिय पत्रकारिता में उन्हें आज का ऋषिकेश मुखर्जी कहा जा रहा है जबकि मुखर्जी की अनेक फिल्में असफल रहीं। वे बिमल रॉय के साथ कलकत्ता से मुंबई आए थे और उनकी फिल्मों के संपादक थे। मुखर्जी साहब की पहली फिल्म ही असफल थी जो उस मकान की कहानी थी जहां बारी-बारी से आकर चार परिवार कुछ समय रहते थे। मुखर्जी को पहली सफलता राजकपूर और नूतन अभिनीत 'अनाड़ी' में मिली। राजकपूर ने अपनी टेक्नीकलर 'संगम' का संपादन और पुन: ध्वनि मुद्रण लंदन में किया था। वहां उन्होंने एक बंगला किराए पर लिया था। उन दिनों लंदन आए ऋषिकेश मुखर्जी ने उनसे संपर्क किया और राजकपूर ने उन्हें अपने साथ रहने के लिए निमंत्रित किया। उन्हीं दिनों दोनों ने 'आनंद' की परिकल्पना की परन्तु 'मेरा नाम जोकर' में व्यस्त होने के कारण मुखर्जी ने राजेश खन्ना के साथ 'आनंद' बनाई। राजकपूर और मुखर्जी के मिलकर 'आनंद' आकल्पन का प्रमाण यह है कि फिल्म राजकपूर को समर्पित की गई है। राजकुमार हीरानी की व्यक्तिगत प्रतिभा परम्परा की उस कड़ी का हिस्सा है जो चार्ली चैपलिन से शुरू हुई।

मेहबूब खान की फिल्म 'मंदर इंडिया' में एक किसान महाजन के सूद के ऊपर सूद के चक्र में फंस जाता है। उसके दोनों हाथ कट जाते हैं। एक दृश्य में दरवाजे पर दस्तक होने के कारण वह सांकल खोलने के लिए उठता है और उसे अपने हाथ कट जाने का अहसास झकझोर देता है। मेडिकल विज्ञान में इसे फैम्टम लिम्ब कहते हैं अर्थात कटे हुए अंग के होेने का भरम होता रहता है। यह उस फिल्मकार की कृति है जो कभी स्कूल ही नहीं गया। शांताराम, मेहबूब खान और राजकपूर जिन्दगी की पाठशाला में पढ़े-लिखे फिल्मकार हुए हैं।

'मदर इंडिया' में हाथ कटा किसान पलायन कर जाता है और उसकी पत्नी परिश्रम करके, खेत में बैल की तरह जुतकर अपने बच्चों का लालन-पालन करती है। उसका छोटा बेटा बिरजू महाजन के खिलाफ खड़ा होता है। मेहबूब खान ने बिरजू के पात्र को अभिनीत करने के लिए अपने प्रिय कलाकार दिलीप कुमार से बात की थी परन्तु नरगिस के साथ रोमांटिक फिल्में अभिनीत करने वाले दिलीप को उनके पुत्र की भूमिका करना मंजूर नहीं था परन्तु बिरजू का पात्र उनके अवचेतन में इस कदर गहरे पैठा कि कुछ वर्षों पश्चात उन्होंने 'गंगा-जमुना' में बिरजू को अभिनीत किया। इसी पात्र बिरजू को सलीम-जावेद ने 'दीवार' में प्रस्तुत किया परन्तु ग्रामीण परिवेश के बदले कथा को महानगर में रोपित किया गया। बिरजू के ही प्रभाव में सुनील दत्त ने उसे अपनी फिल्म 'मुझे जीने दो' में भी प्रस्तुत किया। ज्ञातव्य है कि दिलीप कुमार द्वारा अस्वीकृत पात्र ही सुनील दत्त ने 'मदर इंडिया' में अभिनीत किया था।

सुनील दत्त और नरगिस की प्रेम कहानी 'मदर इंडिया' की शूटिंग के समय अंकुरित हुई और खेत में आग लगने के एक दृश्य में सुनील दत्त ने नरगिस के प्राणों की रक्षा की। जब नरगिस राजकपूर की फिल्मों की नायिका थी तब राजकपूर तो पहले से ही विवाहित थे, अत: वह रिश्ता किसी अंजाम तक नहीं जा सकता था। नरगिस और सुनील दत्त ने विवाह कर लिया परन्तु मेहबूब खान ने उन्हें इस बात को जगजाहिर करने से रोका, क्योंकि इससे उनकी फिल्म पर बुरा असर पड़ सकता था कि फिल्म में मां-बेटे की भूमिकाएं करने वाले यथार्थ जीवन में विवाहित हो चुके हैं।

यह एक दूर की अटकल है कि पात्र बिरजू ही संजय दत्त के अवचेतन पर भी काबिज रहा। उसने नशीले पदार्थ का सेवन किया, जिससे मुक्ति के लिए सुनील दत्त उसे अमेरिका ले गए जहां 'अल्कोहोलिक्स एनॉनीमस' नामक संस्था में उनका उपचार हुआ। उन्हें हथियार रखने और शिकार करने का शौक भी रहा है। वे आदतन प्रेम में भी पड़ते रहे हैं। उस दौर में यह अफवाह भी थी कि जब नरगिस मरणासन्न थी, तब वे जुहू बीच पर अभद्र अवस्था में पकड़े गए थे। वे सजायाफ्ता मुजरिम भी रहे हैं। आधी रात के बाद पाली हिल्स पर गोलियां दागते भी वे देखे गए थे।

सुभाष घई संजय दत्त के साथ 'खलनायक' बना चुके हैं परन्तु राजकुमार हीरानी की फिल्म 'संजू' उससे जुदा होगी। फिल्म में संजय दत्त को आभामंडित नहीं किया गया है परन्तु मानवीय करुणा की दृष्टि से अच्छाई और बुराई के बीच जूलते एक व्यक्ति को प्रस्तुत किया गया है। राजकुमार हीरानी और निर्माता विधू विनोद चोपड़ा 'मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस.' में शाहरुख खान को लेना चाहते थे और शाहरुख खान को पटकथा पसंद भी थी परन्तु कुछ कारणों से उन्होंने काम नहीं किया। संजय दत्त को केवल इसलिए लिया कि फिल्म में पिता-पुत्र का एक महत्वपूर्ण दृश्य था। अत: संजय के साथ सुनील दत्त भी उपलब्ध थे इसलिए यह फिल्म उनके साथ बनाई गई।

राजकुमार हीरानी की फिल्म 'पीके' के अंतिम दृश्य में रणबीर कपूर ने कुछ शॉट्स दिए थे। संभवत: उसी समय हीरानी के मन में रणबीर कपूर के साथ फिल्म करने की बात अंकुरित हुई होगी। बहरहाल नरगिस के हर अफसाने में किसी कपूर का होना तो ऊपर वाले की पटकथा के अनुरूप होना ही था।